14 सितंबर, 2025

Mr.Manoj Joshi.(मनोज जोशी














Discussing Chankya Play ........

Memorable moments with Mr.Manoj Joshi.
Manoj Joshi (मनोज जोशी) is an Indian film and television actor. He began his career in Marathi theatre, also putting up performances in Gujarati and Hindi theatre. He has also acted in over 60 films since 1998, many of his roles being comedy.
Manoj Joshi hails from Adapodara village near Himatnagar in north Gujarat.
 



Manoj Joshi is an Indian film and television actor. He began his career in Marathi theatre, also putting up performances in Gujaratiand Hindi theatre. He has also acted in over 60 films since 1998, many of his roles being comedy.
He acted in TV series including ChanakyaEk Mahal Ho Sapno KaRau (Marathi), SangdilKabhi Souten Kabhi SaheliKhichdi,Mura Raska Mai La (Marathi). He debuted in Sarfarosh (SI Bajju) alongside his brother who played Bala Thakur in the film. His other works include the film Hungama followed by HulchulDhoomBhagam BhagPhir Hera PheriChup Chup KeBhool Bhulaiyaa,[and Billo Barber.
He also portrayed Chanakya in Chakravartin Ashoka Samrat.






13 सितंबर, 2025

देवरिया उत्तर प्रदेश



🛕 देवरिया ज़िले के प्रमुख स्थल

1. सोहनाग मंदिर (टैरिया सोहनाग, सलेमपुर क्षेत्र)

प्राचीन शिव मंदिर, बड़ी आस्था का केंद्र।

सावन और शिवरात्रि में यहाँ विशाल मेला लगता है।


2. रुद्रपुर

धार्मिक और ऐतिहासिक कस्बा।

कई प्राचीन शिव मंदिर और सरयू नदी तट से जुड़ी मान्यता।


3. देवरिया सदर

जिला मुख्यालय, कई मंदिरों और बाजारों के लिए प्रसिद्ध।

यहाँ देवारण्य (देवताओं का अरण्य) नाम की ऐतिहासिक मान्यता है।


4. सलेमपुर

सांस्कृतिक महत्व का कस्बा, रेलवे स्टेशन भी ऐतिहासिक।

आसपास छोटे-छोटे धार्मिक स्थल और बाजार।


5. भटनी

रेलवे जंक्शन और आसपास गाँवों में प्राचीन मंदिर।

यहाँ से बिहार और गोरखपुर की ओर यात्रा सुगम होती है।


6. घाघरा नदी तट

प्राकृतिक सुंदरता और स्नान/पूजा के लिए प्रसिद्ध।

कई घाट स्थानीय तीर्थस्थल हैं।


7. रामपुर कारख़ाना

स्थानीय धार्मिक महत्व और बाजार के लिए जाना जाता है।

यहाँ पास-पड़ोस के कई शिवालय प्रसिद्ध हैं।


8. बरेजी गाँव और आसपास के क्षेत्र

ग्रामीण सांस्कृतिक परंपराएँ और लोकगीत-लोकनृत्य के लिए प्रसिद्ध।


9. बरहज घाट (बरहज बाजार)

घाघरा नदी पर स्थित, प्राचीन काल से धार्मिक स्थल।

यहाँ स्नान और मेले का आयोजन होता है।


10. देवरिया के ग्रामीण मंदिर और अखाड़े

पूरे ज़िले में सैकड़ों छोटे-छोटे शिवालय, काली मंदिर, हनुमान मंदिर और अखाड़े (मल्लविद्या) हैं।



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🌿 देवरिया का वास्तविक आकर्षण सिर्फ़ बड़े मंदिर या स्थल नहीं, बल्कि गाँवों की परंपरा, भोजपुरी संस्कृति, लोकगीत, मेले और नदियों का तट है।



31 अगस्त, 2025

यादें .....

अपनी यादें अपनी बातें लेकर जाना भूल गए 

जाने वाले जल्दी में मिलकर जाना भूल गए 
मुड़ मुड़ कर पीछे देखा था जाते जाते कई उसने 
जैसे उसे कुछ कहना था जो वो कहना भूल गया





सजा बन जाती है गुज़रे हुए वक़्त की यादें 

न जाने क्यों छोड़ जाने के लिए मेहरबान होते हैं लोग




यादों का इक झोंका आया हम से मिलने बरसों बाद 

पहले इतना रोये न थे जितना रोये बरसों बाद 
लम्हा लम्हा उजड़ा तो ही हम को एहसास हुआ 
पत्थर आये बरसों पहले शीशे टूटे बरसों बाद



ऐ दिल किसी की याद में होता है बेकरार क्यों 

जिस ने भुला दिया तुझे , उस का है इंतज़ार क्यों 
वो न मिलेगा अब तुझे , जिस की तुझे तलाश है 
राहों में आज बे-कफ़न तेरी बेवफ़ाई की लाश है



फासलों ने दिल की क़ुर्बत को बढ़ा दिया 

आज उस की याद ने बे हिसाब रुला दिया 
उस को शिकायत है के मुझे उस की याद नहीं 
हम ने जिस की याद में खुद को भुला दिया

दिल को तेरा सुकूँ दे वो ग़ज़ल कहाँ से लाऊँ 

भूल के ग़ज़ल अपनी तेरी ग़ज़ल कैसे सजाऊँ 
दिल में उतार जाएं वो लफ़ज़ कहाँ से लाऊँ 
भूल के कुछ यादें तेरी, याद कैसे दिल में बसाऊँ

मेरे पितामह स्वर्गीय श्री सीता राम तिवारी

 पितामह श्री सीता राम तिवारी जी की स्मृती जीवन का चित्रण है:


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✍️ साहित्यिक-काव्यात्मक परिचय

टैरिया की धरती का गौरव,
सलेमपुर-देवरिया की पहचान।
सीता राम तिवारी थे पितामह,
संस्कार जिनके अनुपम दान॥

धैर्य, धर्म और कर्म की गाथा,
जिनसे मिली जीवन की परिभाषा।
वो दीप बने परिवार-समाज के,
जगमगाता जिनसे आभास॥

उसी परंपरा के सच्चे उत्तराधिकारी,
रामेश्वर नाथ तिवारी का है उदय।
लेखन, चिंतन, संस्कृति की साधना,
जन-जन तक संदेशी सुरभि का प्रवाह॥

भोजपुरी का रस, संस्कृत का तेज,
काव्य में गूँजे जीवन-संदेश।
विचारों से रचे जो अमर पथ,
वो तिवारी वंश के सच्चे रत्न॥
रामेश्वर नाथ तिवारी 







रामेश्वर नाथ तिवारी




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✍️ Rameshwar Nath Tiwari – Tairia Salempur, Deoria Uttar Pradesh 274509...

परिचय

रामेश्वर नाथ तिवारी जी का जन्म उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद के सलेमपुर तहसील के ग्राम टैरिया में हुआ। आप एक सादगीपूर्ण जीवन जीने वाले, शिक्षा और संस्कृति के प्रति समर्पित व्यक्ति हैं। अपनी लेखनी और विचारों के माध्यम से आपने समाज, परंपरा और आध्यात्मिकता को जोड़ने का कार्य किया है।

प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा

ग्राम्य परिवेश में पले-बढ़े रामेश्वर नाथ तिवारी जी ने कठिन परिश्रम और लगन से शिक्षा प्राप्त की। शिक्षा के क्षेत्र में आपकी यात्रा ने न केवल व्यक्तिगत विकास किया बल्कि समाज के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनी।

सेवा एवं योगदान

सरकारी सेवा से सेवानिवृत्ति के पश्चात आप लेखन, अध्ययन और सामाजिक संवाद में सक्रिय हैं।

आपने अपने अनुभव और ज्ञान को ब्लॉग एवं सोशल मीडिया के माध्यम से साझा करना शुरू किया।

आपकी रचनाओं में जीवन-दर्शन, अध्यात्म, लोकगीत, संस्कृति और मानवीय मूल्यों का सुंदर संगम दिखाई देता है।


साहित्यिक और सांस्कृतिक झुकाव

भोजपुरी लोकगीतों, कविताओं और श्लोकों में आपकी गहरी रुचि है।

आप अक्सर संस्कृत श्लोकों और भारतीय संस्कृति के आदर्शों को आधुनिक जीवन से जोड़ते हैं।


वर्तमान गतिविधियाँ

आजकल आप अपने ब्लॉग (rntiwari1.wordpress.com) और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से अपने विचारों, कविताओं और अनुभवों को लोगों तक पहुँचा रहे हैं।
आपका उद्देश्य है कि ग्राम टैरिया, सलेमपुर, देवरिया का नाम दूर-दूर तक पहुँचे और वहाँ की सांस्कृतिक धरोहर सबके सामने आए।

संदेश

आपका जीवन संदेश है —
👉 “कर्म ही जीवन का वास्तविक धन है, और कृतज्ञता ही सच्ची खुशी।”






27 अगस्त, 2025

भगवान और भारत



🌸 भगवान भारत में ही क्यों जन्म लेते हैं? | Why God Takes Birth in India

Meta Description (150 words):
क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान के अवतार (राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर) भारत में ही क्यों हुए? जानिए धार्मिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक दृष्टि से भारत को क्यों कहा जाता है भगवान की लीला-भूमि।


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✨ प्रस्तावना

भारत को सदैव आध्यात्मिक चेतना की भूमि माना गया है। जब भी संसार में अधर्म बढ़ा और धर्म संकट में पड़ा, भगवान ने अवतार लेकर धर्म की रक्षा की।
प्रश्न यह है कि भगवान अपने अवतारों के लिए भारतभूमि को ही क्यों चुनते हैं?


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🌿 1. धार्मिक दृष्टि से

भारत में ही वेद, उपनिषद, रामायण, महाभारत और भगवद्गीता की रचना हुई।

भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है:
“यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत...”
अर्थात जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब भगवान अवतार लेते हैं।

भारत में धर्म का संरक्षण ही भगवान के अवतारों का मुख्य उद्देश्य रहा है।



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🌿 2. सांस्कृतिक दृष्टि से

भारत आध्यात्मिक साधना का केंद्र रहा है।

यहाँ ऋषि-मुनि, योगी और संत निरंतर तपस्या करते रहे।

गंगा, यमुना, हिमालय और अनेक तीर्थस्थल भारत को दिव्यता प्रदान करते हैं।
👉 यही कारण है कि भगवान अपने अवतारों के लिए इस पवित्र भूमि का चयन करते हैं।



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🌿 3. ऐतिहासिक दृष्टि से

भगवान राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर, गुरुनानक सभी का जन्म भारत में हुआ।

भारतीय इतिहास सदैव धर्म और अधर्म के संघर्ष का गवाह रहा है।

हर युग में जब अधर्म बढ़ा, भगवान ने अवतार लेकर मानवता को धर्म के मार्ग पर चलाया।



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🌿 4. दार्शनिक दृष्टि से

भारत को “कर्मभूमि” कहा गया है।

यहाँ आत्मा की उन्नति के लिए साधना, योग, ध्यान और ज्ञान का सर्वोत्तम वातावरण उपलब्ध है।

इसलिए भगवान ने अपने संदेश और शिक्षाओं को फैलाने के लिए इस भूमि को चुना।



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✨ निष्कर्ष

भगवान कहीं भी जन्म ले सकते हैं, परंतु भारत उनकी लीला-भूमि है।
यहाँ की संस्कृति, आध्यात्मिक परंपरा और धर्म-संरक्षण की आवश्यकता के कारण भगवान बार-बार इसी भूमि पर अवतरित होते हैं।

🙏 इसलिए भारत को “देवभूमि” कहा जाता है।


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01 अगस्त, 2025

Elephanta Caves..


एलीफेंटा की गुफाएँ (Elephanta Caves):
समुद्र की लहरों के बीच बसी एक चट्टान... और उस पर छिपा एक अद्भुत संसार — एलीफेंटा। मुंबई से थोड़ी दूरी पर स्थित यह द्वीप मंदिर-कला का वह मोती है, जिसे देख कर खुद भगवान शिव भी कहें — "वाह! मेरी लीला इतनी सुंदर किसी ने और कहाँ रची?"


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🌊 संक्षिप्त परिचय:

📍 स्थान: एलीफेंटा द्वीप, मुंबई से लगभग 11 किमी समुद्र के रास्ते

🕉️ धार्मिक महत्व: मुख्य रूप से शिव को समर्पित

🪨 प्रमुख गुफाएँ: कुल 7 गुफाएँ, जिनमें 5 हिन्दू और 2 बौद्ध गुफाएँ हैं

🏆 विश्व धरोहर: 1987 में यूनेस्को द्वारा घोषित



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🌟 मुख्य आकर्षण:

🙏 त्रिमूर्ति (Trimurti Sadashiva):

20 फीट ऊँची यह मूर्ति शिव के तीन रूपों का प्रतिनिधित्व करती है:

अघोर (विनाशक)

वामदेव (सौम्य)

तत्पुरुष (सृष्टिकर्ता)


➡️ देखने में ऐसा लगेगा जैसे शिव जी ने सेल्फी मोड में ट्रिपल पोज दे दिया हो — और वो भी शिल्प में!

🐂 नंदी मंडप:

मुख्य गुफा के सामने स्थित है, जहाँ शिव का प्रिय वाहन नंदी विराजमान है।
थोड़ी देर वहां बैठिए, लगेगा जैसे कोई प्राचीन संगीत हवा में तैर रहा है।

💥 अंधकासुर वध, गंगा अवतरण, अर्धनारीश्वर, रावण द्वारा कैलाश हिलाना — ये सभी शिल्प कहानियाँ नहीं, एक सजीव मंचन जैसी लगती हैं।


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🧭 कैसे पहुँचे:

गेटवे ऑफ इंडिया से नाव द्वारा: लगभग 1 घंटा लगेगा

फेरी सेवा: सुबह 9 से शाम 5 बजे तक, आखिरी बोट लौटने की टाइमिंग देखना मत भूलिए — वरना आप शिव के साथ रात्रि विश्राम कर सकते हैं 😄



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🧠 रोचक तथ्य:

‘एलीफेंटा’ नाम पुर्तगालियों ने दिया था — उन्हें वहाँ एक विशाल हाथी की मूर्ति दिखी थी। मूर्ति अब मुंबई के भाऊ दाजी लाड संग्रहालय में है।

असली नाम है: घारापुरी (Gharapuri) — मतलब 'गुफाओं का नगर'।



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✨ निचोड़:

> "एलीफेंटा केवल एक दर्शनीय स्थल नहीं, यह एक अनुभव है — जो आपको समय के समुद्र में डुबकी लगाकर भगवान की मूर्तिमय कहानी सुनाता है।"



अगर चाहें तो मैं इस पर एक SEO-friendly ब्लॉग पोस्ट या YouTube स्क्रिप्ट भी तैयार कर सकता हूँ! कहिए जनाब, आगे बढ़ें? 😄📸

 

गौतम इंटर कालेज पिपरा रामधर देवरिया उत्तर प्रदेश

 एक संस्थागत स्मृति-पत्र (Institutional Note / Tribute)  --- 🏫 गौतम इंटर कॉलेज, पिपरा रामधर, देवरिया (उ.प्र.) 📖 पर...