पिताजी की डायरी से...
स्मृति में..
मेरे नगमे तुम्हारे लबो पर, अचानक ही आते रहेंगें .
एक गुजरी हुई जिंदगी में , फिरसे वापस बुलाते रहेगें.
याद आयेगा तुमको सरोवर ,और पीपल की सुन्दर ये छाया .
ये बिल्डिंग खड़ी याद होगी , जिसको यादों में हमने बसाया .
बरबस ये कहेंगे कहानी ,और हम मुस्कराते रहेगें.
कोई मिशिर है कोई यादव कोई चौबे कोई तिवारी.
हर किसी की अलग बात होगी , चाहें नर हो या कोई नारी.
याद आयेगें ज़माने की बातें ,और हम गुनगुनाते रहेगें .
सामने होगा मंदिर ओ जंगल ,ये धाम जहाँ बैठे हैं बाबा.
जिनपर निछावर है सब कुछ , काशी मथुरा अयोध्या काबा.
सरोवर में फूले कमल पर भौरे गीत गाते रहेगें.
मेरे नगमे तुम्हारे लबो पर, अचानक ही आते रहेंगें .
-----अवधेश कुमार तिवारी
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