25 अक्तूबर, 2024
21 अक्तूबर, 2024
क्षणभंगुर : Meri Janm Bhoomi--TAIRIA (टैरिया) , Tahsil: SALEMPU R
क्षणभंगुर : Meri Janm Bhoomi--TAIRIA (टैरिया) , Tahsil: SALEM...: Welcome To Village: TAIRIA ( टैरिया) , Tahsil : SALEMPUR , District. DEORIA(UttarPradesh...
19 जून, 2024
Shani Shingnapur
Shani Shingnapur or Shani Shinganapur or Shingnapur or Sonai is a village in the Indian state of Maharashtra. Situated in Nevasa taluka in Ahmednagar district, the village is known for its popular temple of Shani, the Hindu god of the planet (graha) Saturn. Shingnapur is 35 km from Ahmednagar city.
Shingnapur is also famous for the fact that no house in the village has doors, only door frames. Despite this, no theft is reported in the village. Villagers never keep their valuables under lock and key. Villagers believe that the temple is a "jagrut devasthan" (lit. "alive temple"), meaning that the god here is very powerful. They believe that god Shani punishes anyone attempting theft.
The village has a post office and a high school known as Shri Shanishwar Vidya Mandir besides the primary schools run by the Zilla Parishad. The chief source of water supply in the villages is wells.
Unique Features of Shinganapur:
1. No shelter over Shani Maharaj - As per the instructions received from Shani Maharaj himself, there is no roof or temple built over his idol.
2. No doors or locks in houses - The most unique feature in Shingnapur that differentiated this village from any other place in the world is that there are no doors or locks to houses. The villagers firmly believe that Shani Maharaj protects them from thieves and wrong doers and they only have door frames and curtains in the place of doors and locks. There are several stories narrated by local villagers about how nobody in the village would dare to make an attempt to steal other's property and also about how when some outsiders have made an attempt to steal they have been punished by Shani Maharaj.
3. No branches grow over the Moolasthan - There was a neem tree that grew near the Moolasthan but everytime a branch grew near Shani Maharaj it would automatically break and fall down. Few years ago, this tree
शनि मंदिर, शिंग्लापुर
शनि तीर्थ क्षेत्र महाराष्ट्र में ही
शनिदेव के अनेक स्थान हैं, पर शनि शिंगणापुर का एक अलग ही महत्व है। यहाँ
शनि देव हैं, लेकिन मंदिर नहीं है। घर है परंतु दरवाजा नहीं। वृक्ष है
लेकिन छाया नहीं।
मूर्ति
शनि भगवान की स्वयंभू मूर्ति काले रंग
की है। 5 फुट 9 इंच ऊँची व 1 फुट 6 इंच चौड़ी यह मूर्ति संगमरमर के एक
चबूतरे पर धूप में ही विराजमान है। यहाँ शनिदेव अष्ट प्रहर धूप हो, आँधी
हो, तूफान हो या जाड़ा हो, सभी ऋतुओं में बिना छत्र धारण किए खड़े हैं।
राजनेता व प्रभावशाली वर्गों के लोग यहाँ नियमित रूप से एवं साधारण भक्त
हजारों की संख्या में देव दर्शनार्थ प्रतिदिन आते हैं।
शिंगणापुर गाँव
लगभग तीन हजार जनसंख्या के शनि
शिंगणापुर गाँव में किसी भी घर में दरवाजा नहीं है। कहीं भी कुंडी तथा कड़ी
लगाकर ताला नहीं लगाया जाता। इतना ही नहीं, घर में लोग आलीमारी, सूटकेस
आदि नहीं रखते। ऐसा शनि भगवान की आज्ञा से किया जाता है।
लोग घर की मूल्यवान वस्तुएँ, गहने,
कपड़े, रुपए-पैसे आदि रखने के लिए थैली तथा डिब्बे या ताक का प्रयोग करते
हैं। केवल पशुओं से रक्षा हो, इसलिए बाँस का ढँकना दरवाजे पर लगाया जाता
है।
गाँव छोटा है, पर लोग समृद्ध हैं।
इसलिए अनेक लोगों के घर आधुनिक तकनीक से ईंट-पत्थर तथा सीमेंट का इस्तेमाल
करके बनाए गए हैं। फिर भी दरवाजों में किवाड़ नहीं हैं। यहाँ दुमंजिला मकान
भी नहीं है। यहाँ पर कभी चोरी नहीं हुई। यहाँ आने वाले भक्त अपने वाहनों
में कभी ताला नहीं लगाते। कितना भी बड़ा मेला क्यों न हो, कभी किसी वाहन की
चोरी नहीं हुई।
शनिवार
शनिवार के दिन आने वाली अमावस को तथा
प्रत्येक शनिवार को महाराष्ट्र के कोने-कोने से दर्शनाभिलाषी यहाँ आते हैं
तथा शनि भगवान की पूजा, अभिषेक आदि करते हैं। प्रतिदिनप्रातः 4 बजे एवं
सायंकाल 5 बजे यहाँ आरती होती है। शनि जयंती पर जगह-जगह से प्रसिद्ध
ब्राह्मणों को बुलाकर 'लघुरुद्राभिषेक' कराया जाता है। यह कार्यक्रम प्रातः
7 से सायं 6 बजे तक चलता है।
शनि शिनगानापुर मंदिर, भगवान शनि को समर्पित है। यह शिर्डी से 65 किमी.
दूर है। यह मंदिर जिस गांव में है वहां के घरों में दरवाजे नहीं है। कहा
जाता है कि गांव वालों को अपने देवता शनिश्वेर पर भरोसा है कि वह सदैव
डकैती और चोरी होने से उनके घर की रक्षा करेगें। यह कहा जाता है कि यदि कोई
व्यक्ति यहाँ चोरी कर ले तो उसी दिन वह अंधा हो जाता है। भगवान शनि की
मूर्ति, बड़े और काले पत्थर की बनी हुई है। मंदिर में केवल पुरूष भक्तों
को पूजा कीअनुमति है।
भक्तों को पहले सार्वजनिक बाथरूम में नहाना पड़ता है उसके बाद बिना किसी ऊपरी परिधान के गीली धोती के साथ प्रार्थना करना पड़ता है। शिर्डी में दर्शन करने के बाद यहाँ पर पूजा करना आवश्यक होता है। मंदिर, पूजा के लिए सुबह 5 से रात 10 तक खुला रहता है।
भक्तों को पहले सार्वजनिक बाथरूम में नहाना पड़ता है उसके बाद बिना किसी ऊपरी परिधान के गीली धोती के साथ प्रार्थना करना पड़ता है। शिर्डी में दर्शन करने के बाद यहाँ पर पूजा करना आवश्यक होता है। मंदिर, पूजा के लिए सुबह 5 से रात 10 तक खुला रहता है।
15 जून, 2024
बाबा मुन्जेश्वरनाथ,'भौवापार जिला गोरखपुर
बाबा मुन्जेश्वरनाथ,
बाबा मुन्जेश्वरनाथ की नगरी और कभी सतासी राजवंश की राजधानी रही . 'भौवापार जिला गोरखपुर . बताया जाता है कि बाबा मुन्जेश्वरनाथ ने अपने ऊपर आज तक किसी भी प्रकार की छत को नहीं पड़ने दिया। वे पीपल और बरगद के पेड़ की छाया में विराजमान हैं। वैसे तो यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु दूर-दराज से आते हैं, लेकिन महाशिवरात्रि के दिन यहां काफी भीड़ होती है।
सतासी राजवंश, राजभर राजवंश, स्वतंत्रता के पहले और बाद दिए गए भौवापार के लोगों के योगदान
अविस्मरणीय हैं .
पूरी होती है बाबा के धाम में भक्तों की मुराद
मंदिर के पुजारी चंद्रभान गिरी के अनुसार भौवापार के बाबा मुन्जेश्वरनाथ भक्तों द्वारा सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद को पूरा करते हैं। उन्होंने बताया, ''सतासी नरेश राजा मुंज सिंह सहित क्षेत्र के कई अन्य लोगों ने शिवलिंग (गर्भगृह) स्थल पर बाबा को छत के रूप में मंदिर का स्वरुप देने की कई बार कोशिश की। लेकिन बाबा के सिर पर कोई छत टिक नहीं सकी। जब-जब मंदिर बनाया जाता, तब-तब पूरा ढांचा ध्वस्त हो जाता है।''
इस कारण नाम पड़ा मुन्जेश्वरनाथ
भौवापार के ही रहने वाले युवा इतिहासविद डॉ. दानपाल सिंह ने बताया, ''किवदंतियों के अनुसार एक बार मजदूर गर्भ गृह स्थल पर मौजूद मूज (सरपत) को कुदाल से हटा रहे थे। इस बीच एक मजदूर का फावड़ा मूज की जड़ के नीचे पड़े एक पत्थर से टकराया और पत्थर का ऊपरी हिस्सा फावड़े की वार से टूट गया। मजदूर शिवलिंग के आकार के इस पत्थर को वहां से हटाना चाह रहा था, तभी पत्थर में मजदूर को भगवान शिव की छवि दिखाई दी और टूटे स्थल से दूध की धारा बहने लगी। यह देखकर मजदूर काफी डर गया और राजदरबार पहुंचा। उसने सतासी राजा मुंज सिंह को सारी कहानी बताई। मूज से स्वयंभू रूप में निकले और राजा मुंज द्वारा स्थापित किए जाने के कारण ही बाबा का नाम मुन्जेश्वरनाथ धाम पड़ा।
13 जून, 2024
How to deal with Biased Boss!!!
How to deal with Biased Boss!!!
Step 1
Weigh the severity
of your boss’s biases before acting. A boss may allow other employees as much
time off as they request but routinely deny workers with small children the
same privilege. Or the boss might unintentionally insult an employee by implying
that people of her faith are less intelligent, in general. These actions might
show poor judgment, but they’re not illegal. However, a boss who knowingly
discriminates against workers because of race, gender, ethnicity, religion or a
disability is breaking the law under Title VII of the 1964 Civil Rights Act.
Step 2
Document your boss’s
behavior. Discrimination can be hard to identify and even more difficult to
prove. If you decide to file a claim, documentation is critical in showing a
pattern of biased behavior. Take notes after encounters in which the boss ties
your “incompetence” to your race or unfairly blames your disability for
tardiness. Be discreet with your note-taking to avoid the impression of
conspiring against your boss.
Step 3
Attempt to speak
with your boss. Although it may be hard to maintain a positive relationship
with a boss you feel discriminates against you, try initiating a no accusatory
dialogue on intolerance. The Southern Poverty Law Center, under its “Teaching
Tolerance” project, recommends tying the discussion to the company’s “bottom
line.” Mention to your boss how employees who feel respected and valued help
the company meet its financial goals.
Step 4
Talk with human
resources if a dialogue with the boss fails. Describe your situation and
present any documentation you’ve gathered. Ask about the company’s
antidiscrimination and anti -harassment policies and whether they apply in your
case. HR may investigate your complaint.
Step 5
File a complaint
with the U.S. Equal Employment Opportunity Commission. If you find your boss’s
behavior particularly hateful, you may choose to file a suit. The EEOC enforces
laws that protect workers and job applicants from being discriminated against
because of race, gender (including pregnancy), color, national origin, age
(over 40), religion and genetic information. Laws apply to employers with at
least 15 employees, or 20 workers for age bias. The agency assesses your claim,
conducts an investigation and rules on the case.
Step 6
Request a transfer.
An unpleasant work situation isn’t worth tolerating. You may even need to leave
the company. A biased boss has no incentive to change behavior if the company
tolerates discrimination.
यादें .....
अपनी यादें अपनी बातें लेकर जाना भूल गए
जाने वाले जल्दी में मिलकर जाना भूल गए
मुड़ मुड़ कर पीछे देखा था जाते जाते कई उसने
जैसे उसे कुछ कहना था जो वो कहना भूल गया
सजा बन जाती है गुज़रे हुए वक़्त की यादें
जाने वाले जल्दी में मिलकर जाना भूल गए
मुड़ मुड़ कर पीछे देखा था जाते जाते कई उसने
जैसे उसे कुछ कहना था जो वो कहना भूल गया
सजा बन जाती है गुज़रे हुए वक़्त की यादें
न जाने क्यों छोड़ जाने के लिए मेहरबान होते हैं लोग
यादों का इक झोंका आया हम से मिलने बरसों बाद
पहले इतना रोये न थे जितना रोये बरसों बाद
लम्हा लम्हा उजड़ा तो ही हम को एहसास हुआ
पत्थर आये बरसों पहले शीशे टूटे बरसों बाद
पहले इतना रोये न थे जितना रोये बरसों बाद
लम्हा लम्हा उजड़ा तो ही हम को एहसास हुआ
पत्थर आये बरसों पहले शीशे टूटे बरसों बाद
ऐ दिल किसी की याद में होता है बेकरार क्यों
जिस ने भुला दिया तुझे , उस का है इंतज़ार क्यों
वो न मिलेगा अब तुझे , जिस की तुझे तलाश है
राहों में आज बे-कफ़न तेरी बेवफ़ाई की लाश है
जिस ने भुला दिया तुझे , उस का है इंतज़ार क्यों
वो न मिलेगा अब तुझे , जिस की तुझे तलाश है
राहों में आज बे-कफ़न तेरी बेवफ़ाई की लाश है
फासलों ने दिल की क़ुर्बत को बढ़ा दिया
आज उस की याद ने बे हिसाब रुला दिया
उस को शिकायत है के मुझे उस की याद नहीं
हम ने जिस की याद में खुद को भुला दिया
आज उस की याद ने बे हिसाब रुला दिया
उस को शिकायत है के मुझे उस की याद नहीं
हम ने जिस की याद में खुद को भुला दिया
दिल को तेरा सुकूँ दे वो ग़ज़ल कहाँ से लाऊँ
भूल के ग़ज़ल अपनी तेरी ग़ज़ल कैसे सजाऊँ
दिल में उतार जाएं वो लफ़ज़ कहाँ से लाऊँ
भूल के कुछ यादें तेरी, याद कैसे दिल में बसाऊँ
भूल के ग़ज़ल अपनी तेरी ग़ज़ल कैसे सजाऊँ
दिल में उतार जाएं वो लफ़ज़ कहाँ से लाऊँ
भूल के कुछ यादें तेरी, याद कैसे दिल में बसाऊँ
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