26 फ़रवरी, 2014

रामेश्वर नाथ तिवारी








अपने बारे में

मेरा जन्म    तेरह जनवरी  उन्नीस सौ उनसठ को   ग्राम  टैरिया  , पत्रालय - सोहनाग,  तहसील-सलेमपुर  , जिला  देवरिया , उत्तर प्रदेश  में हुआ। पिताजी श्री अवधेश कुमार तिवारी प्राइमरी स्कूल तिलौली ,सोहनाग में सहायक अध्यापक थे . बाद में प्रधान अध्यापक और फिर जूनियर हाई स्कूल सोहनाग में सहायक अध्यापक हो गए थे और वाही से रिटायर भी गए थे .

 पिता जी ृ रिटायरमेंट के बाद अपना पूरा समय भगवान की भक्ति में और काव्य रचना में व्यतीत करते थे .  अधय्त्मिक उत्कर्ष इतना अधिक हो गया था की वे संसार की हर बात को मिथ्या समझ बैठे थे .

जब भी दुखी और चिंतित होता हूँ  उनकी कविताओं से बड़ी राहत मिलती है और एक दिव्य दृष्टि भी .

देख रहा हूँ सपना क्या है ?
सपना है तो अपना क्या है ?

विशुद्ध ग्रामीण परिवेश    टैरिया  नामक  गाँव , देवरिया जनपद में सलेमपुर से मात्र ३ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है . यह प्रसिद्ध सोहनाग , परशुराम धाम सोहनाग  से मात्र २ किलोमीटर की दुरी पर स्थित है . ऐतिहासिक धार्मिक केंद्र .

नाना पंडित राम चन्द्र शर्मा ,प्रख्यात स्वतंत्रता संग्राम सेनानी  थे।

पितामह पंडित श्री  सीता राम तिवारी रेलवे में कार्यरत थे । अत्यंत दयालु स्वाभाव  के थे .


सोहनाग  के प्रसिद्द  प्राइमरी  स्कूल से पाचवी  पास की एवं जूनियर  हाई स्कूल सोहनाग से आठवीं । बाद में गौतम इण्टर कॉलेज पिपरा रामधर से  दसवीं और बारहवी उत्तर प्रदेश  बोर्ड, इलाहाबाद   से प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुआ.   बारहवी में  मैरिट लिस्ट में नाम था –जनपद में प्रथम स्थान  था ।    गोरखपुर विश्व विद्यालय ,गोरखपुर    में  जब बी.ए . प्रवेश लिया तो      विश्व विद्यालय  में मेरिट में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ था .       गोरखपुर विश्व विद्यालय ,गोरखपुर से इंग्लिश, संस्कृत और भूगोल विषय से प्रथम श्रेणी में बी.ए .  १९७८ में   उत्तीर्ण हुआ . गोरखपुर विश्व विद्यालय से ही एम् .ए .भूगोल  १९८० में उत्तीर्ण हुआ ।

मदन मोहन मालवीय डिग्री कॉलेज भाटपार रानी में लेक्चरर शिप न हो पाने के बाद  गांव छोड़ने निश्चय किया और यहाँ पुणे ,महाराष्ट्र को अपनी कर्म स्थली बनाया .

कॉर्पोरेट्स में २५ साल कार्य किया . ग्रुप जनरल मैनेजर के पद पर पचीस  वर्षों कार्य करने के बाद त्याग पत्र दे  दिया  था . फाउंडर ट्रस्टी के रूप में मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट की स्थापना भी किया था .

बाद में डिप्टी डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेशन एंड एच आर साढ़े आठ साल रहा , इंदिरा ग्रुप ऑफ़ इंस्टीटूट्स जिसमें के जी से   पी जी    तक की पढ़ाई होती थी मैनेजमेंट ,इंजीनियरिंग , फार्मेसी,इत्यादि .इत्यादि .
अब रिटायर्ड लाइफ बड़े आनंद से बीत रहा है .






































रामेश्वर नाथ तिवारी








अपने बारे में

मेरा जन्म    तेरह जनवरी  उन्नीस सौ उनसठ को   ग्राम  टैरिया  , पत्रालय - सोहनाग,  तहसील-सलेमपुर  , जिला  देवरिया , उत्तर प्रदेश  में हुआ। पिताजी श्री अवधेश कुमार तिवारी प्राइमरी स्कूल तिलौली ,सोहनाग में सहायक अध्यापक थे . बाद में प्रधान अध्यापक और फिर जूनियर हाई स्कूल सोहनाग में सहायक अध्यापक हो गए थे और वाही से रिटायर भी गए थे .

 पिता जी ृ रिटायरमेंट के बाद अपना पूरा समय भगवान की भक्ति में और काव्य रचना में व्यतीत करते थे .  अधय्त्मिक उत्कर्ष इतना अधिक हो गया था की वे संसार की हर बात को मिथ्या समझ बैठे थे .

जब भी दुखी और चिंतित होता हूँ  उनकी कविताओं से बड़ी राहत मिलती है और एक दिव्य दृष्टि भी .

देख रहा हूँ सपना क्या है ?
सपना है तो अपना क्या है ?

विशुद्ध ग्रामीण परिवेश    टैरिया  नामक  गाँव , देवरिया जनपद में सलेमपुर से मात्र ३ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है . यह प्रसिद्ध सोहनाग , परशुराम धाम सोहनाग  से मात्र २ किलोमीटर की दुरी पर स्थित है . ऐतिहासिक धार्मिक केंद्र .

नाना पंडित राम चन्द्र शर्मा ,प्रख्यात स्वतंत्रता संग्राम सेनानी  थे।

पितामह पंडित श्री  सीता राम तिवारी रेलवे में कार्यरत थे । अत्यंत दयालु स्वाभाव  के थे .


सोहनाग  के प्रसिद्द  प्राइमरी  स्कूल से पाचवी  पास की एवं जूनियर  हाई स्कूल सोहनाग से आठवीं । बाद में गौतम इण्टर कॉलेज पिपरा रामधर से  दसवीं और बारहवी उत्तर प्रदेश  बोर्ड, इलाहाबाद   से प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुआ.   बारहवी में  मैरिट लिस्ट में नाम था –जनपद में प्रथम स्थान  था ।    गोरखपुर विश्व विद्यालय ,गोरखपुर    में  जब बी.ए . प्रवेश लिया तो      विश्व विद्यालय  में मेरिट में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ था .       गोरखपुर विश्व विद्यालय ,गोरखपुर से इंग्लिश, संस्कृत और भूगोल विषय से प्रथम श्रेणी में बी.ए .  १९७८ में   उत्तीर्ण हुआ . गोरखपुर विश्व विद्यालय से ही एम् .ए .भूगोल  १९८० में उत्तीर्ण हुआ ।

मदन मोहन मालवीय डिग्री कॉलेज भाटपार रानी में लेक्चरर शिप न हो पाने के बाद  गांव छोड़ने निश्चय किया और यहाँ पुणे ,महाराष्ट्र को अपनी कर्म स्थली बनाया .

कॉर्पोरेट्स में २५ साल कार्य किया . ग्रुप जनरल मैनेजर के पद पर पचीस  वर्षों कार्य करने के बाद त्याग पत्र दे  दिया  था . फाउंडर ट्रस्टी के रूप में मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट की स्थापना भी किया था .

बाद में डिप्टी डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेशन एंड एच आर साढ़े आठ साल रहा , इंदिरा ग्रुप ऑफ़ इंस्टीटूट्स जिसमें के जी से   पी जी    तक की पढ़ाई होती थी मैनेजमेंट ,इंजीनियरिंग , फार्मेसी,इत्यादि .इत्यादि .
अब रिटायर्ड लाइफ बड़े आनंद से बीत रहा है .






































यादें .....

अपनी यादें अपनी बातें लेकर जाना भूल गए  जाने वाले जल्दी में मिलकर जाना भूल गए  मुड़ मुड़ कर पीछे देखा था जाते ...