27 जनवरी, 2011

पिता जी की डायरी से....


टुकडो में बीके जो रहते है
वे ज्ञान की बाते क्या जाने।
भवसागर जिनका डेरा है
किनार की बाते क्या जाने।
जिनके भावों में पशुता है
जिनके जीवन में लघुता है ।
लोभी कामी कोई होकर के
सदभाव की बातें क्या जाने ।
जो मुर्ख बनाता है जग को
वह भी मुर्ख बन जाता  है।
गुमराह जो करते है मुरख
आचार की बातें क्या जाने ।
एक सच्चा ज्ञानी होकर के
और दौड़ लगाता है जग मे।
जाहिर है धोखा है उसमे
सत्संग की बातें क्या जाने।
--अवधेश कुमार तिवारी

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