मोती बीए: भोजपुरी कवि (1919-2009)
मोती बीए का जन्म 1 अगस्त 1919 को गांव तेलियाँ कला , बरेजी ,बरहज , जिला देवरिया (उ. प्र.) हुआ था. मोती बीए 60 से अधिक हिन्दी तथा भोजपुरी फिल्मों के लिए गीत लिखे . और बहुत कम लोग जानते हैं कि उनका मूल नाम मोती लाल उपाध्याय था. वह 1938 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से बीए की डिग्री प्राप्त करने के बाद 1941 में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त किया. उन्होंने यह भी बीटी और साहित्य रत्न डिग्री हासिल कर ली. अपने कैरियर में शुरुआती दिनों के दौरान, वह " आज" "आर्यावर्त" और "संसार" जैसे समाचार पत्रों के लिए लिखते रहे . उन्होंने हिंदी फिल्मों के लिए गाने लिखे जिसमे "साजन" (1947) और "नादिया के पार "(1948) बहुत ही लोकप्रिय हुए थे. उनके लेख और कविताओं को " आज "दैनिक के मुख्य पृष्ठ पर प्रकाशित किया जाता था . उन्हें भोजपुरी सम्मान साहित्य अकादमी द्वारा अगस्त 2002 में सम्मानित किया गया. श्री मोती बीए द्वारा लिखित और प्रकाशित एक दर्जन से अधिक पुस्तकें भोजपुरी साहित्य की अमूल्य धरोहर हैं. उन्होंने भोजपुरी भाषा को अपने लय दार गाने और भावुक कविताओं से मिला कर एक नयी पहचान दी. उनकी उपलब्धियों आर्थिक रूप से भूखे भोजपुरी क्षेत्रों के नई पीढ़ी के युवाओं के लिए , जो बिना पतवार के हालांकि बहुत प्रतिभाशाली हैं, एक प्रेरणा श्रोत है.
भारत सरकार ने भोजपुरी भाषा को महत्व / मान्यता देने का कार्य प्रारंभ मोती बीए के कारण ही शुरू किया . साहित्य अकादमी, नई दिल्ली ने प्रथम भोजपुरी सम्मान करने के लिए अनुभवी भोजपुरी (फिल्म) गाने और कविताएं लेखक श्री मोती, बीए के नाम की घोषणा की . अकादमी 300 लाखों भोजपुरी भाषी और इस दुनिया के कोने में फैले हुए भोजपुरी भाषियों की भावनाओं को सम्मानित किया गया है. सम्मान में 40,000 रुपये का नकद और एक शाल प्रदान की जाती है . स्क्रॉल करें, भारत के राष्ट्रपति ने अगस्त २००२ में श्री मोती, बीए को सम्मानित किया गया. वास्तव में यह एक महान उपलब्धि है. श्री मोती, बीए के बारे में कुछ महान व्यक्तियों के विचार;
मुझे इस बात का दुख है कि आपको जैसा सम्मान मिलना चाहिए, वैसा नहीं मिला। पर इससे हताश होने की कोई जरूरत नहीं। "कालोह्म निरवधिर्विपुल च पृथ्वी।" - डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी
आप सरल शैली के मास्टर हैं। इस शैली ने और कुछ भी दिया हो या न, आपको सरल बना दिया है। सरलता बड़ी साधना की देन है। आपको सन्तुष्ट होना चाहिए। -डॉ हरिवंश राय बच्चन
श्री मोती बीए के सेमर के फ़ूल में भोजपुरी क्षेत्र के वरनन एतना सटीक भ इ ल बा ज इ से केमरा में फोटो खींचल होखे।- डॉ विजय नारायण सिंह
वह पिछले 8 सालों से उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा था . 18 जनवरी 2009 की सुबह उनका निधन हो गया. वह पुरानी भोजपुरी फिल्म नादिया के पार (सचिन और साधना सिंह वाला नहीं लेकिन पुराने किशोर साहू द्वारा निर्देशित फिल्म ) के गीत लिखे. अपने लोकप्रिय प्रकाशनों में से कुछ महुवा बारी, समर के फूल , तुलसी रसायन , बादालिका, लाचारी , मेघदूत (भोजपुरी) आदि बहुत ही खूबसूरत हैं. मोती बीए की रचनाएं शेक्सपीयर के सानेट का हिन्दी पद्यानुवाद काव्य रूपक - "कवि - भावना - मानव" स्फूट रचना संग्रह - "प्रतिबिम्बिनी" "समिधा '(गीतांजली) तड़पते हुए गीत - "मृगतृष्णा" गीतधारा - "कवि कविता और" भोजपुरी कविता संग्रह - "के सेमर फूल" मेघदूत - भोजपुरी पद्यानुवाद राजनीतिक कविता संग्रह: रांची से राजघाट
मेरी स्मृति 1974 की वह घटना आज भी सजीव है , जब मैं गौतम इंटर कॉलेज पिपरा रामधर में हाई स्कूल का छात्र था . मुझे कॉलेज के समारोह श्री मोती बीए की उपस्थिति में मेरी कविता और भाषण प्रस्तुत करने का अवसर प्राप्त हुआ . वे ही अतिथि थे, बहुत बहुत प्रसन्न हुए और प्रोत्साहन स्वरुप अपने पाकेट से मुझे पाँच रुपये का नकद पुरस्कार प्रदान किये . मुझे लगता है यह मेरे जीवन का सबसे बड़ा पुरस्कार था. यह पुरस्कार मैं अपने पूरे जीवन भूल नहींसकता हूँ . मैं बहुत इक्छा होते हुए भी परिस्थिति बस मैं उनसे पुनः कभी मिल नहीं सका .
भोजपुरी समाज से अपेक्षा है की ऐसे व्यक्तियों को भुला न दें ......
---रामेश्वर नाथ तिवारी