काशी महात्म
यह विश्वनाथ की काशी है, रक्षक इसका अविनाशी है /
"सर्वं सविघ्नंमोक्षाय साध्नाङ्काशिकां बिना /
काशी निर्विघ्नजननी कशीमोक्षस्य सत्खनिः //" काशी रहस्य १३.८३
काशी के बिना सभी साधन मोक्ष के विघ्न हैं, काशी निर्विघ्नता की जननी है, और काशी मोक्ष की खान है /
जो गति अगम महामुनि दुर्लभ, कहत संत श्रुति सकल पुराण /
सो गति मरण काल अपने पुर, देत सदा शिव सबहीं समान //
जोग कोटि करी जो गति हरि सों, मुनि मांगत सकुचाहीं /
वेद विदित तेहि पद पुरारी पुर, कीट पतंग समाहीं //
जोग कोटि करी जो गति हरि सों, मुनि मांगत सकुचाहीं /
वेद विदित तेहि पद पुरारी पुर, कीट पतंग समाहीं //