08 मई, 2010

जोरे के न आइल .


गिनती त  जानीं  जानि ,  लेकिन जोरे के न आइल .
जोरल बाटे   जहाँ , तोरे के न आइल .
एक के करिश्मा , नौ के मेहेरबानी.
खेलि ये के बचपन , उल्ज़झल    जवानी. 
हासिल होला नाही  दिन निगि चाईल .
गिनती त  जानीं  जानि ,  लेकिन जोरे के न आइल 
जोरे के जहवां , ऊहें घटांई .
जहाँ  घटावेके , उहँवे बढ़ायी , 
उलझन उल्झेला , छोरे के न आएल .
गिनती ता जानि , लेकिन जोरे के न आएल..
पांच से बनल बा , घूमे चौरासी .
आवेला निन्नानवे,  ता गरवा में फांसी. 
मिलेला गुनक् फल ,गुणक हेराएल .
गिनती त  जानीं  जानि ,  लेकिन जोरे के न आइल 
आवेला अन्हरिया त, बंधन लगावे ,
ईहे करत मौन, जिनगी सेराईल . 
गिनती ता जानि , लेकिन जोरे के न आएल..
 -अवधेश कुमार तिवारी

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