रहेंगे चिंता मुक्त तो होंगे सफल
जाजलि नाम का एक ब्राह्मण था। वह ज्ञान प्राप्त करना चाहता था। इसके लिए वह जगह-जगह भटकता फिरा, कई साधु-महात्माओं के पीछे दौड़ता रहा। लेकिन उसे कोई ऐसा ज्ञानी नहीं मिला, जिसे वह अपना गुरु बना सके। जब अपनी खोज से उसे निराशा महसूस होने लगी, तब अचानक एक दिन उसकी मुलाकात एक नए साधु से हो गई। जाजलि ने कहा, "तुम तो साधु हो, किसी ऐसे गुरु का पता बताओ, जो मुझे सही राह दिखा सके।" साधु ने कहा, "तुम्हें भटकने की जरूरत नहीं है
, तुम अपने नगर के तुलाधार वैश्य के पास जाओ। उसी से तुम्हे ज्ञान मिलेगा।" जाजलि पहले तो उस साधु को आश्चर्य से देखता रहा, फिर सोचने लगा कि शायद साधु मेरा मजाक उड़ा रहा है। लेकिन साधु के मुख पर गंभीरता देखकर जाजलि ने उसकी सलाह आजमाने का इरादा किया।
वह तुरंत साधु से विदा लेकर तुलाधार वैश्य की तलाश में निकल पड़ा। फिर तुलाधार के पास पहुंचकर उसने अपनी इच्छा प्रकट की और कहा, "मुझे ऐसा ज्ञान दीजिए, जिससे मेरा जीवन सुधर जाए।" तुलाधार बोला, "भैया, मैं तो कोई ज्ञानी पंडित नहीं हूं, जो तुम्हे चिंतन का तरीका बता सकूं। लेकिन वह रास्ता जरूर बता सकता हूं जिस राह पर खुद चलता हूं, क्योंकि मैं हमेशा अपनी तराजू से मार्गदर्शन पाता हूं और उसकी डंडी हमेशा सीधी रखता हूं, न ऊंची, न नीची।" जाजलि ने सोचा शायद यही वजह है कि दुकान पर आने वाले सभी लोगों के लिए तुलाधार एक समान व्यवहार रखता है, क्योंकि हम जो कुछ करते हैं, उसका सीधा असर हमारे मन पर होता है।
इसलिए खूब चिंतन कीजिए और नीचे लिखे गुरुमंत्रों को दिल की गहराइयों में उतारिए : * ईश्वर आपकी चिंता करता है और वह आपको कभी नहीं छोड़ेगा, न कभी आपसे अलग होगा। यही उसकी की विशेषता है, इसलिए खूब चिंतन कीजिए, क्योंकि आस्था में बहुत गहरा रहस्य छिपा है। * भगवान श्रीकृष्ण ने कहा था, जो मेरा चिंतन करता है और सदा मेरे प्रति विश्वास रखता है, मैं भी उसके लिए दया भाव रखता हूं।
* सफल वही होते हैं जो पूरी तरह से चिंता मुक्त होते हैं, क्योंकि जो लोग चिंता में रहते हैं वे हमेशा कुंठाओं मे जीते हैं।
* चिंतन करने वाले लोग जब यह निश्चय कर लेते हैं कि उन्हें अपना लक्ष्य प्राप्त करना है, तब वे अपना लक्ष्य प्राप्त करके ही रहते हैं। * चिंतन करने से विश्वास उत्पन्न होता है और विश्वास से लगन पैदा होती है। फिर जब मनुष्य मेहनत करते की ठान लेता है, तब दोनों का प्रभाव लक्ष्य तक पहुंचाने में सीढ़ी का काम करता है।
* चिंता आपको जीपन की मुख्यधारा से भटका देती है, फिर आपको सफलता के मार्ग पर स्पीड बैरियर दिखाई देने लगते हैं
। * चिंता औ चिंतन एक सिक्के के दो पहलू हैं, लेकिन चिंता आदमी को मौत के मुंह में पहुंचा देता है, जबकि चिंतन मनुष्य को महान बना देता है। परंतु यह आपपर निर्भर करता है कि आप चिंता करते है या चिंतन। * जो पहले आपने पढ़ा, वह अतीत भा, लेकिन जो अब पढ़ रहे हैं, वह भविष्य है। इसलिए अतीत को भूल जाइए और भविष्य की चिंता की चिंता कीजिए।
* कमजोरी का इलाज अपनी कमजोरियों की चिंता करना नहीं है, बल्कि शक्ति का विचार करना है।
* कभी आपने सोचा है कि चिंता क्या होती है। यदि नहीं सोचा, तो हम बता देते हैं। चिंता उन लोगों द्वारा चुकाया जाने वाला ब्याज है, जो मुसीबतें उधार लेकर आता है।
, तुम अपने नगर के तुलाधार वैश्य के पास जाओ। उसी से तुम्हे ज्ञान मिलेगा।" जाजलि पहले तो उस साधु को आश्चर्य से देखता रहा, फिर सोचने लगा कि शायद साधु मेरा मजाक उड़ा रहा है। लेकिन साधु के मुख पर गंभीरता देखकर जाजलि ने उसकी सलाह आजमाने का इरादा किया।
वह तुरंत साधु से विदा लेकर तुलाधार वैश्य की तलाश में निकल पड़ा। फिर तुलाधार के पास पहुंचकर उसने अपनी इच्छा प्रकट की और कहा, "मुझे ऐसा ज्ञान दीजिए, जिससे मेरा जीवन सुधर जाए।" तुलाधार बोला, "भैया, मैं तो कोई ज्ञानी पंडित नहीं हूं, जो तुम्हे चिंतन का तरीका बता सकूं। लेकिन वह रास्ता जरूर बता सकता हूं जिस राह पर खुद चलता हूं, क्योंकि मैं हमेशा अपनी तराजू से मार्गदर्शन पाता हूं और उसकी डंडी हमेशा सीधी रखता हूं, न ऊंची, न नीची।" जाजलि ने सोचा शायद यही वजह है कि दुकान पर आने वाले सभी लोगों के लिए तुलाधार एक समान व्यवहार रखता है, क्योंकि हम जो कुछ करते हैं, उसका सीधा असर हमारे मन पर होता है।
इसलिए खूब चिंतन कीजिए और नीचे लिखे गुरुमंत्रों को दिल की गहराइयों में उतारिए : * ईश्वर आपकी चिंता करता है और वह आपको कभी नहीं छोड़ेगा, न कभी आपसे अलग होगा। यही उसकी की विशेषता है, इसलिए खूब चिंतन कीजिए, क्योंकि आस्था में बहुत गहरा रहस्य छिपा है। * भगवान श्रीकृष्ण ने कहा था, जो मेरा चिंतन करता है और सदा मेरे प्रति विश्वास रखता है, मैं भी उसके लिए दया भाव रखता हूं।
* सफल वही होते हैं जो पूरी तरह से चिंता मुक्त होते हैं, क्योंकि जो लोग चिंता में रहते हैं वे हमेशा कुंठाओं मे जीते हैं।
* चिंतन करने वाले लोग जब यह निश्चय कर लेते हैं कि उन्हें अपना लक्ष्य प्राप्त करना है, तब वे अपना लक्ष्य प्राप्त करके ही रहते हैं। * चिंतन करने से विश्वास उत्पन्न होता है और विश्वास से लगन पैदा होती है। फिर जब मनुष्य मेहनत करते की ठान लेता है, तब दोनों का प्रभाव लक्ष्य तक पहुंचाने में सीढ़ी का काम करता है।
* चिंता आपको जीपन की मुख्यधारा से भटका देती है, फिर आपको सफलता के मार्ग पर स्पीड बैरियर दिखाई देने लगते हैं
। * चिंता औ चिंतन एक सिक्के के दो पहलू हैं, लेकिन चिंता आदमी को मौत के मुंह में पहुंचा देता है, जबकि चिंतन मनुष्य को महान बना देता है। परंतु यह आपपर निर्भर करता है कि आप चिंता करते है या चिंतन। * जो पहले आपने पढ़ा, वह अतीत भा, लेकिन जो अब पढ़ रहे हैं, वह भविष्य है। इसलिए अतीत को भूल जाइए और भविष्य की चिंता की चिंता कीजिए।
* कमजोरी का इलाज अपनी कमजोरियों की चिंता करना नहीं है, बल्कि शक्ति का विचार करना है।
* कभी आपने सोचा है कि चिंता क्या होती है। यदि नहीं सोचा, तो हम बता देते हैं। चिंता उन लोगों द्वारा चुकाया जाने वाला ब्याज है, जो मुसीबतें उधार लेकर आता है।