जिंदगी है प्यासी सुधा के लिए..
जिंदगी है प्यासी सुधा के लिए,
और तुम तो ज़हर ही पिलाते रहे.
गुन गुनाते रहे हम मधुर राग में,
मेरे राहों में कांटे बिछाते रहे,
नहीं चाहता मैं ऊँची अटारी ,
सच्चाई हमको है दुनिया में प्यारी.
मैं चाहता हूँ शीतल हवाएं ,
तुम तो धरा को तपाते रहे,
खिले हों सुमन, और नजदीक हों ,
तो मेरी नज़र भी ना मजबूर हो.
मैं पलकें उठाये खड़ा रह गया ,
और तुम तो दीवारें उठाते रहे,
मेरे अधरों में देखो मधुर राग है,
मेरे पलकों में दुनियां का समभाव है,
नहीं चाहता कोई बर्बाद हो पर,
तुम तो हकीक़त छुपाते रहे,
जब तेरी ये दुनिया मुनासिब नहीं,
ऐसी दुनिया का मैं भी हूँ आशिक नहीं.
मेरी तकदीर ऊँची सदा के लिए ,
और तुम बंधनों को लगाते रहे.
और तुम तो ज़हर ही पिलाते रहे.
गुन गुनाते रहे हम मधुर राग में,
मेरे राहों में कांटे बिछाते रहे,
नहीं चाहता मैं ऊँची अटारी ,
सच्चाई हमको है दुनिया में प्यारी.
मैं चाहता हूँ शीतल हवाएं ,
तुम तो धरा को तपाते रहे,
खिले हों सुमन, और नजदीक हों ,
तो मेरी नज़र भी ना मजबूर हो.
मैं पलकें उठाये खड़ा रह गया ,
और तुम तो दीवारें उठाते रहे,
मेरे अधरों में देखो मधुर राग है,
मेरे पलकों में दुनियां का समभाव है,
नहीं चाहता कोई बर्बाद हो पर,
तुम तो हकीक़त छुपाते रहे,
जब तेरी ये दुनिया मुनासिब नहीं,
ऐसी दुनिया का मैं भी हूँ आशिक नहीं.
मेरी तकदीर ऊँची सदा के लिए ,
और तुम बंधनों को लगाते रहे.
----अवधेश कुमार तिवारी
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