23 मार्च, 2012

HINDU NAV VARSH

जैसे ईसा (अंग्रेजी), चीन या अरब का कैलेंडर है उसी तरह राजा विक्रमादित्य के काल में भारतीय वैज्ञानिकों ने इन सबसे पहले ही भारतीय कैलेंडर विकसित किया था। इस कैलेंडर की शुरुआत हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से मानी जाती है।



मार्च माह से ही दुनियाभर में पुराने कामकाज को समेटकर नए कामकाज की रूपरेखा तय की जाती है। इस धारणा का प्रचलन विश्व के प्रत्येक देश में आज भी जारी है। 21 मार्च को पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर पूरा कर लेती है, ‍उस वक्त दिन और रात बराबर होते हैं।


12 माह का एक वर्ष और 7 दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत से ही शुरू हुआ। महीने का हिसाब सूर्य व चंद्रमा की गति पर रखा जाता है। विक्रम कैलेंडर की इस धारणा को यूनानियों के माध्यम से अरब और अंग्रेजों ने अपनाया। बाद में भारत के अन्य प्रांतों ने अपने-अपने कैलेंडर इसी के आधार पर विकसित किए।



प्राचीन संवत :

विक्रम संवत से पूर्व 6676 ईसवी पूर्व से शुरू हुए प्राचीन सप्तर्षि संवत को हिंदुओं का सबसे प्राचीन संवत माना जाता है, जिसकी विधिवत शुरुआत 3076 ईसवी पूर्व हुई मानी जाती है।



सप्तर्षि के बाद नंबर आता है कृष्ण के जन्म की तिथि से कृष्ण कैलेंडर का फिर कलियुग संवत का। कलियुग के प्रारंभ के साथ कलियुग संवत की 3102 ईसवी पूर्व में शुरुआत हुई थी।



विक्रम संवत :

इसे नव संवत्सर भी कहते हैं। संवत्सर के पाँच प्रकार हैं सौर, चंद्र, नक्षत्र, सावन और अधिमास। विक्रम संवत में सभी का समावेश है। इस विक्रम संवत की शुरुआत 57 ईसवी पूर्व में हुई। इसको शुरू करने वाले सम्राट विक्रमादित्य थे इसीलिए उनके नाम पर ही इस संवत का नाम है। इसके बाद 78 ईसवी में शक संवत का आरम्भ हुआ।



नव संवत्सर :

जैसा ऊपर कहा गया कि वर्ष के पाँच प्रकार होते हैं। मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क आदि सौरवर्ष के माह हैं। यह 365 दिनों का है। इसमें वर्ष का प्रारंभ सूर्य के मेष राशि में प्रवेश से माना जाता है। फिर जब मेष राशि का पृथ्वी के आकाश में भ्रमण चक्र चलता है तब चंद्रमास के चैत्र माह की शुरुआत भी हो जाती है। सूर्य का भ्रमण इस वक्त किसी अन्य राशि में हो सकता है।



चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ आदि चंद्रवर्ष के माह हैं। चंद्र वर्ष 354 दिनों का होता है, जो चैत्र माह से शुरू होता है। चंद्र वर्ष में चंद्र की कलाओं में वृद्धि हो तो यह 13 माह का होता है। जब चंद्रमा चित्रा नक्षत्र में होकर शुक्ल प्रतिपदा के दिन से बढ़ना शुरू करता है तभी से हिंदू नववर्ष की शुरुआत मानी गई है।



सौरमास 365 दिन का और चंद्रमास 355 दिन का होने से प्रतिवर्ष 10 दिन का अंतर आ जाता है। इन दस दिनों को चंद्रमास ही माना जाता है। फिर भी ऐसे बढ़े हुए दिनों को मलमास या अधिमास कहते हैं।



लगभग 27 दिनों का एक नक्षत्रमास होता है। इन्हें चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा आदि कहा जाता है। सावन वर्ष 360 दिनों का होता है। इसमें एक माह की अवधि पूरे तीस दिन की होती है।



नववर्ष की शुरुआत का महत्व:

नववर्ष को भारत के प्रांतों में अलग-अलग तिथियों के अनुसार मनाया जाता है। ये सभी महत्वपूर्ण तिथियाँ मार्च और अप्रैल के महीने में आती हैं। इस नववर्ष को प्रत्येक प्रांत में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। फिर भी पूरा देश चैत्र माह से ही नववर्ष की शुरुआत मानता है और इसे नव संवत्सर के रूप में जाना जाता है। गुड़ी पड़वा, होला मोहल्ला, युगादि, विशु, वैशाखी, कश्मीरी नवरेह, उगाडी, चेटीचंड, चित्रैय तिरुविजा आदि सभी की तिथि इस नव संवत्सर के आसपास ही आती है।



इस विक्रम संवत में नववर्ष की शुरुआत चंद्रमास के चैत्र माह के उस दिन से होती है जिस दिन ब्रह्म पुराण अनुसार ब्रह्मा ने सृष्टि रचना की शुरुआत की थी। इसी दिन से सतयुग की शुरुआत भी मानी जाती है। इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। इसी दिन से नवरात्र की शुरुआत भी मानी जाती है। इसी दिन को भगवान राम का राज्याभिषेक हुआ था और पूरे अयोध्या नगर में विजय पताका फहराई गई थी। इसी दिन से रात्रि की अपेक्षा दिन बड़ा होने लगता है।



ज्योतिषियों के अनुसार इसी दिन से चैत्री पंचांग का आरम्भ माना जाता है, क्योंकि चैत्र मास की पूर्णिमा का अंत चित्रा नक्षत्र में होने से इस चैत्र मास को नववर्ष का प्रथम दिन माना जाता है।



नववर्ष मनाने की परंपरा :

रात्रि के अंधकार में नववर्ष का स्वागत नहीं होता। नया वर्ष सूरज की पहली किरण का स्वागत करके मनाया जाता है। नववर्ष के ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से घर में सुगंधित वातावरण कर दिया जाता है। घर को ध्वज, पताका और तोरण से सजाया जाता है।



ब्राह्मण, कन्या, गाय, कौआ और कुत्ते को भोजन कराया जाता है। फिर सभी एक-दूसरे को नववर्ष की बधाई देते हैं। एक दूसरे को तिलक लगाते हैं। मिठाइयाँ बाँटते हैं। नए संकल्प लिए जाते हैं।
आज से "भारतीय-नववर्ष" प्रारंभ हो रहा है!आप सब को बधाई अपने "नए-साल" की ! नवरात्र , चैत्र प्रतिपदा, नव- सम्वतसर 'विश्वावसु' 2069 (23 मार्च)!अंग्रेजी में मार्च का मतलब होता है,शुरू करना!गिनिये ज़रा मार्च से, सातवाँ महीना सितम्बर,आठवाँ 'अष्ट-म्बर', नौवां 'नवम-बर' दसवाँ 'दशम-बर' होता है!

21 मार्च, 2012

GURU KUL SHIKSHA


 पढ़ते सैकड़ो शिष्य थे पर फ़ीस ली जाती नहीं,
यह उच्च शिक्षा तुक्छ धन पर बेच दी जाती नहीं.
-----मैथिली  शरण गुप्त - भारत भारती
1850 तक इस देश में 7 लाख 32 हजार गुरुकुल हुआ करते थे और उस समय इस देश में गाँव थे 7 लाख 50 हजार, मतलब हर गाँव में औसतन एक गुरुकुल और ये जो गुरुकुल होते थे वो सब के सब आज की भाषा में Higher Learning Institute हुआ करते थे उन सबमे 18 विषय पढाया जाता था, और ये गुरुकुल समाज के लोग मिल के चलाते थे न कि राजा, महाराजा, और इन गुरुकुलों में शिक्षा निःशुल्क दी जाती थी |

‎*Indian Education Act -* 1858 में Indian Education Act बनाया गया | इसकी ड्राफ्टिंग लोर्ड मैकोले ने की थी | लेकिन उसके पहले उसने यहाँ (भारत) के शिक्षा व्यवस्था का सर्वेक्षण कराया था, उसके पहले भी कई अंग्रेजों ने भारत के शिक्षा व्यवस्था के बारे में अपनी रिपोर्ट दी थी | अंग्रेजों का एक अधिकारी था G.W.Litnar और दूसरा था T...  V*Indian Education Act -* 1858 में Indian Education Act बनाया गया | इसकी ड्राफ्टिंग लोर्ड मैकोले ने की थी | लेकिन उसके पहले उसने यहाँ (भारत) के शिक्षा व्यवस्था का सर्वेक्षण कराया था, उसके पहले भी कई अंग्रेजों ने भारत के शिक्षा व्यवस्था के बारे में अपनी रिपोर्ट दी थी | अंग्रेजों का एक अधिकारी था G.W.Litnar और दूसरा था Thomas Munro, दोनों ने अलग अलग इलाकों का अलग-अलग समय सर्वे किया था | 1823 के आसपास की बात है ये | Litnar , जिसने उत्तर भारत का सर्वे किया था, उसने लिखा है कि यहाँ 97% साक्षरता है और Munro, जिसने दक्षिण भारत का सर्वे किया था, उसने लिखा कि यहाँ तो 100 % साक्षरता है, और उस समय जब भारत में इतनी साक्षरता है | और मैकोले का स्पष्ट कहना था कि भारत को हमेशा-हमेशा के लिए अगर गुलाम बनाना है तो इसकी देशी और सांस्कृतिक शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह से ध्वस्त करना होगा और उसकी जगह अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था लानी होगी और तभी इस देश में शरीर से हिन्दुस्तानी लेकिन दिमाग से अंग्रेज पैदा होंगे और जब इस देश की यूनिवर्सिटी से निकलेंगे तो हमारे हित में काम करेंगे, और मैकोले एक मुहावरा इस्तेमाल कर रहा है "कि जैसे किसी खेत में कोई फसल लगाने के पहले पूरी तरह जोत दिया जाता है वैसे ही इसे जोतना होगा और अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था लानी होगी " | इसलिए उसने सबसे पहले गुरुकुलों को गैरकानूनी घोषित किया, जब गुरुकुल गैरकानूनी हो गए तो उनको मिलने वाली सहायता जो समाज के तरफ से होती थी वो गैरकानूनी हो गयी, फिर संस्कृत को गैरकानूनी घोषित किया, और इस देश के गुरुकुलों को घूम घूम कर ख़त्म कर दिया उनमे आग लगा दी, उसमे पढ़ाने वाले गुरुओं को उसने मारा-पीटा, जेल में डाला | 1850 तक इस देश में 7 लाख 32 हजार गुरुकुल हुआ करते थे और उस समय इस देश में गाँव थे 7 लाख 50 हजार, मतलब हर गाँव में औसतन एक गुरुकुल और ये जो गुरुकुल होते थे वो सब के सब आज की भाषा में Higher Learning Institute हुआ करते थे उन सबमे 18 विषय पढाया जाता था, और ये गुरुकुल समाज के लोग मिल के चलाते थे न कि राजा, महाराजा, और इन गुरुकुलों में शिक्षा निःशुल्क दी जाती थी | इस तरह से सारे गुरुकुलों को ख़त्म किया गया और फिर अंग्रेजी शिक्षा को कानूनी घोषित किया गया और कलकत्ता में पहला कॉन्वेंट स्कूल खोला गया, उस समय इसे फ्री स्कूल कहा जाता था, इसी कानून के तहत भारत में कलकत्ता यूनिवर्सिटी बनाई गयी, बम्बई यूनिवर्सिटी बनाई गयी, मद्रास यूनिवर्सिटी बनाई गयी और ये तीनों गुलामी के ज़माने के यूनिवर्सिटी आज भी इस देश में हैं | और मैकोले ने अपने पिता को एक चिट्ठी लिखी थी बहुत मशहूर चिट्ठी है वो, उसमे वो लिखता है कि "इन कॉन्वेंट स्कूलों से ऐसे बच्चे निकलेंगे जो देखने में तो भारतीय होंगे लेकिन दिमाग से अंग्रेज होंगे और इन्हें अपने देश के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने संस्कृति के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने परम्पराओं के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने मुहावरे नहीं मालूम होंगे, जब ऐसे बच्चे होंगे इस देश में तो अंग्रेज भले ही चले जाएँ इस देश से अंग्रेजियत नहीं जाएगी " और उस समय लिखी चिट्ठी की सच्चाई इस देश में अब साफ़-साफ़ दिखाई दे रही है | और उस एक्ट की महिमा देखिये कि हमें अपनी भाषा बोलने में शर्म आती है, अंग्रेजी में बोलते हैं कि दूसरों पर रोब पड़ेगा, अरे हम तो खुद में हीन हो गए हैं जिसे अपनी भाषा बोलने में शर्म आ रही है, दूसरों पर रोब क्या पड़ेगा | लोगों का तर्क है कि अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है, दुनिया में 204 देश हैं और अंग्रेजी सिर्फ 11 देशों में बोली, पढ़ी और समझी जाती है, फिर ये कैसे अंतर्राष्ट्रीय भाषा है | शब्दों के मामले में भी अंग्रेजी समृद्ध नहीं दरिद्र भाषा है | इन अंग्रेजों की जो बाइबिल है वो भी अंग्रेजी में नहीं थी और ईशा मसीह अंग्रेजी नहीं बोलते थे | ईशा मसीह की भाषा और बाइबिल की भाषा अरमेक थी | अरमेक भाषा की लिपि जो थी वो हमारे बंगला भाषा से मिलती जुलती थी, समय के कालचक्र में वो भाषा विलुप्त हो गयी | संयुक्त राष्ट संघ जो अमेरिका में है वहां की भाषा अंग्रेजी नहीं है, वहां का सारा काम फ्रेंच में होता है | जो समाज अपनी मातृभाषा से कट जाता है उसका कभी भला नहीं होता और यही मैकोले की रणनीति थी |

03 मार्च, 2012

BHARTIY SANSKRITI

 अपनी भारत की संस्कृति को पहचाने ---
 दो पक्ष - कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष ! 
तीन ऋण - देव ऋण, पित्र ऋण एवं ऋषि त्रण!
 चार युग - सतयुग , त्रेता युग , द्वापरयुग एवं कलयुग ! 
चार धाम - द्वारिका , बद्रीनाथ, जगन्नाथ पूरी एवं रामेश्वरम धाम !
 चारपीठ - शारदा पीठ ( द्वारिका ), ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम), गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) एवं श्रन्गेरिपीठ ! 
चर वेद- ऋग्वेद , अथर्वेद, यजुर्वेद एवं सामवेद ! 
चार आश्रम - ब्रह्मचर्य , गृहस्थ , बानप्रस्थ एवं संन्यास ! 
चार अंतःकरण - मन , बुद्धि , चित्त , एवंअहंकार !
 पञ्च गव्य - गाय का घी , दूध , दही , गोमूत्र एवं गोबर , ! 
पञ्च देव - गणेश , विष्णु , शिव , देवी और सूर्य !
 पंच तत्त्व - प्रथ्वी , जल , अग्नि , वायु एवं आकाश ! 
छह दर्शन - वैशेषिक , न्याय , सांख्य, योग , पूर्व मिसांसा एवं दक्षिण मिसांसा !
 सप्त ऋषि - विश्वामित्र , जमदाग्नि , भरद्वाज , गौतम , अत्री , वशिष्ठ और कश्यप ! 
 सप्त पूरी - अयोध्या पूरी , मथुरा पूरी, माया पूरी ( हरिद्वार ) , कशी , कांची ( शिन कांची - विष्णु कांची ) , अवंतिकाऔर द्वारिका पूरी ! 
आठ योग - यम , नियम, आसन , प्राणायाम , प्रत्याहार , धारणा , ध्यान एवं समाधी! आठ लक्ष्मी - आग्घ , विद्या , सौभाग्य , अमृत , काम , सत्य , भोग , एवं योग लक्ष्मी !
 नव दुर्गा - शैल पुत्री , ब्रह्मचारिणी , चंद्रघंटा , कुष्मांडा, स्कंदमाता , कात्यायिनी , कालरात्रि ,महागौरी एवं सिद्धिदात्री !
 दस दिशाएं - पूर्व , पश्चिम , उत्तर , दक्षिण , इशान , नेत्रत्य , वायव्य आग्नेय ,आकाश एवं पाताल ! 
मुख्या ग्यारह अवतार - मत्स्य , कच्छप, बराह , नरसिंह , बामन , परशुराम , श्री राम , कृष्ण , बलराम , बुद्ध , एवं कल्कि! 
 बारह मास - चेत्र , वैशाख , ज्येष्ठ,अषाड़ , श्रावन , भाद्रपद , अश्विन , कार्तिक , मार्गशीर्ष . पौष , माघ , फागुन ! बारह राशी - मेष , ब्रषभ , मिथुन , कर्क ,सिंह , तुला , ब्रश्चिक , धनु , मकर , कुम्भ , एवं कन्या ! 
बारह ज्योतिर्लिंग - सोमनाथ , मल्लिकर्जुना , महाकाल , ओमकालेश्वर , बैजनाथ , रामेश्वरम , विश्वनाथ , त्रियम्वाकेश्वर , केदारनाथ , घुष्नेश्वर , भीमाशंकर एवं नागेश्वर !
 पंद्रह तिथियाँ - प्रतिपदा , द्वतीय , तृतीय , चतुर्थी , पंचमी , षष्ठी , सप्तमी , अष्टमी , नवमी , दशमी , एकादशी ,द्वादशी , त्रयोदशी , चतुर्दशी , पूर्णिमा , अमावश्या ! 
स्म्रतियां - मनु , विष्णु, अत्री , हारीत , याज्ञवल्क्य , उशना , अंगीरा , यम , आपस्तम्ब , सर्वत , कात्यायन , ब्रहस्पति , पराशर , व्यास , शांख्य , लिखित , दक्ष , शातातप , वशिष्ठ !

14 फ़रवरी, 2012

HOROSCOPE......

According to Vedic Astrology calculation your ascendant is in Libra Sign, your Moon Sign is Aquarius and your Vedic Sun Sign is Sagittarius. However, as per Western Astrology calculation your ascendant is in Scorpio Sign, your Moon Sign is Pisces and your Zodiac Sun Sign is Capricorn.

Dhana yoga brings material wealth and money, because it links the money houses 1, 2, 11, 5 and 9. The planetary positions and their combinations in an individual's birth chart signifies Dhana yoga or financial status of the individual. Your natal chart has indicated the following Wealth (Dhana) Yogas:

You have 3 no of Dhana Yogas in your chart. This yogas are formed between the following planets-

Mercury and Sun
Saturn and Mercury
Saturn and Sun

As per your Dasha System in your chart the next Dhana Yoga will be operative during the following periods.


From To
Friday, May 04, 2018 Thursday, September 20, 2018
Monday, April 29, 2019 Monday, June 17, 2019
Wednesday, May 11, 2022 Tuesday, May 31, 2022
Tuesday, May 31, 2022 Saturday, June 18, 2022
Wednesday, September 10, 2025 Thursday, November 06, 2025

02 फ़रवरी, 2012

GEM STONES....



Vedic astrology has not only helped people to determine what destiny has in store for them but it has also shown them the ways to avoid hurdles and achieve goals. This tool is known as Astrological remedy.
Wearing a remedy is important but more important is to wear the right remedy. This free astrology report will help you to find out which is the most suitable remedy for you in order to enhance your life.

Dignity Calculation
According to your Vedic birth chart the Dignity of each planets are as below. On the basis of their dignity each planet will act in your life and would give you the favourable/unfavourable results.
Planets
Dignity in your birth chart
Sun
Great Friend 
Moon
Friend 
Mars
Own Sign 
Mercury
Friend 
Jupiter
Neutral 
Venus
Great Friend 
Saturn
Friend 
Rahu
Own Sign 
Ketu
Own Sign 


Strength Calculation
According to your Vedic birth chart the strength of each planets are as below. The strength of any planet is an indication about the influance of that planet in your life if the same is effective in dasha period
Planets
Strength in the scale of 9
Sun
Moon
Mars
Mercury
Jupiter
Venus
Saturn
Rahu
Ketu
Remedy recommendation for Life Time
Planet Venus is the Lord of Ascendant in your Birth Chart. Planet Venus is a favourable planet for you, but it has an average strength in your birth chart. Gem therapy for this planet will definitely give better results during the main period of this planet. Therefore, Diamond or its alternative White Sapphire or Opal will be the most suitable remedy for you during your life time.

Remedy recommendation for present
According to the Vimshotari Dasha system of your birth chart currently you are under the main period of Mercury From Thursday, August 14, 2003. to Friday, August 14, 2020. Planet Mercury is a favourable planet for you and it also has very good strength in your birth chart. Though it is already giving you beneficial results in your life, however you can maximize its beneficial results by wearing a Emerald or its alternative Green Onyx . It will be the most suitable remedy for you during the main period of Mercury.

30 जनवरी, 2012

CAREER

Change in Career, when?


Although the presence of planets in house of profession in your birth chart effects your career the most but the lunar nodes Rahu - Ketu provides an unexpected triggering change to it, specially in their transit time.

In your Birth Chart planet Rahu/Ketu will transit through your 4th or 10th house from Ascendant or Moon sign during the below mentioned time period. Therefore these time periods would be trigger points to go for the change in your career with respect to job/profile/location.

1. Monday, January 30, 2012 to Tuesday, January 15, 2013
2. Monday, January 30, 2012 to Sunday, January 13, 2019

DHAN YOGA


According to Vedic Astrology calculation your ascendant is Libra Sign, your Moon Sign is Aquarius and your Vedic Sun Sign is Sagittarius. However, as per Western Astrology calculation your ascendant is Scorpio Sign, your Moon Sign is Pisces and your Zodiac Sun Sign is Capricorn.

As per your birth chart

Your score of house of income is 30 that is Good
Your score of house of expenditure is 31 that is In Control
Your score of house of wealth accumulation is 24 that is Average

Therefore, the above combination of the scores of income, expenditure and wealth houses indicates that although your scope for income generation is good but your expenditure level is very high, this will create obstruction in your path of wealth accumulation in life and you may not be able to have financial security throughout life.


Team Cyber Astro
January 30, 2012


According to Vedic Astrology calculation your ascendant is in Libra Sign, your Moon Sign is Aquarius and your Vedic Sun Sign is Sagittarius. However, as per Western Astrology calculation your ascendant is in Scorpio Sign, your Moon Sign is Pisces and your Zodiac Sun Sign is Capricorn.

Dhana yoga brings material wealth and money, because it links the money houses 1, 2, 11, 5 and 9. The planetary positions and their combinations in an individual's birth chart signifies Dhana yoga or financial status of the individual. Your natal chart has indicated the following Wealth (Dhana) Yogas:

You have 3 no of Dhana Yogas in your chart. This yogas are formed between the following planets-

Mercury and Sun
Saturn and Mercury
Saturn and Sun

As per your Dasha System in your chart the next Dhana Yoga will be operative during the following periods.
From
To
Friday, May 04, 2018
Thursday, September 20, 2018
Monday, April 29, 2019
Monday, June 17, 2019
Wednesday, May 11, 2022
Tuesday, May 31, 2022
Tuesday, May 31, 2022
Saturday, June 18, 2022
Wednesday, September 10, 2025
Thursday, November 06, 2025

According to Vedic Astrology calculation your ascendant is in Libra Sign, your Moon Sign is Aquarius and your Vedic Sun Sign is Sagittarius. However, as per Western Astrology calculation your ascendant is in Scorpio Sign, your Moon Sign is Pisces and your Zodiac Sun Sign is Capricorn.

As per our analyses of your birth chart, the below given time periods are the most favorable time slot(s) for you in next five years to enter into business or become an entrepreneur:

1. Monday, January 30, 2012 to Tuesday, January 15, 2013

Team Cyber Astro
January 30, 2012


According to Vedic Astrology calculation your ascendant is in Libra Sign, your Moon Sign is Aquarius and your Vedic Sun Sign is Sagittarius. However, as per Western Astrology calculation your ascendant is in Scorpio Sign, your Moon Sign is Pisces and your Zodiac Sun Sign is Capricorn.

Daridra yoga brings poverty, troubles and huge debts in a person's life, it happens when the lord of the 11th house is present in the 6th, 8th or 12th house in a birth chart. The planetary positions and their combinations in an individual's birth chart signifies his/her Daridra yoga.

Congratulations...You have no specific Financial Setback in your chart.

ओम या ॐ के 10 रहस्य और चमत्कार

ओम या ॐ के 10 रहस्य और चमत्कार 1.  अनहद  नाद :  इस ध्वनि को  अनाहत  कहते हैं। अनाहत अर्थात जो किसी आहत या टकराहट से पैदा नहीं होती...