26 मई, 2010

मुझको बताओ ई दुनिया के माली.

मैं पूछता हूँ बनके सवाली ,

मुझको बताओ ई दुनिया के माली.

राजा है कोई कोई भिखारी ,

कहीं झोपड़ी है कहीं है अटारी ,

यह भेद दुनिया में क्यों कर लगाली .

मुझको बताओ ई दुनिया के माली..

कहीं फूलमाला गले में लगादी ,

कहीं नंगे पांवो में कांटे चुभा दी .

कोई याद है और किसी को भूलादी.

मुझको बताओ ई दुनिया के माली..

गरीबों के दिल में जगह है तुम्हारी ,

वे  ही याद करते हैं बनके पुजारी .
दिल है तुम्हारा काहें दर्द खाली .

मुझको बताओ ई दुनिया के माली..

तूहीं हो मालिक गरीबी से नाता ,

केवल बिधाता ही दुनिया में दाता .

करते हो जग की तुम्ही रखवाली .
मुझको बताओ ई दुनिया के माली..

तूं लक्ष्मी के लक्ष्मी तुम्हारी, 

तुमसे अलग रहती तेरी नारी.

जहां बस गए लक्ष्मी को हटाली

.मुझको बताओ ई दुनिया के माली..


- अवधेश कुमार तिवारी

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