22 सितंबर, 2012

शेर-ओ-शायरी


शेर-ओ-शायरी


छोड़ दीजे मुझको मेरे हाल पर,
जो गुजरती है गुजर ही जायेगी।

-असर लखनवी
 
तुझे यह नाज कि जन्नत की भीक मांगूगा,
मुझे यह जिद् कि तकाजा मेरा उसूल नहीं।

-मंजूर अहमद मंजूर


दर्द मन्नतकश- ए-दवा न हुआ,
मैं न अच्छा हुआ बुरा न हुआ।
जम्अ करते हो क्यों रकीबों को,
इक तमाशा हुआ, गिला न हुआ।

-मिर्जा 'गालिब'


न पूछो क्या गुजरती है, दिले-खुद्दार पर अक्सर,
किसी बेमेहर को जब मेहरबां कहना ही पड़ता है।

-जगन्नाथ आजाद


सफीना जब तेरे होते हुए भी डूब सकता है,
उठायें फिर तेरे एहसान क्यों ऐ नाखुदा कोई।
-फारिंग सीमाबी


2 टिप्‍पणियां:

  1. aapka blog dekha bhaut achha hai
    सफीना जब तेरे होते हुए भी डूब सकता है,
    उठायें फिर तेरे एहसान क्यों ऐ नाखुदा कोई।

    lagaataar ese hi achhi achhi post likhte rahe

    Shubhkaamnye......

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