11 मई, 2010

सरीरिया बा सुंदर, करमवा कौने काम के ?





सरीरिया बा सुंदर, करमवा कौने काम के. 
चली जएब एक दिन,बिक्एब बिना दाम के. 
चार दिन के चाँदनी बा,फिर अंधेरी रात बा. 
फेरू नही अएब , जब जएब अपने धाम के. 
सरीरिया बा सुंदर, करमवा कौने काम के.

कहु संकट देल, कहु के गारी,  

नाहक बितवल , उमारिया सारी. 

तनी एक सोच , की जॅयेब कौने धाम के. 

सरीरिया बा सुंदर, करमवा कौने काम के.

उहे धन पाएब् , जस रही कमाई. 
तोहरे ही सांगवा में, कहु नाही जाई. 
का बा तोहार इहा, मरेल कौने शान के. 

सरीरिया बा सुंदर, करमवा कौने काम के.


-अवधेश कुमार तिवारी


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