कविता : दीपावली की एक रात
- जलज पंड्या
एक दीपावली की रात
एक दीये से हुई मुलाकात
पूछा उसकी इठलाती, टिमटिमाती लौ से
तुम्हारे अनुसार क्या मायने इस दीपावली से...
वह बोली :
जो अंधकार का एक टुकड़ा अपने में समा ले
जो हवा से लड़कर भी अपनी हस्ती बचा ले
ऐसी ही इठलाती, टिमटिमाती, जलने वाली
एक लौ का नाम है दीपावली...
जो भ्रष्टाचार से लड़ने की ताकत जुटा ले
जो युवाओं की शक्ति को अपनी ऊर्जा बना ले
ऐसे ही नेता के लिए सड़कों
पर आई मतवाली
एक युवा मशाल का नाम है दीपावली...
जो किसी भूखे को अपने साथ
खाने बैठा ले
जो किसी बेघर को अपने गले लगा ले
ऐसी ही दिलों में दौड़ने वाली
एक करुणा का नाम है दीपावली....
जो छोटी-छोटी बातों में छिपी
खुशियों को पहचान ले
जो किसी रोते हुए के आंसुओं से मुस्कुराहट निकाल ले
ऐसी ही आत्मा
में बसने वाली
एक मासूमियत का नाम है दीपावली...
जो किसी दोस्त के दर्द को अपना बना ले
जो किसी दुश्मन को भी अपना दोस्त बना ले
ऐसी ही रिश्तों में घुलने वाली
एक मिठास का नाम है दीपावली...
जो किसी धर्म-मजहब के रहस्य को जान ले
जो आंखों पर पड़े संकीर्ण मानसिकता के पर्दे को हटा ले
ऐसी ही ईश्वर-खुदा के लिए की जाने वाली
एक प्रार्थना-इबादत का नाम है दीपावली...
फिर मैंने कहा :
जो तेरे अर्थ को अपना उद्देश्य बना ले
जो तेरे संदेश का चोला अपने तन पर लिपटा ले
ऐसे ही सच्चे संत-फकीर की जुबान
से निकलने वाली
एक वाणी का नाम है दीपावली...
चारों ओर फैले अंधकार, भय, निराशा,
दर्द को अपने में जलाकर
रोशनी, खुशी, मुस्कुराहट, आशा, इंसानियत, मानवता के
सुविचारों की किरणें फैलाने वाली
तुझ जैसी एक टिमटिमाती लौ
का नाम है दीपावली...
आप को दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें .ईश्वर करे आप सभी
जवाब देंहटाएंका जीवन दीपावली की दीपमाला की तरह जगमगाता रहे .ओंर आप दूसरों की राहों को रोशन करते रहें तथा अँधेरे रास्तों पर अपने ज्ञान ,सद्भावना प्यार सहानुभूति शांति शिष्टाचार एवं दोस्ती की रौशनी बिखेरते रहें
शुभ दीपावली