//* // एक युग पुरुष ८९ जन्मदिवस //*//
अटल बिहारी वाजपेयी (जन्म: २५ दिसंबर, १९२४ ग्वालियर) भारत के पूर्व प्रधान मंत्री हैं। वे भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक हैं और १९६८ से १९७३ तक उसके अध्यक्ष भी रहे। वे जीवन भर भारतीय राजनीति में सक्रिय रहे। उन्होने लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। उन्होंने अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ किया था और देश के सर्वोच्च पद पर पहुँचने तक उस संकल्प को पूरी निष्ठा से निभाया।
वह भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक हैं और सन् १९६८ से १९७३ तक वह उसके अध्यक्ष भी रह चुके हैं। सन् १९५५ में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा, परन्तु सफलता नहीं मिली लेकिन हिम्मत नहीं हारी और सन् १९५७ में बलरामपुर (जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश) से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुँच कर ही दम लिया। सन् १९५७ से १९७७ तक जनता पार्टी की स्थापना तक वे बीस वर्ष तक लगातार जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे। सन् १९६८ से ७३ तक वे भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर आसीन रहे। मोरारजी देसाई की सरकार में वह सन् १९७७ से १९७९ तक विदेश मंत्री रहे और विदेशों में भारत की छवि बनाई।
१९८० में जनता पार्टी से असंतुष्ट होकर इन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में मदद की। ६ अप्रैल, १९८० में बनी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद का दायित्व भी वाजपेयी जी को सौंपा गया। दो बार राज्यसभा के लिये भी निर्वाचित हुए। लोकतन्त्र के सजग प्रहरी अटल बिहारी वाजपेयी ने सन् १९९७ में प्रधानमंत्री के रूप में देश की बागडोर संभाली। १९ अप्रैल, १९९८ को पुनः प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और उनके नेतृत्व में १३ दलों की गठबन्धन सरकार ने पाँच वर्षों में देश के अन्दर प्रगति के अनेक आयाम छुए।
सन् २००४ में कार्यकाल पूरा होने से पहले भयंकर गर्मी में सम्पन्न कराये गये लोकसभा चुनावों में भा०ज०पा० के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबन्धन (एन०डी०ए०) ने वाजपेयी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और भारत उदय (अंग्रेजी में इण्डिया शाइनिंग) का नारा दिया। इस चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। ऐसी स्थिति में वामपंथी दलों के समर्थन से कांग्रेस ने भारत की केन्द्रीय सरकार पर कायम होने में सफलता प्राप्त की और भा०ज०पा० विपक्ष में बैठने को मजबूर हुई। सम्प्रति वे राजनीति से सन्यास ले चुके हैं।
कवि के रूप में अटल :- अटल बिहारी वाजपेयी राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक कवि भी हैं। मेरी इक्यावन कविताएँ अटल जी का प्रसिद्ध काव्यसंग्रह है। वाजपेयी जी को काव्य रचनाशीलता एवं रसास्वाद के गुण विरासत में मिले हैं। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर रियासत में अपने समय के जाने-माने कवि थे। वे ब्रजभाषा और खड़ी बोली में काव्य रचना करते थे। पारिवारिक वातावरण साहित्यिक एवं काव्यमय होने के कारण उनकी रगों में काव्य रक्त-रस अनवरत घूमता रहा है। उनकी सर्व प्रथम कविता ताजमहल थी। इसमें ऋंगार रस के प्रेम प्रसून न चढ़ाकर "यक शहन्शाह ने बनवा के हसीं ताजमहल, हम हसीनों की मोहब्बत का उड़ाया है मजाक" की तरह उनका भी ध्यान ताजमहल के कारीगरों के शोषण पर ही गया। वास्तव में कोई भी कवि हृदय कभी कविता से वंचित नहीं रह सकता। राजनीति के साथ-साथ समष्टि एवं राष्ट्र के प्रति उनकी वैयक्तिक संवेदनशीलता आद्योपान्त प्रकट होती ही रही है। उनके संघर्षमय जीवन, परिवर्तनशील परिस्थितियाँ, राष्ट्रव्यापी आन्दोलन, जेल-जीवन आदि अनेकों आयामों के प्रभाव एवं अनुभूति ने काव्य में सदैव ही अभिव्यक्ति पायी।
उन्होने लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। उन्होंने अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ किया था और देश के सर्वोच्च पद पर पहुँचने तक उस संकल्प को पूरी निष्ठा से निभाया।
उत्तर प्रदेश में आगरा जनपद के प्राचीन स्थान बटेश्वर के मूल निवासी पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी मध्य प्रदेश की रियासत ग्वालियर में अध्यापक थे। वहीं शिन्दे की छावनी में २५ दिसम्बर १९२४[1] को ब्रह्ममुहूर्त में उनकी सहधर्मिणी कृष्णा वाजपेयी की कोख से अटल जी का जन्म हुआ था। पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर में अध्यापन कार्य तो करते ही थे इसके अतिरिक्त वे हिन्दी व ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि[2] भी थे। पुत्र में काव्य के गुण वंशानुगत परिपाटी से प्राप्त हुए। महात्मा रामचन्द्र वीर द्वारा रचित अमर कृति "विजय पताका" पढकर अटल जी के जीवन की दिशा ही बदल गयी। अटल जी की बी०ए० की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज) में हुई। छात्र जीवन से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और तभी से राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे। कानपुर के डी०ए०वी० कालेज से राजनीति शास्त्र में एम०ए० की परीक्षा प्रथम श्रेणी[3] में उत्तीर्ण की। उसके बाद उन्होंने अपने पिताजी के साथ-साथ कानपुर में ही एल०एल०बी० की पढ़ाई भी प्रारम्भ की लेकिन उसे बीच में ही विराम देकर पूरी निष्ठा से संघ के कार्य में जुट गये। डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के निर्देशन में राजनीति का पाठ तो पढ़ा ही, साथ-साथ पाञ्चजन्य, राष्ट्रधर्म, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन का कार्य[4] भी कुशलता पूर्वक करते रहे।
राजनीतिक जीवन :- वह भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक हैं और सन् १९६८ से १९७३ तक वह उसके अध्यक्ष भी रह चुके हैं। सन् १९५५ में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा, परन्तु सफलता नहीं मिली लेकिन हिम्मत नहीं हारी और सन् १९५७ में बलरामपुर (जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश) से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुँच कर ही दम लिया। सन् १९५७ से १९७७ तक जनता पार्टी की स्थापना तक वे बीस वर्ष तक लगातार जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे। सन् १९६८ से ७३ तक वे भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर आसीन रहे। मोरारजी देसाई की सरकार में वह सन् १९७७ से १९७९ तक विदेश मंत्री रहे और विदेशों में भारत की छवि बनाई।
१९८० में जनता पार्टी से असंतुष्ट होकर इन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में मदद की। ६ अप्रैल, १९८० में बनी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद का दायित्व भी वाजपेयी जी को सौंपा गया। दो बार राज्यसभा के लिये भी निर्वाचित हुए। लोकतन्त्र के सजग प्रहरी अटल बिहारी वाजपेयी ने सन् १९९७ में प्रधानमंत्री के रूप में देश की बागडोर संभाली। १९ अप्रैल, १९९८ को पुनः प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और उनके नेतृत्व में १३ दलों की गठबन्धन सरकार ने पाँच वर्षों में देश के अन्दर प्रगति के अनेक आयाम छुए।
सन् २००४ में कार्यकाल पूरा होने से पहले भयंकर गर्मी में सम्पन्न कराये गये लोकसभा चुनावों में भा०ज०पा० के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबन्धन (एन०डी०ए०) ने वाजपेयी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और भारत उदय (अंग्रेजी में इण्डिया शाइनिंग) का नारा दिया। इस चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। ऐसी स्थिति में वामपंथी दलों के समर्थन से कांग्रेस ने भारत की केन्द्रीय सरकार पर कायम होने में सफलता प्राप्त की और भा०ज०पा० विपक्ष में बैठने को मजबूर हुई। सम्प्रति वे राजनीति से सन्यास ले चुके हैं।
कवि के रूप में अटल:- अटल बिहारी वाजपेयी राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक कवि भी हैं। मेरी इक्यावन कविताएँ अटल जी का प्रसिद्ध काव्यसंग्रह है। वाजपेयी जी को काव्य रचनाशीलता एवं रसास्वाद के गुण विरासत में मिले हैं। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर रियासत में अपने समय के जाने-माने कवि थे। वे ब्रजभाषा और खड़ी बोली में काव्य रचना करते थे। पारिवारिक वातावरण साहित्यिक एवं काव्यमय होने के कारण उनकी रगों में काव्य रक्त-रस अनवरत घूमता रहा है। उनकी सर्व प्रथम कविता ताजमहल थी। इसमें ऋंगार रस के प्रेम प्रसून न चढ़ाकर "यक शहन्शाह ने बनवा के हसीं ताजमहल, हम हसीनों की मोहब्बत का उड़ाया है मजाक" की तरह उनका भी ध्यान ताजमहल के कारीगरों के शोषण पर ही गया। वास्तव में कोई भी कवि हृदय कभी कविता से वंचित नहीं रह सकता। राजनीति के साथ-साथ समष्टि एवं राष्ट्र के प्रति उनकी वैयक्तिक संवेदनशीलता आद्योपान्त प्रकट होती ही रही है। उनके संघर्षमय जीवन, परिवर्तनशील परिस्थितियाँ, राष्ट्रव्यापी आन्दोलन, जेल-जीवन आदि अनेकों आयामों के प्रभाव एवं अनुभूति ने काव्य में सदैव ही अभिव्यक्ति पायी।
अटल जी की प्रमुख रचनायें :-
उनकी कुछ प्रमुख प्रकाशित रचनाएँ इस प्रकार हैं :
• मृत्यु या हत्या
• अमर बलिदान (लोक सभा में अटल जी के वक्तव्यों का संग्रह)
• कैदी कविराय की कुण्डलियाँ
• संसद में तीन दशक
• अमर आग है
• कुछ लेख: कुछ भाषण
• सेक्युलर वाद
• राजनीति की रपटीली राहें
• बिन्दु बिन्दु विचार, इत्यादि।
जीवन के कुछ प्रमुख तथ्य :-
• अटल जी एक ऐसे नेता है जिन्होने जो देश-हित में था वही किया|
• आजीवन अविवाहित रहे।
• वे एक ओजस्वी एवं पटु वक्ता (ओरेटर) एवं सिद्ध हिन्दी कवि भी हैं।
• परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों की संभावित नाराजगी से विचलित हुए बिना उन्होंने अग्नि-दो और परमाणु परीक्षण कर देश की सुरक्षा के लिये साहसी कदम भी उठाये। सन् १९९८ में राजस्थान के पोखरण में भारत का द्वितीय परमाणु परीक्षण किया जिसे अमेरिका की सी०आई०ए० को भनक तक नहीं लगने दी।
• अटल सबसे लम्बे समय तक सांसद रहे हैं और जवाहरलाल नेहरू व इंदिरा गांधी के बाद सबसे लम्बे समय तक गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री भी। वह पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने गठबन्धन सरकार को न केवल स्थायित्व दिया अपितु सफलता पूर्वक से संचालित भी किया।
• अटल ही पहले विदेश मंत्री थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी में भाषण देकर भारत को गौरवान्वित किया था।
• इन सबसे अलग उनके व्यक्तित्व का सबसे बडा गुण है कि वे सीधे सच्चे व सरल इन्सान हैं। उनके जीवन में किसी भी मोड पर कभी कोई व्यक्तिगत विरोधाभास नहीं दिखा।
वाजपेयी सरकार के कार्य :-सौ साल से भी ज्यादा पुराने कावेरी जल विवाद को सुलझाया। संरचनात्मक ढाँचे के लिए कार्यदल; सॉफ्टवेयर विकास के लिए सूचना एवं प्रौद्योगिकी कार्यदल; केन्द्रीय विद्युत नियामक आयोग आदि का गठन किया, साथ ही राष्ट्रीय राजमार्गों एवं हवाई अड्डों का विकास; नई टेलीकॉम नीति तथा कोकण रेलवे की शुरुआत आदि के माध्यम से बुनियादी संरचनात्मक ढाँचे को मजबूत करने वाले कदम उठाये। राष्ट्रीय सुरक्षा समिति, आर्थिक सलाह समिति, व्यापार एवं उद्योग समिति भी गठित कीं। इनके अलावा आवश्यक उपभोक्ता सामग्रियों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिये मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन बुलाया, उड़ीसा के सर्वाधिक गरीब क्षेत्र के लिये सात सूत्रीय गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम शुरू किया, आवास निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए अर्बन सीलिंग एक्ट समाप्त किया तथा ग्रामीण रोजगार सृजन एवं विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगों के लिये बीमा योजना शुरू की। ये सारे तथ्य सरकारी विग्यप्तियों के माध्यम से समय समय पर प्रकाशित होते रहे हैं।
अटल जी की टिप्पणियाँ :- चाहे प्रधान मन्त्री के पद पर रहे हों या नेता प्रतिपक्ष; बेशक देश की बात हो या क्रान्तिकारियों की, या फिर उनकी अपनी ही कविताओं की; नपी-तुली और बेवाक टिप्पणी करने में अटल जी कभी नहीं चूके। यहाँ पर उनकी कुछ टिप्पणियाँ दी जा रही हैं।
• "भारत को लेकर मेरी एक दृष्टि है- ऐसा भारत जो भूख, भय, निरक्षरता और अभाव से मुक्त हो।"
• "क्रान्तिकारियों के साथ हमने न्याय नहीं किया, देशवासी महान क्रान्तिकारियों को भूल रहे हैं, आजादी के बाद अहिंसा के अतिरेक के कारण यह सब हुआ।"
• "मेरी कविता जंग का ऐलान है, पराजय की प्रस्तावना नहीं। वह हारे हुए सिपाही का नैराश्य-निनाद नहीं, जूझते योद्धा का जय-संकल्प है। वह निराशा का स्वर नहीं, आत्मविश्वास का जयघोष है।"
सादर चरण वंदन .....
जय जय श्री राम...........
Biography
Shri Atal Bihari
Vajpayee Born on December 25, 1924 at Gwalior, Madhya Pradesh to Shri
Krishna Bihari Vajpayee and Smt. Krishna Devi.
Educated at Victoria (now Laxmi Bai) College, Gwalior and DAV College,
Kanpur, Uttar Pradesh, Shri Vajpayee holds an M.A (Political Science)
degree and has many literary, artistic and scientific accomplishments to
his credit.
He brings with him a long
parliamentary experience spanning over four decades. He has been a
Member of Parliament since 1957. He was elected to the 5th, 6th and 7th
Lok Sabha and again to the 10th, 11th 12th and 13th Lok Sabha and to
Rajya Sabha in 1962 and 1986. He has again been elected to Parliament
from Lucknow in Uttar Pradesh for the fifth time consecutively. He is
the only parliamentarian elected from four different States at different
times namely - UP, Gujarat, MP and Delhi.
Shri Atal Bihari Vajpayee was Prime Minister of India from May 16-31,
1996 and a second time from March 19, 1998 to May 13, 2004. With his
swearing-in as Prime Minister, he has been the only Prime Minister since
Jawaharlal Nehru to occupy the office of the Prime Minister of India
through three successive mandates. Shri Vajpayee has also been the first
Prime Minister since Smt. Indira Gandhi to lead his party to victory in
successive elections.
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