11 नवंबर, 2012

दीपावली की एक रात

कविता : दीपावली की एक रात

- जलज पंड्या


एक दीपावली की रात
एक दीये से हुई मुलाकात
पूछा उसकी इठलाती, टिमटिमाती लौ से
तुम्हारे अनुसार क्या मायने इस दीपावली से...
वह बोली :
जो अंधकार का एक टुकड़ा अपने में समा ले
जो हवा से लड़कर भी अपनी हस्ती बचा ले
ऐसी ही इठलाती, टिमटिमाती, जलने वाली
एक लौ का नाम है दीपावली...
जो भ्रष्टाचार से लड़ने की ताकत जुटा ले
जो युवाओं की शक्ति को अपनी ऊर्जा बना ले
ऐसे ही नेता के लिए सड़कों
पर आई मतवाली
एक युवा मशाल का नाम है दीपावली...
जो किसी भूखे को अपने साथ
खाने बैठा ले
जो किसी बेघर को अपने गले लगा ले
ऐसी ही दिलों में दौड़ने वाली
एक करुणा का नाम है दीपावली....
जो छोटी-छोटी बातों में छिपी
खुशियों को पहचान ले
जो किसी रोते हुए के आंसुओं से मुस्कुराहट निकाल ले
ऐसी ही आत्मा
में बसने वाली
एक मासूमियत का नाम है दीपावली...
जो किसी दोस्त के दर्द को अपना बना ले
जो किसी दुश्मन को भी अपना दोस्त बना ले
ऐसी ही रिश्तों में घुलने वाली
एक मिठास का नाम है दीपावली...
जो किसी धर्म-मजहब के रहस्य को जान ले
जो आंखों पर पड़े संकीर्ण मानसिकता के पर्दे को हटा ले
ऐसी ही ईश्वर-खुदा के लिए की जाने वाली
एक प्रार्थना-इबादत का नाम है दीपावली...
फिर मैंने कहा :
जो तेरे अर्थ को अपना उद्देश्य बना ले
जो तेरे संदेश का चोला अपने तन पर लिपटा ले
ऐसे ही सच्चे संत-फकीर की जुबान
से निकलने वाली
एक वाणी का नाम है दीपावली...
चारों ओर फैले अंधकार, भय, निराशा,
दर्द को अपने में जलाकर
रोशनी, खुशी, मुस्कुराहट, आशा, इंसानियत, मानवता के
सुविचारों की किरणें फैलाने वाली
तुझ जैसी एक टिमटिमाती लौ
का नाम है दीपावली...

08 नवंबर, 2012

Pros & Cons of allowing FDI in Multi-Brand retail sector for India



Pros of allowing FDI in Multi-Brand retail sector for India
  • Some domestic retailers have had to fold up because they expanded too fast and couldn't finance their plans. Eg. Vishal, Subhikshaand Koutons. FDI will provide the much needed funding.
  • Willbring down the difference between farm- gate prices and retail prices
  • Will bring technical know-how to set up efficient supply chains which could act as models of development
  • Will increase employment as companies will need to hire millions for their pan-India retail operations
  • It will also make joint ventures easier, simpler and cleaner
  • Researchers estimate avoidable supply chain costs (wastage, excess inventory and excess transportation costs) in Indian food and grocery sales to be about US$24 billion
  • It will bring with it the technologies and expertise required to build robust food supply chains.
  • Foreign players will invest in backend infrastructure and cold chains necessary to reduce wastage of farm produce.
  • It can tackle food inflation which is a major problem today
Cons of allowing FDI in Multi-Brand retail sector in India
  • Retail sector is the second-largest employer in the country and a flood of foreign competition may lead to many people losing their jobs
  • Local traders and retailer associations, manufacturers, small retailers and NGOs are strongly opposing it
Fear that foreign players will totally monopolize and grasp the market

07 नवंबर, 2012

हिन्दू धर्म में108 का महत्व

हिन्दू धर्म में108 का महत्व

हमारे हिन्दू धर्म के किसी भी शुभ कार्य, पूजा , अथवा अध्यात्मिक व्यक्ति के नाम के पूर्व ""श्री श्री 108 "" लगाया जाता है...!

लेकिन क्या सच में आप जानते हैं कि.... हमारे हिन्दू धर्म तथा ब्रह्माण्ड में 108 अंक का क्या महत्व है....?????


दरअसल.... वेदान्त में एक ""मात्रकविहीन सार्वभौमिक ध्रुवांक 108 "" का उल्लेख मिलता है.... जिसका अविष्कार हजारों वर्षों पूर्व हमारे ऋषि-मुनियों (वैज्ञानिकों) ने किया था l


आपको समझाने में सुविधा के लिए मैं मान लेता हूँ कि............ 108 = ॐ (जो पूर्णता का द्योतक है).


        अब आप देखें .........प्रकृति में 108 की विविध अभिव्यंजना किस प्रकार की है :


        1. सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी/सूर्य का व्यास = 108 = 1 ॐ


        150,000,000 km/1,391,000 km = 108 (पृथ्वी और सूर्य के बीच 108 सूर्य सजाये जा सकते हैं)


       2. सूर्य का व्यास/ पृथ्वी का व्यास = 108 = 1 ॐ


           1,391,000 km/12,742 km = 108 = 1 ॐ

      सूर्य के व्यास पर 108 पृथ्वियां सजाई सा सकती हैं .


     3. पृथ्वी और चन्द्र के बीच की दूरी/चन्द्र का व्यास = 108 = 1 ॐ

        384403 km/3474.20 km = 108 = 1 ॐ

     पृथ्वी और चन्द्र के बीच 108 चन्द्रमा आ सकते हैं .


     4. मनुष्य की उम्र 108 वर्षों (1ॐ वर्ष) में पूर्णता प्राप्त करती है .

         क्योंकि... वैदिक ज्योतिष के अनुसार.... मनुष्य को अपने जीवन काल में विभिन्न ग्रहों की 108 वर्षों की     अष्टोत्तरी महादशा से गुजरना पड़ता है .


5. एक शांत, स्वस्थ और प्रसन्न वयस्क व्यक्ति 200 ॐ श्वास लेकर एक दिन पूरा करता है .


1 मिनट में 15 श्वास >> 12 घंटों में 10800 श्वास >> दिनभर में 100 ॐ श्वास, वैसे ही रातभर में 100 ॐ श्वास


6. एक शांत, स्वस्थ और प्रसन्न वयस्क व्यक्ति एक मुहुर्त में 4 ॐ ह्रदय की धड़कन पूरी करता है .


1 मिनट में 72 धड़कन >> 6 मिनट में 432 धडकनें >> 1 मुहूर्त में 4 ॐ धडकनें ( 6 मिनट = 1 मुहूर्त)


7. सभी 9 ग्रह (वैदिक ज्योतिष में परिभाषित) भचक्र एक चक्र पूरा करते समय 12 राशियों से होकर गुजरते हैं और 12 x 9 = 108 = 1 ॐ


8. सभी 9 ग्रह भचक्र का एक चक्कर पूरा करते समय 27 नक्षत्रों को पार करते हैं... और, प्रत्येक नक्षत्र के चार चरण होते हैं और 27 x 4 = 108 = 1 ॐ


9. एक सौर दिन 200 ॐ विपल समय में पूरा होता है. (1 विपल = 2.5 सेकेण्ड)


1 सौर दिन (24 घंटे) = 1 अहोरात्र = 60 घटी = 3600 पल = 21600 विपल = 200 x 108 = 200 ॐ विपल


  उसी तरह ..... 108 का आध्यात्मिक अर्थ भी काफी गूढ़ है..... और,


1 ..... सूचित करता है ब्रह्म की अद्वितीयता/एकत्व/पूर्णता को


0 ......... सूचित करता है वह शून्य की अवस्था को जो विश्व की अनुपस्थिति में उत्पन्न हुई होती


8 ......... सूचित करता है उस विश्व की अनंतता को जिसका अविर्भाव उस शून्य में ब्रह्म की अनंत अभिव्यक्तियों से हुआ है .

अतः ब्रह्म, शून्यता और अनंत विश्व के संयोग को ही 108 द्वारा सूचित किया गया है .


इस तरह हम कह सकते हैं कि.....जिस प्रकार ब्रह्म की शाब्दिक अभिव्यंजना प्रणव ( अ + उ + म् ) है...... और, नादीय अभिव्यंजना ॐ की ध्वनि है..... ठीक उसी उसी प्रकार ब्रह्म की ""गाणितिक अभिव्यंजना 108 "" है.

Gautam Intermediate College, Pipara Ramdhar District : Deoria



Gautam Intermediate College
Pipara Ramdhar
Salempur
District: DEORIA, U.P.
It was 1972 when I joined Gautam Intermediate College, Pipara Ramdhar, Salempur, District: DEORIA, U.P. I passed high school in1974 and intermediate in 1976 from this college.
This institute was sole creation of Pt. Vishwanath Mishra, Manager of college whom our ecclesiastical Principal Shri Radhe Shyam Dwivedi used to call “dadhichi”.
It was initial stage of college students from all nearby area were willing to join due to discipline, education pattern, dedication of teachers and reputation of Principal saab as source of inspiration.
Amongst many, I wish to mention my sincere thanks and gratitude to following gurus who molded my life;
  •    Shri Jagdish Mishra
  •    Shri Shiv Awatar Pandey ( Shastri Ji)
  •    Shri Sachidanand Kushwaha
  •     Shri Vakil  Pandey
  •      Shri Ram Ujagir Shukla
  •      Shri Rama Shukla
  •       Shri Mannan Tiwari
  • .    Shri Raghunath Mishra
  • .     Shri Munni Lal Mishra
  •    Shri Shyam Narayan  Mishra
  •  .Shri Jagannath   Mishra
  •   Shri Adya Prasad Upadhyay
  •   Shri Mannan Ji Tiwari
  •   Shri Madan Tiwari 
  •   Shri Malviya Ji 
  •  Shri Dwarkadish Mishra (Acharya)

     

 -Rameshwar Nath Tiwari


           Rameshwar Nath Tiwari ( In 1974 Photograph taken for High School Exam Form )



                                            1976 AFTER PASSING INTER & JOINING  DDU

 गौतम इंटर कालेज पिपरा रामधर  के छात्र जीवन की एक अविश्मर्मनीय घटना मुझे आज तक याद है ...प्रति वर्ष विद्यालय में गौतम सप्ताह बड़े जोर शोर से मनाया जाता था ,यह सब हमारे पूज्य गुरुदेव ,प्राचार्य श्री राधे श्याम जी द्विवेदी के कठिन परिश्रमों का परिणाम था । पूज्य श्री शिवावतार पाण्डेय शाश्त्री जी ज्ञान वर्धक  की की भूमिका अनेक शाश्त्र संगत बातें बताते रहते थे ।उसमे से महर्शी गौतम के विषय में मुख्य बातें इस प्रकार होतीं थीं
महर्षि गौतम
गौतम ऋषि वैदिक काल के प्रमुख ऋषियों में से एक माने गए हैं. गौतम ऋषि को मंत्र दृष्टा भी कहा गया है वह अनेक मंत्रों के रचियता भी माने गए हैं. न्याय दर्शन के आदि प्रवर्तक महर्षि गौतम हैं और यही अक्षपाद नाम से भी प्रसिद्ध हैं. भारतीय धर्म शास्त्रों के ज्ञाता गौतम ऋषी ने अपने ज्ञान कर्म द्वारा ऋषि मुनि परंपरा में अग्रीण स्थान प्राप्त किया.
गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या
एक दिन जब गौतम ऋषि आश्रम से बाहर कहीं गये हुये थे तो उनकी अनुपस्थिति में इन्द्र ने गौतम ऋषि के वेश में आकर अहिल्या का शीलभंग कर देते हैं. जब इन्द्र आश्रम से बाहर निकलते हैं तो तभी अपने आश्रम को वापस आते हुये गौतम ऋषि की दृष्टि इन्द्र पर पड़ती है जो उन्हीं का वेश धारण किये हुये था और यह सब देखकर वह सब समझ जाते हैं और इन्द्र को शाप देते हैं.


इसके पश्चात वह अपनी पत्नि अहिल्या को श्राप देते हैं कि वह शिला बन जाए. इस प्रकार अहिल्या पत्थर कि एक शिला रूप बन जाती है. यह कह कर गौतम ऋषि आश्रम को छोड़कर हिमालय पर जाकर तपस्या करने लगते हैं. अहिल्या की शाप मुक्ति केवल राम के चरण स्पर्श से हि दूर हो सकती थी अत: श्री राम के चरण स्पर्श से अहिल्या श्राप से मुक्त हो जातीं हैं.
गौतम ऋषि की श्राप से मुक्ति ;

एक बार महर्षि गौतम के तपोवन में रहने वाले ब्राह्मणों की पत्नियाँ किसी बात पर उनकी पत्नी अहिल्या से नाराज हो जाती हैं तथा सभी अपने पतियों को ऋषि गौतम का तिरस्कार करने को कहती हैं. अत: विवश हो कर उनके पतियों ने श्रीगणेशजी की आराधना तब उनकी साधना से प्रसन्न हो गणेशजी ने उनसे वर माँगने को कहते हैं. इस पर ब्राह्मणों ने कहा कि हे प्रभु आप ऋषि गौतम को इस आश्रम से बाहर कर दें. गणेशजी ने उन्हें ऐसा वर न माँगने को कहा परंतु सभी अपने आग्रह पर दृढ रहते हैं.

विशश हो गणेशजी वरदान स्वरूप में एक दुर्बल गाय का रूप धारण करके ऋषि गौतम के खेत चले जाते हैं और वहां फसल को खाने लगते हैं. जब गौतम अपने खेत में इस गाय को देखते हैं तो उसे वहां से बाहर हाँकने का प्रयास करते हैं किंतु उनका स्पर्श होते ही वह गाय मर जाती है. इस घटना को देखकर सभी ब्राह्मण उन्हें गो-हत्यारा कहने लगते हैं, उनकी निंदा करते हैं.

ऋषि गौतम इस घटना से दुःखी होकर आश्रम छोड़कर अन्यत्र कहीं दूर चले जाते हैं. परंतु गो-हत्या के कारण उनसे वेद-पाठ और यज्ञादि के कार्य करने का कोई अधिकार छीन लिया जाता है अत: ऋषि गौतम प्रायश्चित स्वरूप भगवान शिव की आराधना करते हैं. उनकी तपस्या से प्रसन्न हो भगवान शिव उन्हें दर्शन देते हैं और उनसे वर माँगने को कहते हैं.

महर्षि गौतम भगवान शिव से कहते हैं वह उन्हें गो-हत्या के पाप से मुक्त करें तथा इसी स्थान पर निवास करें. भगवान्‌ शिव उनकी बात मानकर वहाँ त्र्यम्ब ज्योतिर्लिंग के नाम से स्थित हो गए और उन्हें श्राप से मुक्त किया गौतमजी द्वारा लाई गई गंगाजी भी वहाँ पास में गोदावरी नाम से प्रवाहित होने लगीं और यही गोदावरी नदी का उद्गम स्थान हुआ.
गौतम ऋषि न्याय दर्शन शास्त्र
न्याय दर्शन के आदि प्रवर्तक गौतम ऋषि माने गए हैं इन्हें ही न्यायसूत्रों का प्रणयन किया तथा शास्त्र रूप में प्रतिष्ठापित किया. सांख्य और योग दर्शन की तरह न्याय दर्शन का उद्देश्य मानव कल्याण रहा है.न्याय दर्शन भारत के छः वैदिक दर्शनों में से एक है जिसके प्रवर्तक ऋषि अक्षपाद गौतम हैं. न्याय दर्शन की उत्पत्ति मिथिला प्रदेश में हुई मानी जाती है इसका मूल ग्रंथ गौतम ऋषि का न्याय सूत्र माना जाता है.

ऋषि गौतम के ‘न्यायसूत्र’ से ही न्यायशास्त्र का इतिहास स्पष्ट होता है. न्याय दर्शन एक यथार्थवादी दर्शन है गौतम ऋषि के न्याय दर्शन में सोलह तथ्यों का उल्लेख प्राप्त होता है जिसमें प्रमाण, प्रमेय, संशय, प्रयोजन, दृष्टांत, सिद्धात, अवयव, तर्क, निर्णय, वाद, जल्प, वितंडा, हेत्वाभास, छल, जाति, निग्रह स्थान हैं. न्याय चार तरह के प्रमाणों की चर्चा करता है- प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान और शब्द.

न्याय दर्शन के अनुसार बारह प्रकार के प्रमेय होते हैं जैसे आत्मा, शरीर, इंद्रियां, बुद्धि, मन, प्रवृत्ति, दोष, प्रत्ययभाव, फल, दुख और अपवर्ग. न्याय तर्क के द्वारा सत्य तक पहुंचने का मार्ग है न्याय दर्शन से नित्य या प्रामाणिक ज्ञान प्राप्त कर मनुष्य दुखों से मुक्ती प्राप्त कर सकता है.
गौतम इंटर कालेज पिपरा रामधर  के छात्र जीवन के हमारे सीनियर श्री दिवस्पति मिश्र की वर्तमान की तस्बीर .....

कैसे कैसे समय बदल जाता है ......विश्वास  नहीं होता है।


05 नवंबर, 2012

मेजर ध्यानचंद





हॉकी के जादूगर स्वर्गीय मेजर ध्यानचंद 
 क्रिकेट में सर डॉन ब्रैडमैन और फुटबॉल में पेले को जो मुकाम हासिल है, हॉकी में ध्यानचंद का वही स्थान है। इंटरनैशनल हॉकी में उन्हें एक हजार से ज्यादा गोल करने का गौरव हासिल है।

मेजर ध्यानचंद के बारें में कुछ रोचक तथ्य:
१. एक बार एक मैच में लगातार कईं प्रयासों के बाद भी ध्यानचंद गोल करने में असफल हो रहे थे| अंत में उन्होंने ने गोल पोस्ट की लम्बाई को लेकर रेफरी से शिकाय
त की और जब गोल पोस्ट की लम्बाई नापी गयी तो सच में गोल पोस्ट की लम्बाई नियमों के अनुसार छोटी थी|

२. १९३६ के ओलंपिक में जब भारत अपना पहला मैच खेलने के लिए उतरा तो हजारों -लाखों की संख्या में लोग यह मैच देखने आये क्यूंकि मैच से एक दिन पूर्व एक जर्मन समाचारपत्र ने भारत के मैच को जादू का खेल नाम दिया और अगले दिन पूरे जर्मन में पोस्टर लग गए की होकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का आज मैच|

३. १९३६ के बर्लिन ओलंपिक्स में मेजर ध्यानचंद का खेल देखने के बाद वहां की तानाशाह हिटलर ने मेजर ध्यानचंद को जर्मन नागरिकता तथा जर्मन सेना में कर्नेल पद की पेशकश की थी|

४. होल्लैंड में एक बार विरोधी टीम के कहने पर रेफरी ने मेजर ध्यानचंद की होकी स्टिक तोड़ दी थी सिर्फ यह जाने के लिए की कहीं उसके अन्दर चुम्बक तो नहीं है|

५. एक बार एक खेल में एक औरत ने उन्हें अपनी चलने वाली छड़ी से खेलने को कहा और मेजर ध्यानचंद ने उससे भी कई गोल किये|

६. १९३५ में ऑस्ट्रेलिया में सर डोन ब्रेडमेन ने ध्यानचंद का खेल देखकर कहा था कि आप गोल ऐसे करते हो जैसे क्रिकेट में रन बनते हैं |

७. ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में चार होकी स्टिक पकड़े चार हाथों वाली उनकी मूर्ति स्थापित है जो उनके खेल कौशल को दर्शाता है|

श्री हनुमान चालीसा



श्री हनुमान चालीसा

श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारि ।
बरनउं रघुबर विमल जसु, जो दायकु पल चारि ।।
बुद्घिहीन तनु जानिकै, सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुद्घि विघा देहु मोहि, हरहु कलेश विकार ।।

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर । जय कपीस तिहुं लोग उजागर ।।
रामदूत अतुलित बल धामा । अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ।।

महावीर विक्रम बजरंगी । कुमति निवार सुमति के संगी ।।
कंचन बरन विराज सुवेसा । कानन कुण्डल कुंचित केसा ।।
हाथ वज्र औ ध्वजा विराजै । कांधे मूंज जनेऊ साजै ।।
शंकर सुवन केसरी नन्दन । तेज प्रताप महा जगवन्दन ।।
विघावान गुणी अति चातुर । राम काज करिबे को आतुर ।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया । राम लखन सीता मन बसिया ।।
सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा । विकट रुप धरि लंक जरावा ।।
भीम रुप धरि असुर संहारे । रामचन्द्रजी के काज संवारे ।।
लाय संजीवन लखन जियाये । श्री रघुवीर हरषि उर लाये ।।
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई । तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।।
सहस बदन तुम्हरो यश गावै । अस कहि श्री पति कंठ लगावै ।।
सनकादिक ब्रहादि मुनीसा । नारद सारद सहित अहीसा ।।
यह कुबेर दिकपाल जहां ते । कवि कोबिद कहि सके कहां ते ।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा । राम मिलाय राजपद दीन्हा ।।
तुम्हरो मन्त्र विभीषन माना । लंकेश्वर भये सब जग जाना ।।
जुग सहस्त्र योजन पर भानू । लाल्यो ताहि मधुर फल जानू ।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही । जलधि लांघि गए अचरज नाहीं ।।
दुर्गम काज जगत के जेते । सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।।
राम दुआरे तुम रखवारे । होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना । तुम रक्षक काहू को डरना ।।
आपन तेज सम्हारो आपै । तीनों लोक हांक ते कांपै ।।
भूत पिशाच निकट नहिं आवै । महाबीर जब नाम सुनावै ।।
नासै रोग हरै सब पीरा । जपत निरन्तर हनुमत बीरा ।।
संकट ते हनुमान छुड़ावै । मन क्रम वचन ध्यान जो लावै ।।
सब पर राम तपस्वी राजा । तिनके काज सकल तुम साजा ।।
और मनोरथ जो कोई लावै । सोइ अमित जीवन फल पावै ।।
चारों जुग परताप तुम्हारा । है परसिद्घ जगत उजियारा ।।
साधु सन्त के तुम रखवारे । असुर निकन्दन राम दुलारे ।।
अष्ट सिद्घि नवनिधि के दाता । अस वर दीन जानकी माता ।।
राम रसायन तुम्हरे पासा । सदा रहो रघुपति के दासा ।।
तुम्हरे भजन राम को पावै । जनम जनम के दुख बिसरावै ।।
अन्तकाल रघुबर पुर जाई । जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई ।।
और देवता चित्त न धरई । हनुमत सेई सर्व सुख करई ।।
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ।।
जय जय जय हनुमान गुसांई । कृपा करहु गुरुदेव की नाई ।।
जो शत बार पाठ कर सोई । छूटहिं बंदि महासुख होई ।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा । होय सिद्घि साखी गौरीसा ।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा । कीजै नाथ हृदय महं डेरा ।।

।। दोहा ।।
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रुप ।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ।।

पवनसुत हनुमान जी की जय
सियापति राम चन्द्र की जय
उमापति महादेव जी की जय ॐ ॐ

यादें .....

अपनी यादें अपनी बातें लेकर जाना भूल गए  जाने वाले जल्दी में मिलकर जाना भूल गए  मुड़ मुड़ कर पीछे देखा था जाते ...