चली जएब एक दिन,बिक्एब बिना दाम के.
चार दिन के चाँदनी बा,फिर अंधेरी रात बा.
फेरू नही अएब , जब जएब अपने धाम के.
सरीरिया बा सुंदर, करमवा कौने काम के.
कहु संकट देल, कहु के गारी,
नाहक बितवल , उमारिया ई सारी.
तनी एक सोच ल, की जॅयेब कौने धाम के.
सरीरिया बा सुंदर, करमवा कौने काम के.
उहे धन पाएब् , जस रही कमाई.
तोहरे ही सांगवा में, कहु नाही जाई.
का बा तोहार इहा, मरेल कौने शान के.
सरीरिया बा सुंदर, करमवा कौने काम के.
सरीरिया बा सुंदर, करमवा कौने काम के.
-अवधेश कुमार तिवारी
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