बस कुर्सी पर केवल बेईमान चाहिए.
न जीव चाहिए न जहान चाहिए ,
बस कुर्सी पर केवल बेईमान चाहिए.
हैरत हो बाढ़ से या प्लेग का जमाना,
हैजा भूकंप और गोली का निशाना.
न आंख चाहिए न कान चाहिए,
बस कुर्सी पर केवल बेईमान चाहिए.
संविधान प्रजातंत्र पार्टी व नेता ,
घूस लूट फूट गुट दुनियां को देता,
न मान चाहिए न सम्मान चाहिए.
बस कुर्सी पर केवल बेईमान चाहिए.
आरक्षण की बोल के बोली
चलती रहेगी दनादन गोली.
न धर्म चाहिए न इमान चाहिए
बस कुर्सी पर केवल बेईमान चाहिए.
यह अपना है यह है पराया,
कुर्सी पर मुरख की ऐसी है काया
न शांति चाहिए न इंसान चाहिए,
बस कुर्सी पर केवल बेईमान चाहिए.
---अवधेश कुमार तिवारी
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