01 मई, 2011

वोट

वोट है तो नोट है, नोटन से ही वोट,
राजनीती में वोट की, होती  जाए छोट.
जाती पाति  के वोट से, टूटन लगा समाज,
कुर्सी उसको मिल गयी ,तनिक  न  आयी लाज,
परमारथ का वोट जो, स्वारथ बस भाई खोट.
वोट फंसा तो जग फंसा, पाए जमाना चोट.
दल ने दल दल कर दिया , फंस गए सारा समाज .
बिसर गयी है एकता, पंछी पाए बाज.
भिखमंगे हैं वोट के कहते नंबर एक.
हरिश्चंद्र बनी आगये , चाल चलन में नेक.
 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

यादें .....

अपनी यादें अपनी बातें लेकर जाना भूल गए  जाने वाले जल्दी में मिलकर जाना भूल गए  मुड़ मुड़ कर पीछे देखा था जाते ...