08 जुलाई, 2011

SHLOKAS

शांताकारम भुजंगशयनम

शांताकारं भुजगशयनं पद्यनाभं सुरेशम् । विश्‍वाधारं गगन सदृशं मेघवर्णं शुभांगम् ।
लक्ष्मीकांतं कमलनयनं योगिभिर्ज्ञानगम्यम् । वंदे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैक नाथम् ॥

या कुन्देंदु तुषारहार

या कुंदेंदु तुषार हार धवला या शुभ्र वस्त्रव्रिता |
या वीणा वरा दंडमंडित करा या श्वेत पद्मासना ||

या ब्रह्मच्युत शंकरा प्रभुतिभी देवी सदा वन्दिता |
सामा पातु सरस्वती भगवती निशेश्य जाड्या पहा ||

rntiwari1.blogspot.com

बिलकुल! नीचे आपकी ब्लॉग की पहली "आधिकारिक" पोस्ट का एक भावनात्मक, आत्मिक और साहित्यिक अंदाज़ में ड्राफ्ट तैयार किया गया है। आप इसे...