10 मई, 2012

नवग्रहों के रत्न

नवग्रहों के रत्न

भारतीय ज्योतिष में मान्यता प्राप्त नवग्रहों के रत्न निम्नलिखित हैं :

माणिक्य : यह रत्न ग्रहों के राजा माने जाने वाले सूर्य महाराज को बलवान बनाने के लिए पहना जाता है। इसका रंग हल्के गुलाबी से लेकर गहरे लाल रंग तक होता है। धारक के लिए शुभ होने की स्थिति में यह रत्न उसे व्यवसाय में लाभ, प्रसिद्धि, रोगों से लड़ने की शारीरिक क्षमता, मानसिक स्थिरता, राज-दरबार से लाभ तथा अन्य प्रकार के लाभ प्रदान कर सकता है। किन्तु धारक के लिए अशुभ होने की स्थिति में यह उसे अनेक प्रकार के नुकसान भी पहुंचा सकता है। माणिक्य को आम तौर पर दायें हाथ की कनिष्का उंगली में धारण किया जाता है। इसे रविवार को सुबह स्नान करने के बाद धारण करना चाहिए।



मोती : यह रत्न सब ग्रहों की माता माने जाने वाले ग्रह चन्द्रमा को बलवान बनाने के लिए पहना जाता है। मोती सीप के मुंह से प्राप्त होता है। इसका रंग सफेद से लेकर हल्का पीला, हलका नीला, हल्का गुलाबी अथवा हल्का काला भी हो सकता है। ज्योतिष लाभ की दृष्टि से इनमें से सफेद रंग उत्तम होता है तथा उसके पश्चात हल्का नीला तथा हल्का पीला रंग भी माननीय है। धारक के लिए शुभ होने की स्थिति में यह उसे मानसिक शांति प्रदान करता है तथा विभिन्न प्रकार की सुख सुविधाएं भी प्रदान कर सकता है। मोती को आम तौर पर दायें हाथ की अनामिका या कनिष्का उंगली में धारण किया जाता है। इसे सोमवार को सुबह स्नान करने के बाद धारण करना चाहिए।

पीला पुखराज : यह रत्न समस्त ग्रहों के गुरु माने जाने वाले बृहस्पति को बल प्रदान करने के लिए पहना जाता है। इसका रंग हल्के पीले से लेकर गहरे पीले रंग तक होता है। धारक के लिए शुभ होने की स्थिति में यह उसे धन, विद्या, समृद्धि, अच्छा स्वास्थय तथा अन्य बहुत कुछ प्रदान कर सकता है। इस रत्न को आम तौर पर दायें हाथ की तर्जनी उंगली में गुरुवार को सुबह स्नान करने के बाद धारण किया जाता है।

हीरा ( सफेद पुखराज ) : यह रत्न शुक्र को बलवान बनाने के लिए धारण किया जाता है तथा धारक के लिए शुभ होने पर यह उसे सांसरिक सुख-सुविधा, ऐशवर्य, मानसिक प्रसन्नता तथा अन्य बहुत कुछ प्रदान कर सकता है। हीरे के अतिरिक्त शुक्र को बल प्रदान करने के लिए सफेद पुखराज भी पहना जाता है। शुक्र के यह रत्न रंगहीन तथा साफ़ पानी या साफ़ कांच की तरह दिखते हैं। इन रत्नों को आम तौर पर दायें हाथ की मध्यामा उंगली में शुक्रवार की सुबह स्नान करने के बाद धारण किया जाता है।

लाल मूंगा : यह रत्न मंगल को बल प्रदान करने के लिए पहना जाता है तथा धारक के लिए शुभ होने पर यह उसे शारीरिक तथा मानसिक बल, अच्छे दोस्त, धन तथा अन्य बहुत कुछ प्रदान कर सकता है। मूंगा गहरे लाल से लेकर हल्के लाल तथा सफेद रंग तक कई रगों में पाया जाता है, किन्तु मंगल ग्रह को बल प्रदान करने के लिए गहरा लाल अथवा हल्का लाल मूंगा ही पहनना चाहिए। इस रत्न को आम तौर पर दायें हाथ की कनिष्का अथवा तर्जनी उंगली में मगलवार को सुबह स्नान करने के बाद पहना जाता है।

पन्ना : यह रत्न बुध ग्रह को बल प्रदान करने के लिए पहना जाता है तथा धारक के लिए शुभ होने पर यह उसे अच्छी वाणी, व्यापार, अच्छी सेहत, धन-धान्य तथा अन्य बहुत कुछ प्रदान कर सकता है। पन्ना हल्के हरे रंग से लेकर गहरे हरे रंग तक में पाया जाता है। इस रत्न को आम तौर पर दायें हाथ की अनामिका उंगली में बुधवार को सुबह स्नान करने के बाद धारण किया जाता है।

नीलम : शनि महाराज का यह रत्न नवग्रहों के समस्त रत्नों में सबसे अनोखा है तथा धारक के लिए शुभ होने की स्थिती में यह उसे धन, सुख, समृद्धि, नौकर-चाकर, व्यापरिक सफलता तथा अन्य बहुत कुछ प्रदान कर सकता है किन्तु धारक के लिए शुभ न होने की स्थिती में यह धारक का बहुत नुकसान भी कर सकता है। इसलिए इस रत्न को किसी अच्छे ज्योतिषि के परामर्श के बिना बिल्कुल भी धारण नहीं करना चाहिए। इस रत्न का रंग हल्के नीले से लेकर गहरे नीले रंग तक होता है। इस रत्न को आम तौर पर दायें हाध की मध्यमा उंगली में शनिवार को सुबह स्नान करने के बाद धारण किया जाता है।

गोमेद : यह रत्न राहु महाराज को बल प्रदान करने के लिए पहना जाता है तथा धारक के लिए शुभ होने की स्थिति में यह उसे अक्समात ही कही से धन अथवा अन्य लाभ प्रदान कर सकता है। किन्तु धारक के लिए अशुभ होने की स्थिति में यह रत्न उसका बहुत अधिक नुकसान कर सकता है और धारक को अल्सर, कैंसर तथा अन्य कई प्रकार की बिमारियां भी प्रदान कर सकता है। इसलिए इस रत्न को किसी अच्छे ज्योतिषि के परामर्श के बिना बिल्कुल भी धारण नहीं करना चाहिए। इसका रंग हल्के शहद रंग से लेकर गहरे शहद रंग तक होता है। इस रत्न को आम तौर पर दायें हाथ की मध्यमा अथवा अनामिका उंगली में शनिवार को सुबह स्नान करने के बाद धारण किया जाता है।
लहसुनिया : यह रत्न केतु महाराज को बल प्रदान करने के लिए पहना जाता है तथा धारक के लिए शुभ होने पर यह उसे व्यसायिक सफलता, आध्यात्मिक प्रगति तथा अन्य बहुत कुछ प्रदान कर सकता है किन्तु धारक के लिए अशुभ होने की स्थिति में यह उसे घोर विपत्तियों में डाल सकता है तथा उसे कई प्रकार के मानसिक रोगों से पीड़ित भी कर सकता है। इसलिए इस रत्न को किसी अच्छे ज्योतिषि के परामर्श के बिना बिल्कुल भी धारण नहीं करना चाहिए। इसका रंग लहसुन के रंग से लेकर गहरे भूरे रंग तक होता है किन्तु इस रत्न के अंदर दूधिया रंग की एक लकीर दिखाई देती है जो इस रत्न को हाथ में पकड़ कर धीरे-धीरे घुमाने के साथ-साथ ही घूमना शुरू कर देती है। इस रत्न को आम तौर पर दायें हाथ की मध्यमा उंगली में शनिवार को सुबह स्नान करने के बाद धारण किया जाता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Mr.Manoj Joshi.(मनोज जोशी

Discussing Chankya Play ........ Memorable moments with Mr.Manoj Joshi. Manoj Joshi (मनोज जोशी) is an Indian film and...