जिंदगी यह प्रेम की प्यासी जरूर है,
दिल रुबाई हुश्न में शाकी जरूर है.
हर गुलों में हुश्न आयी है उसी एक नूर की .
हुश्न वालों की नज़र बाकी जरूर है.
तोड़ दी तप के नशे को लाख ही नजीर है .
बेकरारी प्यार में आती जरूर है.
थाम कर बैठे जिगर हुश्न ने ही छीन ली.
जब बना बेताब दिल ,भाती जरूर है.
रूप तेरा दिल है ,तेरा कुछ नहीं है गैर का .
दिल सदा दिलदार ने पायी जरूर है.
-अवधेश कुमार तिवारी
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