10 अक्टूबर, 2012

अमिताभ बच्चन





 आज ,11 अक्‍टूबर 2012 को सदी के महानायक के जन्म की 70वीं वर्षगांठ है।
 सहस्राब्दिक के महानायक कहे जाने वाले लीजेंड अभिनेता अमिताभ। 1970 के दशक में बॉलीवुड सिनेमा के 'एंग्री यंग मैन' कहलाए। और भारतीय फिल्म इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण शख्सियत बन गए। अपने फिल्मी कैरियर में बिग बी के नाम से मशहूर अमिताभ ने अनेकों सम्मान जीते जिसमें उन्हें 4 बार नेशनल फिल्म अवार्ड्स से नवाजा गया। खास बात ये कि उनमें से तीन बार बेस्ट एक्टर की श्रेणी में मिला। 14 बार फिल्म फेयर अवार्ड्स फिल्म फेयर अवार्ड्स में सबसे ज्यादा बार बेस्ट एक्टर और बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर के लिए नामांकित होने का रिकॉर्ड बरकरार रखा। एक्टिंग के साथ प्लेबैक सिंगर, फिल्म निर्माता, टेलीविजन प्रस्तोता के रूप में भी शानदार छाप। भारतीय संसद के सदस्य रहे 1984-1987
मूल नाम: अमिताभ हरिवंश बच्चन जन्मतिथि: 11 अक्टूबर 1942 राशि: तुला कद: 6 फुट 3 इंच बाल का रंग- काला आंख का रंग- काला जन्म स्थान- इलाहाबाद( उत्तर प्रदेश) धर्म- हिंदू शिक्षा- शेरवुड कॉलेज नैनीताल, और किरोड़ीमल कॉलेज दिल्ली युनिवर्सिटी नई दिल्ली वैवाहिक स्थित: विवाहित भाषा: हिंदी अंग्रेजी, पंजाबी
पसंददी अभिनेत्री: जया भादुड़ी, ऐश्वर्या राय पसंदीदा फिल्म: गंगा जमुना और प्यासा भोजन- भारतीय शाकाहारी भोजन
11 अक्टूबर 1942 को इलाहाबाद(उ.प्र.) में हिंदू कायस्थ परिवार में जन्म।इनके पिता डॉ. हरिवंश राय बच्चन हिंदी के मशहूर कवि मां तेजी बच्चन फैसलाबाद के सिख-पंजाबी परिवार से थी। गौरतलब है कि फैसलाबपाद अब पाकिस्तान में है। अमिताभ बच्चन का प्रारंभिक नाम भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान 'इंकलाब जिंदाबाद' के नारे से प्रेरित होकर 'इंकलाब' रखा। बाद में मशहूर कवि सुमित्रानंदन पंत के सुझाव पर हरिवंश राय ने नाम बदलकर अमिताभ रख दिया। जिसका अर्थ होता है 'प्रकाश जो कभी बुझता नहीं'. हलांकि इनका सरनेम श्रीवास्तव था लेकिन अमिताभ के पिता ने बच्चन उपनाम अपना लिया। इसी उपनाम से उनके सारे कार्य प्रकाशित होते थे। अमिताभ ने इसी उपनाम के साथ फिल्मों में प्रवेशकिया। और यह उपनाम सभी सार्वजनिक कार्यों में इस्तेमाल होने लगा। अमिताभ ने इलाहाबाद के जनाना प्रोबधिनी एंड ब्वायज हाईस्कूल से स्कूलिंग।दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ीमल कॉलेज से बीएससी। अमिताभ ने फिल्मों में प्रवेश से पहले कलकत्ता में शिपंग फर्म बर्ड एंड कंपनी के लिए बतौर फ्रेट ब्रोकर काम किया। अमिताभ ने फिल्म अभिनेत्री जया भादुड़ी से शादी की। इनकी दो संतानें हैं- श्वेता नंदा और अभिषेक बच्चनअभिषेक भी एक अभिनेता हैं जिन्होंने मशहूर अभिनेत्री ऐश्वर्या राय से शादी की।
1969 - सात हिंदुस्तानी, भुवन सोम 1971 - परवाना, आनंद, बॉम्बे टॉकीज, गुड्डी प्यार की कहानी 1972 - संजोग, बंसी बिरजू, पिया का घर, एक नजर, बावर्ची, रास्ते का पत्थर, बॉम्बे टू गोवा 1973 - बड़ा कबूतर, बंधे हाथ, जंजीर, गहरी चाल, अभिमान सौदागर, नमक हराम 1974 - कुंवारा बाप, दोस्त, कसौटी, बेनाम, रोटी कपड़ा और मकान, मजबूर 1975 - चुपके-चुपके, फरार, मिली, दीवार, जमीर, शोले, 1976 - दो अंजाने, छोटी सी बात, कभी-कभी, हेरा-फेरी 1977 - अलाप, चरणदास, अमर,अकबर,एंथॉनी, शतरंज के खिला़ड़ी, अदालत, इमान धरम, खून पसीना, परवरिश 1978 - बेशर्म, गंगा की सौगंध, कसमे वादे, त्रिशूल, डॉन, मुकद्दर का सिकंदर 1979 - द ग्रेट गैंबलर, गोलमाल, जुर्माना, मंजिल, मि. नटवरलाल, काला पत्थर, सुहाग 1980 - दो और दो पांच, दोस्ताना, राम बलराम, शान 1981 - चश्मे बद्दूर, कमांडर, नसीब, बरसात की एक रात, विलायती बाबू, लावारिस, सिलसिला, याराना, कालिया 1982 - सत्ते पे सत्ता, बेमिसाल, देशप्रेमी, नमक हलाल, खुद्दार, शक्ति 1983 - नास्तिक, अंधा कानून, महान, पुकार, कुली 1984 - इंकलाब, शराबी 1985 - गिरफ्तार, मर्द 1986 - आखिरी रास्ता 1987 - जलवा, कौन जीता कौन हारा 1988 - शूरमा भोपाली, शहंशाह, हीरो हीरालाल, गंगा जमुना सरस्वती 1989 - बंटवारा, तूफान, जादूगर, मैं आजाद हूं 1990 - अग्निपथ, आज का अर्जुन 1991 - हम, अजूबा, इंद्रजीत, अकेला 1992 - खुदा गवाह 1994 - इंसानियत 1996 - तेरे मेरे सपने 1997 - मृत्युदाता 1998 - मेजर साब, बड़े मिया छोटे मियां 1999 - लाल बादशाह, सूर्यवंशम, हिंदुस्तान की कसम, कोहराम ? हेलो ब्रदर, बीवी नं-1 ? 2000 - मोहब्बतें 2001 - एक रिश्ता, लगान, अक्स, कभी खुशी कभी गम 2002 - आंखें, हम किसी से कम नहीं, अग्निवर्षा, कांटे 2003 - खुशी, अरमान, मुंबई से आया मेरा दोस्त, बूम, बागबान, फंटूश 2004 - खाकी, ऐतबार, रुद्राक्ष, इंसाफ, देव, लक्ष्य, दीवार, क्यों हो गया ना, हम कौन हैं, वीर-जारा, अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों 2005 - ब्लैक, वक्त : दे रेस अंगेस्ट टाइम, बंटी और बबली, परिणीता, पहेली, सरकार, विरुद्ध, रामजी लंदनवाले, दिल जो भी कहे, एक अजनबी, अमृतधारा 2006 - फैमिली, डरना जरूरी है, कभी अलविदा न कहना, बाबूल 2007 - एकलव्य: द रायल गार्ड, निशब्द, चीनी कम, शूटआउट एट लोखंडवाला, झूम बराबर झूम, राम गोपाल वर्मा की आग, ओम शांति ओम 2008 - जोधा अकबर, भूतनाथ, सरकार, सरकार राज, द लास्ट लीयर, गॉड तुस्सी ग्रेट हो 2009 - जॉनी मस्ताना, दिल्ली- 6, अलादीन, एक्सक्लूजन, तलिस्मान, जमानत, शांताराम, पा 2010 - रण, तीन पत्ती, कंधार
1970 बेस्ट न्यूकमर सात हिंदुस्तानी के लिए 1970 - सरस्वती अवार्ड आनंद के लिए 1971 - फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर अवार्ड आनंद के लिए 1971 - बेस्ट एक्टर इन सपोर्टिंग रोल, आनंद के लिए 1973 - फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर अवार्ड नमक हराम के लिए 1975 - बेस्ट एक्टर फॉर मिली 1977 - फिल्म फेयर बेस्ट एक्टर अवार्ड अमर अकबर एंथॉनी के लिए 1978 - फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर अवार्ड डॉन के लिए 1980 - उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अवध सम्मान 1984 - पदमश्री, भारत सरकार का चौथा बड़ा नागरिक सम्मान 1989 - रोटरी क्लब ऑफ बॉम्बे (मुंबई) द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड 1990 - फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड,पहले प्राप्तकर्ता 1991 - फिल्म हम के लिए फिल्म फेयर बेस्ट एक्टर अवार्ड 1991 - अग्निपथ के लिए नेशनल फिल्म अवार्ड फॉर बेस्ट एक्टर 1995 - उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश का श्रेष्ट नागरिक सम्मान 'यश भारती सम्मान' 1997 - 'प्रतिष्ठति पूर्व छात्र अवार्ड' राजधानी के सबसे बड़े केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्लेटिनम जुबली उद्घाटन समारोह के मौके पर 2000 - फिल्मफेयर सुपर स्टार ऑफ द मिलेनियम फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर अवार्ड फिल्म मोहब्बतें के लिए आईआईएफए स्पेशल ऑनररी अवार्ड बेस्ट आर्टिस्ट ऑफ मिलेनियम, हीरो हंडा एंड फाइल स्टारडस्ट मैग्जीन द्वारा बॉलीवुड पीपुल्स च्वाइस अवार्ड्स: बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर फॉर मोहब्बतें आल इंडिया क्रिटिक्स एसोसिएशन (aica): बेस्ट एक्टर अवार्ड सूर्यवंशम के लिए सैंसुई व्यूवर्स च्वाइस अवार्ड्स: बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर मोहब्बते के लिए स्क्रीन वीडियोकॉन अवार्डस: बेस्ट एक्टर अवार्ड कौन बनेगा करोड़पति के लिए 2001 - इंडियन टैली अवार्ड: टीवी पर्सनैलिटी ऑफ द इयर कौन बनेगा करोड़पति के लिए हीरो-हंडा इंडियन टेलीविजन अकाडमी अवार्ड: बेस्ट हॉस्ट फॉर कौन बनेगा करोड़पति जी गोल्ड अवार्डस: क्रिटिक्स अवार्डस फॉर बेस्ट मेल फार मोहब्बतें आईआईएफए बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर अवार्ड फॉर मोहब्ब्तें बॉलीवुड मूवी अवार्ड: क्रिटिक्स अवार्ड मेल फार मोहब्बतें फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवार्ड फार बेस्ट परफार्मेंस फार अक्स पद्मभूषण, भारत सरकार द्वारा, इंडिया का तीसरा बड़ा नागरिक सम्मान 2002 दयावती मोदी अवार्ड, भारत में कला संस्कृति और शिक्षा के क्षेत्र से जुडा़ बड़ा सम्मान राष्ट्रीय किशोर कुमार अवार्ड, मध्य प्रदेश सरकार द्वारा, बेहतरीन अभिनय और फिल्म इंडस्ट्री में योगदान के लिए आईआईएफए पर्सनाल्टी आफ द ईयर आईकान ऑफ द मिलेनियम अवार्ड 32वें रूपा एआईएफए अवार्ड बांद्रा में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड सैंसुई व्यूवर्स च्वाइस मूवी अवार्डस द्वारा इंडियन टेलीविजन: बेस्ट टेलीविजन एंकर अवार्ड कौन बनेगा करोड़पति के लिए इंडियन टेली अवार्ड्स: टीवी एंकर आफ द ईयर फार कौन बनेगा करोड़पति के लिए 2003 एमटीवी लाइक्रा अवार्ड्स: महा स्टाइल आईकान ऑफ द इयर (पहले प्राप्तकर्ता) बॉलीवुड का लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्डस: लंदन बेस्ड एशियन गिल्ड द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड: संगीत सेरेमनी अवार्ड में फिल्मफेयर पावर अवार्ड स्टार स्क्रीन अवार्ड जोड़ी नं-1 हेमामालिनी के साथ, बागबां के लिए डिस्टिंक्शन इन एक्टिंग अवार्ड फार बागबां स्टारडस्ट अवार्ड फार लाइफटाइम अचीवमेंट सत्यजीत रे लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड जी सिने अवार्ड फार लाइफटाइम अचीवमेंट बॉलीवुड मूवी अवार्ड: मोस्ट सेंसेनल एक्टर फार कांटे एफपीएफएसी अचीवर अवार्डस: अचीवर ऑफ द ईयर अवार्ड 2004 गोल्डन ग्रेड अवार्ड स्पेशल अवार्ड फार द फिल्म बागबां मोस्ट आउटस्टैंडिंग परसनैलिटी रेडियो वाइस ऑफ द ईयर अवार्ड सैंसुई व्यूवर्स च्वाइस मूवी अवार्डस: पर्सनैल्टी ऑफ द ईयर स्पोर्ट्स वर्ल्डस जोड़ी ऑफ द ईयर हेमामालिनी के साथ बागबां के लिए आनररी डॉक्टरेट झांसी विश्वविद्यालय द्वारा लिविंग लीजेंड अवार्ड फिक्की द्वारा 2005 दीनानाथ मंगेशकर अवार्ड फिल्म और संगीत में योगदान के लिए स्टार स्क्रीन अवार्ड बेस्ट एक्टर फार ब्लैक फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवार्ड फार बेस्ट परफार्मेंस फार ब्लैक फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर अवार्ड फार ब्लैक स्पेशल अवार्ड फार द फिल्म ब्लैक बेस्ट एक्टर फार ब्लैक 'मोस्ट पापुलर स्टार इन इंडिया' हंसा रिसर्च के नये सिंडिकेटेड स्टडी सेलेब्रटी ट्रैक में आंके गए द इंटरनेशनल जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट द्वारा डायमंड ऑफ इंडिया अवार्ड इंडियन टेली अवार्डस: बेस्ट एंकर अवार्ड फार कौन बनेगा करोड़पति-2 2006 स्टारडस्ट स्टार ऑफ द इयर अवार्ड- मेल फॉर ब्लैक नेशनल फिल्म अवार्ड फार बेस्ट एक्टर फार ब्लैक आईआईएफए वाल ऑफ फेम आइफा बेस्ट एक्टर अवार्ड फार ब्लैक बॉलीवुड मूवी अवार्ड- बेस्ट एक्टर फार ब्लैक अप्सरा अवार्ड: बेस्ट एक्टर फार ब्लैक जी सिने अवार्ड बेस्ट एक्टर: मेल फार ब्लैक बॉलीविस्टा फिल्म अवार्ड्स: बेस्ट एक्टर फार ब्लैक बॉलीवुड पीपुल्स च्वाइस अवार्ड्स: बेस्ट एक्टर फार ब्लैक रेडिफ मूवी अवार्ड्स: बेस्ट एक्टर फार ब्लैक लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड: एएक्सएन एक्शन अवार्डस पर आनररी डॉक्टरेट डिग्री अपने अल्मा मटर दिल्ली यूनिवर्सिटी द्वारा 2007 भारतीय सिनेमा में योगदान के लिए स्पेशल अवार्ड नौवें एमएएमआई के मौके पर चीनी कम के लिए स्टार स्क्रीन अवार्ड्स फार बेस्ट एक्टर (क्रिटिक्स) इंडियन टेलीविजन अकाडमी अवार्ड फार अचीविंग द अल्टीमेट एमीनेंस इन द वर्ल्ड ऑफ इंटरटेनमेंट 2009 स्टारडस्ट बेस्ट एक्टर अवार्ड फार द लास्ट लीयर इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में 40 साल पूरे करने पर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड 11 वें एमएएमआई के मौके पर मोस्ट पावरफुल एंटरटेनर ऑफ द डिकेड अवार्ड भारतीय सिनेमा में योगदान के लिए, आईफा-फिक्की द्वारा दशक के 5 सबसे प्रभावशाली भारतीयों में शुमार 2010 लाइंस गोल्ड अवार्ड: बेस्ट एक्टर फार पा फिक्की फ्रेम्स 2010 एक्सीलेंस अवार्डस: बेस्ट एक्टर फार पा टाइमलेस आईकान अवार्ड एट द हेलो हाल ऑफ फेम लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड मसाला अवार्ड के मौके पर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड एशियानेट फिल्म अवार्डस द्वारा स्टारडस्ट स्टार ऑफ द इयर अवार्ड- मेल फार पा नेशनल फिल्म अवार्ड फार बेस्ट एक्टर फार पा आइफा बेस्ट एक्टर अवार्ड फार पा स्टार स्क्रीन अवार्ड बेस्ट एक्टर फार पा स्टार स्क्रीन अवार्ड जोड़ी नं-1 अभिषेक बच्चन के साथ पा के लिए अप्सरा अवार्डस: लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड्स 2011 अप्सरा अवार्ड्स: बेस्ट एक्टर फार पा फिल्मफेयर स्पेशल अवार्ड भारतीय फिल्म उद्योग में 40 साल पूरा करने पर स्टारडस्ट प्राइड ऑफ इंडस्ट्री अवार्ड  .

मैं तो इतना ही कह सकता हूँ.
तुम जियो हजारों साल ,साल के दिन हों पचास हज़ार !!!

06 अक्टूबर, 2012

भगवान परशुराम



 भगवान परशुराम

राजा प्रसेनजित की पुत्री रेणुका और भृगुवंशीय जमदग्नि के पुत्र, विष्णु के अवतार परशुराम शिव के परम भक्त थे। इन्हें शिव से विशेष परशु प्राप्त हुआ था। इनका नाम तो राम था, किन्तु शंकर द्वारा प्रदत्त अमोघ परशु को सदैव धारण किये रहने के कारण ये प
रशुराम कहलाते थे। विष्णु के दस अवतारों में से छठा अवतार, जो वामन एवं रामचन्द्र के मध्य में गिने जाता है। जमदग्नि के पुत्र होने के कारण ये जामदग्न्य भी कहे जाते हैं। इनका जन्म अक्षय तृतीया (वैशाख शुक्ल तृतीया) को हुआ था। अत: इस दिन व्रत करने और उत्सव मनाने की प्रथा है। परम्परा के अनुसार इन्होंने क्षत्रियों का अनेक बार विनाश किया। क्षत्रियों के अहंकारपूर्ण दमन से विश्व को मुक्ति दिलाने के लिए इनका जन्म हुआ था।
मातृ-पितृ भक्त परशुराम-
उनकी माँ जल का कलश लेकर भरने के लिए नदी पर गयीं। वहाँ गंधर्व चित्ररथ अप्सराओं के साथ जलक्रीड़ा कर रहा था। उसे देखने में रेणुका इतनी तन्मय हो गयी कि जल लाने में विलंब हो गया तथा यज्ञ का समय व्यतीत हो गया। उसकी मानसिक स्थिति समझकर जमदग्नि ने अपने पुत्रों को उसका वध करने के लिए कहा। परशुराम के अतिरिक्त कोई भी ऐसा करने के लिए तैयार नहीं हुआ। पिता के कहने से परशुराम ने माँ का वध कर दिया। पिता के प्रसन्न होने पर उन्होंने वरदान स्वरूप उनका जीवित होना माँगा।
पिता से प्राप्त वरदान-
परशुराम के पिता ने क्रोध के आवेश में बारी-बारी से अपने चारों बेटों को माँ की हत्या करने का आदेश दिया। परशुराम के अतिरिक्त कोई भी तैयार न हुआ। अत: जमदग्नि ने सबको संज्ञाहीन कर दिया। परशुराम ने पिता की आज्ञा मानकर माता का शीश काट डाला। पिता ने प्रसन्न होकर वर माँगने को कहा तो उन्होंने चार वरदान माँगे-
माँ पुनर्जीवित हो जायँ,
उन्हें मरने की स्मृति न रहे,
भाई चेतना-युक्त हो जायँ और
मैं परमायु होऊँ।
जमदग्नि ने उन्हें चारों वरदान दे दिये।
क्रोधी स्वभाव-
दुर्वासा की भाँति ये भी अपने क्रोधी स्वभाव के लिए विख्यात है। एक बार कार्त्तवीर्य ने परशुराम की अनुपस्थिति में आश्रम उजाड़ डाला था, जिससे परशुराम ने क्रोधित हो उसकी सहस्त्र भुजाओं को काट डाला। कार्त्तवीर्य के सम्बन्धियों ने प्रतिशोध की भावना से जमदग्नि का वध कर दिया। इस पर परशुराम ने 21 बार पृथ्वी को क्षत्रिय-विहीन कर दिया (हर बार हताहत क्षत्रियों की पत्नियाँ जीवित रहीं और नई पीढ़ी को जन्म दिया) और पाँच झीलों को रक्त से भर दिया। अंत में पितरों की आकाशवाणी सुनकर उन्होंने क्षत्रियों से युद्ध करना छोड़कर तपस्या की ओर ध्यान लगाया।
रामावतार में रामचन्द्र द्वारा शिव का धनुष तोड़ने पर ये क्रुद्ध होकर आये थे। इन्होंने परीक्षा के लिए उनका धनुष रामचन्द्र को दिया। जब राम ने धनुष चढ़ा दिया तो परशुराम समझ गये कि रामचन्द्र विष्णु के अवतार हैं। इसलिए उनकी वन्दना करके वे तपस्या करने चले गये। 'कहि जय जय रघुकुल केतू। भुगुपति गए बनहि तप हेतु॥' यह वर्णन 'राम चरितमानस', प्रथम सोपान में 267 से 284 दोहे तक मिलता है।
संस्थापक-
परशुराम मालाबार के पारंपरिक संस्थापक माने जाते हैं।
यज्ञ-
परशुराम ने अपने जीवनकाल में अनेक यज्ञ किए। यज्ञ करने के लिए उन्होंने बत्तीस हाथ ऊँची सोने की वेदी बनवायी थी। महर्षि कश्यप ने दक्षिण में पृथ्वी सहित उस वेदी को ले लिया तथा फिर परशुराम से पृथ्वी छोड़कर चले जाने के लिए कहा। परशुराम ने समुद्र पीछे हटाकर गिरिश्रेष्ठ महेंद्र पर निवास किया।
राम के पराक्रम की परीक्षा-
राम का पराक्रम सुनकर वे अयोध्या गये। दशरथ ने उनके स्वागतार्थ रामचन्द्र को भेजा। उन्हें देखते ही परशुराम ने उनके पराक्रम की परीक्षा लेनी चाही। अतः उन्हें क्षत्रियसंहारक दिव्य धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए कहा। राम के ऐसा कर लेने पर उन्हें धनुष पर एक दिव्य बाण चढ़ाकर दिखाने के लिए कहा। राम ने वह बाण चढ़ाकर परशुराम के तेज पर छोड़ दिया। बाण उनके तेज को छीनकर पुनः राम के पास लौट आया। राम ने परशुराम को दिव्य दृष्टि दी। जिससे उन्होंने राम के यथार्थ स्वरूप के दर्शन किये। परशुराम एक वर्ष तक लज्जित, तेजहीन तथा अभिमानशून्य होकर तपस्या में लगे रहे। तदनंतर पितरों से प्रेरणा पाकर उन्होंने वधूसर नामक नदी के तीर्थ पर स्नान करके अपना तेज पुनः प्राप्त किया।
परशुराम कुंड-

परशुराम कुंड नामक तीर्थस्थान में पाँच कुंड बने हुए हैं। परशुराम ने समस्त क्षत्रियों का संहार करके उन कुंडों की स्थापना की थी तथा अपने पितरों से वर प्राप्त किया था कि क्षत्रिय संहार के पाप से मुक्त हो जायेंगे।

काशी महात्म

 
 
काशी महात्म
यह विश्वनाथ की काशी है, रक्षक इसका अविनाशी है /
"सर्वं सविघ्नंमोक्षाय साध्नाङ्काशिकां बिना /
काशी निर्विघ्नजननी कशीमोक्षस्य सत्खनिः //" काशी रहस्य १३.८३
काशी के बिना सभी साधन मोक्ष के विघ्न हैं, काशी निर्विघ्नता की जननी है, और काशी मोक्ष की खान है /
जो गति अगम महामुनि दुर्लभ, कहत संत श्रुति सकल पुराण /
सो गति मरण काल अपने पुर, देत सदा शिव सबहीं समान //
जोग कोटि करी जो गति हरि सों, मुनि मांगत सकुचाहीं /
वेद विदित तेहि पद पुरारी पुर, कीट पतंग समाहीं //

03 अक्टूबर, 2012

शरीर के अंगों पर तिल का मतलब

शरीर के अंगों पर तिल का मतलब
शरीर के विभिन्न अंगों पर तिल के निशान को लेकर अनेक प्रकार की धारणाएं देखने, सुनने और पढ़ने को मिलती है। बदन पर तिल होने पर यह भी कहा जाता है कि उक्त स्थान पर व्यक्ति को पूर्व जन्म में चोट लगी थी। इस तरह की कई बातें तिल के बारे में प्रचलित हैं। आइए नजर डालते हैं, ऐसी कुछ धारणाओं पर -

  • ?जिनके दायें कंधे पर तिल होता है, वे दृढ संकल्पित होते हैं।
  • ?यदि तिल पर बाल हो, तो वो शुभ नहीं माना जाता और न ही अच्छा लगता है।
  • ?तिल यदि बड़ा हो, तो शुभ होने के साथ सगुन बढ़ाता है।
  • ?तिल गहरे रंग का हो, तो माना जाता है कि बड़ी बाधाएं सामने आएंगी।
  • ?हल्के रंग का तिल सकारात्मक विशेषता का सूचक माना जाता है।
  • ?जिस व्यक्ति के ललाट पर दायीं तरफ तिल हो, उसे प्रतिभा का धनी माना जाता है और बायीं तरफ होने पर उसे फिजूलखर्च व्यक्ति माना जाता है। जिसके ललाट के मध्य में तिल हो, उस व्यक्ति को अच्छा प्रेमी माना जाता है।
  • ?दायीं गाल पर तिल हो, वैवाहिक जीवन सफल रहता है। बायीं गाल पर तिल संघर्षपूर्ण जीवन का द्योतक है।
  • ?जिस व्यक्ति के होंठों पर तिल होता है, उसे विलासी प्रवृत्ति का माना जाता है।
  • ?ठोड़ी पर तिल इस बात का सूचक है कि व्यक्ति सफल और संतुष्ट है।
  • ?आंख पर तिल हो, तो माना जाता है कि व्यक्ति कंजूस प्रवृत्ति का है।
  • ?पलकों पर तिल होना इस बात का द्योतक है कि व्यक्ति संवेदनशील और एकांतप्रिय है।
  • ?कान पर तिल इस बात का सूचक है कि व्यक्ति धीर, गंभीर और विचारशील है।
  • ?नाक पर तिल होने पर माना जाता है कि व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल होगा।
  • ?गर्दन पर तिल वाला वाला व्यक्ति अच्छा दोस्त होता है।
  • ?कूल्हे पर तिल होने पर माना जाता है कि व्यक्ति शारिरिक व मानसिक दोनों स्तर पर परिश्रमी होता है।
  • ?जिसके मुंह के पास तिल होता है, वह एक न एक दिन धन प्राप्त करता है।
  • ?जिसके आंख के अंदर तिल हो, वह व्यक्ति कोमल हृदय अर्थात भावुक होता है।
  • ?दायीं भौं पर तिल वाले व्यक्ति का वैवाहिक जीवन सफल रहता है।
  • ?टखना पर तिल इस बात का सूचक है कि आदमी खुले विचारों वाला है।
  • ?जोड़ों पर तिल होना शारिरिक दुर्बलता की निशानी माना जाता है।
  • ?पांव पर तिल लापरवाही का द्योतक है।
  • ?नाभि पर तिल मनमौजी प्रवृत्ति का संकेत है।
  • ?कोहनी पर तिल होना विद्वान होने का संकेत है।
  • ?कमर पर दायीं ओर तिल होना यह दर्शाता है कि व्यक्ति अपनी बात पर अटल रहने वाला और सच्चाई पसंद करने वाला है।
  • ?जिसके घुटने पर तिल हो, वह व्यक्ति सफल वैवाहिक जीवन जीता है।
  • ?जिसके बायें कंधे पर तिल होता है, वह व्यक्ति क्रोधी स्वभाव का होता है।
  • ?कंधे और कोहनी के मध्य तिल होने पर माना जाता है कि व्यक्ति में उत्सुक प्रवृत्ति का है।
  • ?जिस व्यक्ति के कोहनी और पोंहचे के मध्य कहीं तिल होता है, वह रोमांटिक प्रवृत्ति का होता है।

29 सितंबर, 2012

पिता जी की पुण्य तिथि



Saturday, 29 September 2012







Birth:. 1 July 1940                                                                        Death :29 September 2004

 Saturday, 29 September 2012
स्व.श्री अवधेश कुमार तिवारी



Birth:. 1 July 1940                                                                        Death :29 September 2004


 Saturday, 29 September 2012
स्व.श्री अवधेश कुमार तिवारी
आज मेरे स्वर्गीय पूज्य पिता जी की पुण्य तिथि है.आज ही के दिन,9 वर्ष पूर्व 2004, प्रकृति ने उनके स्थूल शारीर को ब्रह्मांड का अंग बना लिया,अब वे ग्रह नक्षत्रों के बीच मन की कल्पना में समाहित हो लिए। जीवन की तपीस से अगर कहीं बट बृक्ष था तो वह पिताजी थे । जो छांह थी वो अब जाती रही,  सायंकाल उनका गोरखपुर में निधन हो गया था.पुणे से सुबह ही पहुंचा था.दिन भर उनके साथ रहने का योग मिला था.वह दिन मैं प्रतिदिन याद रखना चाहता हूँ , लेकिन ऐषा संभव नहीं हो पता है .  

मै शरीर  की नश्वरता को भी जानता हूँ,किन्तु अचेतन मन में उनके अस्तित्वहीन होने का बोध कभी होता ही नहीं था,अचेतन में पिता जी  अस्तित्वहिन् होने के बोध के बीच की खायी को पाटने का प्रयाश कर रहा हूँ।एक व्यक्ति के रूप में मैंने जब भी मूल्यांकन किया है मै शब्दों में उन्हें संत कह सकता हूँ।शुद्ध अन्तःकरण पिताजी जी ग्रहस्थ जीवन के संत थे,अपनी जागतिक जिम्मेदारियों का निर्वहन सुचिता पूर्वक करते हुए जीवन के युद्ध में घमासान करते रहे और एक अपराजेय योद्ध की तरह वे अपनी परिस्थियों से जूझते रहे।जय पराजय के बोध से मुक्त सिर्फ योद्धा की तरह जीवन संग्राम में अपनी जिजीविषा उद्दाम प्राणवत्ता के साथ दो -दो हाथ करते रहे वे निम्न मध्यवर्गीय परिवार के होते हुए तमाम विपरीत आर्थिक परिस्थितियों के होते हुए भी अपने पुत्रों में अपने जीवन की जीत देखते रहे।जबकि पुत्र के रूप में मेरी भी भूमिका उसी स्वर लय ताल में आबद्ध हुयी जैसी की उनकी खुद की जीवन परिथितियाँ थी,आज जब मै एक पिता के रूप में पिता जी की जगह ले चूका हूँ इस बीच पुत्र से पिता होने की यात्रा कितनी जटिल है ,से परिचित हो रहा हूँ।
 पिताजी एक कविता प्रति क्षण जीवन का रहस्य समझाने  की चेष्टा करती रहती है,




सपना क्या है?

देख रहा हूँ, सपना क्या है?
सपना है ,तो अपना क्या है ?
घिरा हुआ ,अविरल घेरे में ,
कैसे जानूँ , क्या तेरे में ?
बंधन चक्कर, जब अजेय है,
निस वासर, ये तपना क्या है?
देख रहा हूँ, सपना क्या है.
सपना है, तो अपना क्या है?

राजा था ,क्यों रंक हो गया ?
ज्ञानी था, तो कहाँ खो गया ?
पता नहीं ,जब कोई किसी का,
नाम लिए ,और जपना क्या है?
देख रहा हूँ, सपना क्या है........

पाना खोना, खोना पाना,
क्या कैसा है ,किसने जाना ?
सब कुछ है ,और कुछ भी नहीं है ,
ऐसे में ये, कल्पना क्या है ?
देख रहा हूँ ,सपना क्या है.........

क्या जानूँ , की सत्य कौन है ?
समझ न पाऊं, दिष्टि मौन है .
शांति चित्त बन जाये जिस छन ,
अति आनंद बरसना क्या है ?
देख रहा हूँ .............

यह भी मैं, और वह भी मैं हूँ,
जड़ भी मैं ,और चेतन मैं हूँ .
समय चक्र का, फंदा सारा,
सृस्ती जगत , भरमना क्या है ?
देख रहा हूँ ,सपना क्या है,
सपना है तो अपना क्या है ?


-अवधेश कुमार तिवारी
अश्रु पूरित नेत्रों से विनम्र श्रद्धांजलि............अब शब्द नहीं है..........................



There are no words to describe what our family lost on September29, 2004. This man truly understood what fatherhood was all about. Firstly, he loved God and thanked him daily for the blessings he has bestowed upon his life.
Today is the 9th death anniversary of my beloved father Late Shree Awadhesh Kumar Tiwari.
I stood at home, alone, gazing into the distance, thinking of him, his life, and the end that one day comes too soon.
He literally cashed in his life's savings and brought them over to give everything to us.
Here's to us always being true to ourselves, even when we're the last ones standing at the land's end of our own lives.
He was a model of humility, strength, determination, and hope. He died at the age of 64.
We all four brothers deeply thank my father for teaching and demonstrating honesty, faith, courage, strength and endurance.




यादें .....

अपनी यादें अपनी बातें लेकर जाना भूल गए  जाने वाले जल्दी में मिलकर जाना भूल गए  मुड़ मुड़ कर पीछे देखा था जाते ...