14 मार्च, 2013

Diabetes : Astrological Reasons


Diabetes : Astrological Reasons


What causes diabetes?
First of all we should know what diabetes is and what causes diabetes.
Diabetes mellitus is a group of metabolic diseases characterized by high blood sugar (glucose) levels that result from defects in insulin secretion, or its action, or both.
Insulin is a hormone that is produced by specialized cells (beta cells) of the pancreas. The Pancreas is a deep-seated organ in the abdomen located behind the stomach. In addition to helping glucose enter the cells, insulin is also important in tightly regulating the level of glucose in the blood.
Glucose is a simple sugar found in food. Glucose is an essential nutrient that provides energy for the proper functioning of the body cells. Carbohydrates are broken down in the small intestine and the glucose in digested food is then absorbed by the intestinal cells into the bloodstream, and is carried by the bloodstream to all the cells in the body where it is utilized. However, glucose cannot enter the cells alone and needs insulin to aid in its transport into the cells. Without insulin, the cells become starved of glucose energy despite the presence of abundant glucose in the bloodstream. In certain types of diabetes, the cells’ inability to utilize glucose gives rise to the ironic situation of "starvation in the midst of plenty". The abundant, unutilized glucose is wastefully excreted in the urine.
Normally, blood glucose levels are tightly controlled by insulin, a hormone produced by the pancreas. Insulin lowers the blood glucose level. When the blood glucose elevates (for example, after eating food), insulin is released from the pancreas to normalize the glucose level. In patients with diabetes, the absence or insufficient production of insulin causes hyperglycaemia. (Hyperglycaemia, when the bodies blood sugar is higher than the normal range.)
What is Pancreas?
A spongy, tube-shaped organ that is about 6 inches long and is located in the back of the abdomen, behind the stomach. The head of the pancreas is on the right side of the abdomen. It is connected to the upper end of the small intestine. The narrow end of the pancreas, called the tail, extends to the left side of the body. The pancreas makes pancreatic juices and hormones, including insulin and secretin. Pancreatic juices contain enzymes that help digest food in the small intestine. Both pancreatic enzymes and hormones are needed to keep the body working correctly. As pancreatic juices are made, they flow into the main pancreatic duct, which joins to the common bile duct, which connects the pancreas to the liver and the gallbladder and carries bile to the small intestine near the stomach.
Insufficient production of insulin by the pancreas (either absolutely or relative to the body’s needs), production of defective insulin (which is uncommon), or the inability of cells to use insulin properly and efficiently leads to hyperglycaemia and diabetes.
Findings:
  1. Diabetes mellitus is a group of metabolic diseases.
  2. Insufficient production of insulin by the pancreas.
  3. Insulin is a hormone.
Astrologically metabolism is matter of 5th and 6th house. 5th house signifies stomach, pancreas, spleen and liver. 6th house signifies indigestion, liver diseases. Diabetes is indigestion of Carbohydrates.
Astrologically significator of 5th house is Jupiter. Jupiter rules over liver and pancreas. It regulates sugars, lipids, the liver, and the gall-bladder. So, there is strong reason to blame Jupiter for bad metabolic system. While searching reasons of diabetes, we should take in consideration Jupiter, Sagittarius, Pisces, Leo signs; 5th, 6th and 8th houses. A malefic Jupiter in 5th, 6th and 8th house can give this disorder.

10 मार्च, 2013

महाशिवरात्रि व्रत कथा (Mahashivratri Vrat Katha):

महाशिवरात्रि व्रत कथा (Mahashivratri Vrat Katha):

महाशिवरात्रि का व्रत फाल्गुन महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को रखा जाता है ( Falgun Krishna Paksha Chaturdashi tithi Mahashivratri)। शिवरात्रि न केवल व्रत है, बल्कि त्यहार और उत्सव भी है. इस दिन भगवान भोलेनाथ का कालेश्वर रूप प्रकट हुआ था. महाकालेश्वर शिव की वह शक्ति हैं जो सृष्टि के अंत के समय प्रदोष काल में अपनी तीसरी नेत्र की ज्वाला से सृष्टि का अंत करता हैं। महादेव चिता की भष्म लगाते हैं, गले में रूद्राक्ष धारण करते हैं और नंदी बैल की सवारी करते हैं. भूत, प्रेत, पिशाच शिव के अनुचर हैं. ऐसा अमंगल रूप धारण करने पर भी महादेव अत्यंत भोले और कृपालु हैं जिन्हें भक्ति सहित एक बार पुकारा जाय तो वह भक्त की हर संकट को दूर कर देते हैं. महाशिवरात्रि की कथा में शिव के इसी दयालु और कृपालु स्वभाव का परिचय मिलता है.

एक शिकारी था. शिकारी शिकार करके अपना तथा अपने परिवार का भरण पोषण करता था.एक दिन की बात है शिकारी पूरे दिन भूखा प्यासा शिकार की तलाश में भटकता रहा परंतु कोई शिकार हाथ न लगा. शाम होने को आई तो वह एक बेल के पेड़ पर चढ़ कर बैठ गया. वह जिस पेड़ पर बैठा था उस वृक्ष के नीचे एक शिवलिंग था. रात्रि में व्याधा अपना धनुष वाण लिए शिकार की तलाश में बैठा था और उसे शिकार भी मिला परंतु निरीह जीव की बातें सुनकर वह उन्हें जाने देता. चिंतित अवस्था में वह बेल की पत्तियां तोड़ तोड़ कर नीचे फेंकता जाता. जब सुबह होने को आई तभी शिव जी माता पार्वती के साथ उस शिवलिंग से प्रकट होकर शिकारी से बोले आज शिवरात्रि का व्रत था और तुमने पूरी रात जागकर विल्वपत्र अर्पण करते हुए व्रत का पालन किया है इसलिए आज तक तुमने जो भी शिकार किए हैं और निर्दोष जीवों की हत्या की है मैं उन पापों से तुम्हें मुक्त करता हूं और शिवलोक में तुम्हें स्थान देता हूं. इस तरह भगवान भोले नाथ की कृपा से उस व्याधा का परिवार सहित उद्धार हो गया.

महाशिवरात्रि के पावन पर्व की आप सभीको हार्दिक शुभकामनायें !

शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव के दस प्रमुख अवतार

यह दस अवतार इस प्रकार है जो मानव को सभी इच्छित फल प्रदान करने वाले हैं-

1. महाकाल- शिव के दस प्रमुख अवतारों में पहला अवतार महाकाल नाम से विख्यात हैं। भगवान शिव का महाकाल स्वरुप अपने भक्तों को भोग और म
ोक्ष प्रदान करने वाला परम कल्याणी हैं। इस अवतार की शक्ति मां महाकाली मानी जाती हैं।
2. तार- शिव के दस प्रमुख अवतारों में दूसरा अवतार तार नाम से विख्यात हैं। भगवान शिव का तार स्वरुप अपने भक्तों को भुक्ति-मुक्ति दोनों फल प्रदान करने वाला हैं। इस अवतार की शक्ति तारादेवी मानी जाती हैं।
3. बाल भुवनेश- शिव के दस प्रमुख अवतारों में तीसरा अवतार बाल भुवनेश नाम से विख्यात हैं। भगवान शिव का बाल भुवनेश स्वरुप अपने भक्तों को सुख, समृद्धि और शांति प्रदान करने वाला हैं। इस अवतार की शक्ति को बाला भुवनेशी माना जाता हैं।
4.षोडश श्रीविद्येश- शिव के दस प्रमुख अवतारों में चौथा अवतार षोडश श्रीविद्येश नाम से विख्यात हैं। भगवान शिव का षोडश श्रीविद्येश स्वरुप अपने भक्तों को सुख, भोग और मोक्ष प्रदान करने वाला हैं। इस अवतार की शक्ति को देवी षोडशी श्रीविद्या माना जाता हैं।
5. भैरव- शिव के दस प्रमुख अवतारों में पांचवा अवतार भैरव नाम से विख्यात हैं। भगवान शिव का भैरव स्वरुप अपने भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करने वाला हैं। इस अवतार की शक्ति भैरवी गिरिजा मानी जाती हैं।
6. छिन्नमस्तक- शिव के दस प्रमुख अवतारों में छठा अवतार छिन्नमस्तक नाम से विख्यात हैं। भगवान शिव का छिन्नमस्तक स्वरुप अपने भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला हैं। इस अवतार की शक्ति देवी छिन्नमस्ता मानी जाती हैं।
7. धूमवान- शिव के दस प्रमुख अवतारों में सातवां अवतार धूमवान नाम से विख्यात हैं। भगवान शिव का धूमवान स्वरुप अपने भक्तों की सभी प्रकार से श्रेष्ठ फल देने वाला हैं। इस अवतार की शक्ति को देवी धूमावती माना जाता हैं।
8. बगलामुख- शिव के दस प्रमुख अवतारों में आठवां अवतार बगलामुख नाम से विख्यात हैं। भगवान शिव का बगलामुख स्वरुप अपने भक्तों को परम आनंद प्रदान करने वाला हैं। इस अवतार की शक्ति को देवी बगलामुखी माना जाता हैं।
9. मातंग- शिव के दस प्रमुख अवतारों में नौवां अवतार मातंग के नाम से विख्यात हैं। भगवान शिव का मातंग स्वरुप अपने भक्तों की समस्त अभिलाषाओं को पूर्ण करने वाला हैं। इस अवतार की शक्ति को देवी मातंगी माना जाता हैं।
10. कमल- शिव के दस प्रमुख अवतारों में दसवां अवतार कमल नाम से विख्यात हैं। भगवान शिव का कमल स्वरुप अपने भक्तों को भुक्ति और मुक्ति प्रदान करने वाला हैं। इस अवतार की शक्ति को देवी कमला माना जाता हैं।
विद्वानो के मत से उक्त शिव के सभी प्रमुख अवतार व्यक्ति को सुख, समृद्धि, भोग, मोक्ष प्रदान करने वाले एवं व्यक्ति की रक्षा करने वाले हैं।

09 मार्च, 2013

शिवरात्रि के शुभ अवसर पर

शिवरात्रि के शुभ अवसर पर हार्दिक बधाई।

भगवान शंकर ही सबसे बड़े नीतिज्ञ है क्योंकि वे ही समस्त विद्याओं, वेदादि शास्त्रों, आगमों तथा कलाओं के मूल स्रोत है। इसलिए उन्हें विशुद्ध विज्ञानमय, विद्यापति तथा सस्त प्राणियों का ईश्वर कहा गया है। भगवान शिव ही समस्त प्राणियों के अंतिम विश्रामस्थान भी है। उनकी संहारिका शक्ति प्राणियों के कल्याण के लिए प्रस्फुटित होती है। जब भी जिसके द्वारा धर्म का विरोध और नीति मार्ग का उल्लंघन होता है, तब कल्याणकारी शिव उसे सन्मार्ग प्रदान करते हैं।
भगवान शिव और उनका नाम समस्त मंगलों का मूल एवं अमंगलों का उल्मूलक है। शिव, शंभु और शंकर, ये तीन नाम उनके मुख्य हैं और तीनों का अर्थ है- परम कल्याण की जन्मभूमि, संपूर्ण रूप से कल्याणमय, मंगलमय और परम शांतिमय।
भगवान शिव सबके पिता और भगवती पार्वती जगजननी तथा जगदम्बा कहलाती हैं। अपनी संतान पर उनकी असीम करुणा और कृपा है। उनका नाम ही आशुतोष है। दानी और उदार ऐसे हैं कि नाम ही पड़ गया औढ़नदानी। उनका भोलापन भक्तों को बहुत ही भाता है। अकारण अनुग्रह करना, अपनी संतान से प्रेम करना भोलेबाबा का स्वभाव है। उनके समान कल्याणकारी व प्रजा रक्षक और कौन हो सकता है।
समुद्र से कालकूट विष निकला जिसकी ज्वालाओं से तीनों लोकों में सर्वत्र हाहाकार मच गया। सभी प्राणी काल के जाल में जाने लगे, किसी से ऐसा सामर्थ्य नहीं था कि वह कालकूट विष का शमन कर सके। प्रजा की रक्षा का दायित्व प्रजापतिगणों का था, पर वे भी जब असमर्थ हो गए तो सभी शंकरजी की शरण में गए और अपना दुख निवेदन किया।
उस समय भगवान शंकर ने देवी पार्वती से जो बात कही, उससे बड़ी कल्याणकारी, शिक्षाप्रद, अनुकरणीय नीति और क्या हो सकती है। विष से आर्त और पीड़ित जीवों को देखकर भगवान बोले- 'देवि! ये बेचारे प्राणी बड़े ही व्याकुल हैं। ये प्राण बचाने की इच्छा से मेरे पास आए हैं। मेरा कर्तव्य है कि मैं इन्हें अभय करूं क्योंकि जो समर्थ हैं, उनकी सामर्थ्य का उद्देश्य ही यह है कि वे दोनों का पालन करें।
साधुजन, नीतिमान जन अपने क्षणभंगुर जीवन की बलि देकर भी प्राणियों की रक्षा करते हैं। कल्याणी! जो पुरुष प्राणियों पर कृपा करता है, उससे सर्वात्मा श्री हरि संतुष्ट होते हैं और जिस पर वे श्री हरि संतुष्ट हो जाते हैं, उससे मैं तथा समस्त चराचर जगत भी संतुष्ट हो जाता है।'
भगवान शिव स्वयं नीतिस्वरूप हैं। अपनी चर्चा से उन्होंने जीव को थोड़ा भी परिग्रह न करने, ऐश्वर्य एवं वैभव से विरक्त रहने, संतोष, संयम, साधुता, सादगी, सच्चाई परहित-चिंतन, अपने कर्तव्य के पालन तथा सतत्‌ नाम जप-परायण रहने का पाठ पढ़ाया है। ये सभी उनकी आदर्श अनुपालनीय नीतियां हैं।
अपने प्राणों की बलि देकर भी जीवों की रक्षा करना, सदा उनके हित चिंतन में संलग्न रहना- इससे बड़ी नीति और क्या हो सकती है। कृपालु शिव ने यह सब कर दिखाया। 'मेरी प्रजाओं का हित हो इसलिए मैं इस विष को पी जाता हूं।' ऐसा कह वे हलाहल पी गए और नीलकंठ कहलाए। तीनों लोकों की रक्षा हो गई।

08 मार्च, 2013

Destiny:


Destiny:

Hard work perhaps can be rated as the best personality trait of a person's attributes. There can be no substitute for hard work. I believe in hard work. I love hard working people. People will always respect and love hard working persons.



There is a saying "success is from 1% inspiration and 99% perspiration.
It is obvious that we need intelligence and hard work for success in life.
Nevertheless, there is one more very important factor, which helps you be successful. That is your destiny.

You may call it as destiny or God's blessing. I strongly believe without God's blessing we cannot go anywhere near success.
I want to make myself clear to my readers that I do believe in hard work as you do. At the same time, I believe that hard work alone cannot gift you success. We need the favorable gift of Destiny, hard work and intelligence to travel the road of success. The simple arithmetic formula is:

Favorable destiny+ hard work +intelligence= Success


 

'Our destiny is in our own hands' ' the saying goes. But how far this is true is a moot question indeed!

'Where there is a will, there is a way' ' goes the adage, but how practical is it in today's context is something that is to be scrutinized threadbare.

Hard work and perseverance are the two keys to success. We can shape our own destiny by hard work and perseverance. But, what if we don't succeed even after working hard and persevering? I don't want to sound pessimistic though, but let me put forth some moot points before you.

I've often felt and believed that we can shape our destiny to our liking, by hard work and perseverance. But, when I don't succeed even after working hard and persevering, I lose faith in these values and feel that the destiny has something else in store for me and we are just slaves to it. I feel that no matter however hard we work and persevere, destiny controls us and our future and we are bound to follow it demurely.

When we don't succeed even after working hard and persevering to achieve our most cherished and coveted goal(s), we feel that the destiny does not want us to become what we wanted to become. There is then a shift of ambition and focus. We have a try at other things and when we finally do succeed and settle in something else, then we feel, perhaps this is what the destiny wanted to make me and wanted me to pursue.

But, on the other hand, I feel all this talk of destiny and believing in it blindly are the signs of a weak-minded person who wants to avoid his responsibilities. A strong person will weather every storm of the destiny, come what may, to achieve his goals! He'll not (and should not) merely accept what destiny has to offer him. He'll fight for what he wants for himself from destiny.

There goes a saying ' 'Shallow men believe in luck, strong men believe in cause and effect.' This holds very true of persons who believe in themselves and in the values of hard work and perseverance. Just because you didn't get something or couldn't achieve your cherished goal ' even after a lot of hard work and perseverance ' you shouldn't settle for something inferior, which you may feel the destiny has to offer you or has offered you!

Always be a fighter and fight until your last breath for accomplishing your dreams. This is a world of cut-throat and ruthless competition. Remember, in this world there is no place for quitters because ' 'Winners never quit and quitters never win.'       








I think this statement is very true to a certain extent. There is no such thing as luck. You determine your own destiny. This is because nothing comes free and easy in this world, it is you who have to work for it. There is also a saying,"99% comes from hard work only 1% comes from luck". Miracles do happen but very seldom. I always believe that it only happen to people who are very hardworking.

There are also some examples of activity which is mostly base on luck like gambling. In this game, most of it is base on luck, but it is also possible to put in hard work like training. This is because practise makes perfect. Gamblers can also put in hard work to practice and get more exposure to the different situations, to train themselves to be more skilled and experienced. There are also examples of people who won in gambling or lottery due to luck. Therefore there is also something called beginners luck.

For example in an examination, the result and grades that you receive all depends on the amount of hard work you put in. This is because the probability of a person getting very good grades without studying is very low. Even those geniuses have to put in the minimum amount of hard work in order to succeed. You cannot always depend on luck, as it does not affirm your success but hard work does. One such example is Thomas Edison. He had failed so many times before he could successfully invented the lightbulb. This proves that his hard had finally work paid off. I believe that always depending on luck will not get you too far in life. Although luck can also determine your destiny but very seldom does it happen. Therefore, it really depend on individual, if they want to be assured of themselves having a good future then they must put in hard work otherwise the outcome might not be what they wanted or expected. However, there are also some cases where people put in a lot of hard work but the result came out to be not what the wanted, this may due to the wrong method.

There are also people who are always happy-go-lucky. They have this devil-may-care attitude. In other words they are just being cheerfully irresponsible. They are the ones who strongly depends on luck and do not put in any hard work.

Therefore, I conclude that ones destiny lies within his hand, it really depends on how much hard work he wants to put in or just purely depend on luck. Hard work will determine ones destiny but definitely not luck.

07 मार्च, 2013

होली और भारत

 होली और  भारत


होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रंगों का त्योहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते है। दूसरे दिन, जिसे धुरड्डी, धुलेंडी, धुरखेल या धूलिवंदन कहा जाता है, लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेंकते हैं, ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं, और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और फिर से दोस्त बन जाते हैं। एक दूसरे को रंगने और गाने-बजाने का दौर दोपहर तक चलता है। इसके बाद स्नान कर के विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहन कर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं, गले मिलते हैं और मिठाइयाँ खिलाते हैं।
राग-रंग का यह लोकप्रिय पर्व वसंत का संदेशवाहक भी है। राग अर्थात संगीत और रंग तो इसके प्रमुख अंग हैं ही, पर इनको ऊ त्कर्ष तक पहुँचाने वाली प्रकृति भी इस समय रंग-बिरंगे यौवन के साथ अपनी चरम अवस्था पर होती है। फाल्गुन माह में मनाए जाने के कारण इसे फाल्गुनी भी कहते हैं। होली का त्योहार वसंत पंचमी से ही आरंभ हो जाता है। उसी दिन पहली बार गुलाल उड़ाया जाता है। इस दिन से फाग और धमार का गाना प्रारंभ हो जाता है। खेतों में सरसों खिल उठती है। बाग-बगीचों में फूलों की आकर्षक छटा छा जाती है। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी और मनुष्य सब उल्लास से परिपूर्ण हो जाते हैं। खेतों में गेहूँ की बालियाँ इठलाने लगती हैं। किसानों का ह्रदय ख़ुशी से नाच उठता है। बच्चे-बूढ़े सभी व्यक्ति सब कुछ संकोच और रूढ़ियाँ भूलकर ढोलक-झाँझ-मंजीरों की धुन के साथ नृत्य-संगीत व रंगों में डूब जाते हैं। चारों तरफ़ रंगों की फुहार फूट पड़ती है। होली के दिन आम्र मंजरी तथा चंदन को मिलाकर खाने का बड़ा माहात्म्य है।
होली के पर्व से अनेक कहानियाँ जुड़ी हुई हैं। इनमें से सबसे प्रसिद्ध कहानी है प्रह्लाद की। माना जाता है कि प्राचीन काल में हिरण्यकशिपु नाम का एक अत्यंत बलशाली असुर था। अपने बल के दर्प में वह स्वयं को ही ईश्वर मानने लगा था। उसने अपने राज्य में ईश्वर का नाम लेने पर ही पाबंदी लगा दी थी। हिरण्यकशिपु का पुत्र प्रह्लाद ईश्वर भक्त था। प्रह्लाद की ईश्वर भक्ति से क्रुद्ध होकर हिरण्यकशिपु ने उसे अनेक कठोर दंड दिए, परंतु उसने ईश्वर की भक्ति का मार्ग न छोड़ा। हिरण्यकशिपु की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में भस्म नहीं हो सकती। हिरण्यकशिपु ने आदेश दिया कि होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे। आग में बैठने पर होलिका तो जल गई, पर प्रह्लाद बच गया। ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है। प्रतीक रूप से यह भी माना जता है कि प्रह्लाद का अर्थ आनन्द होता है। वैर और उत्पीड़न की प्रतीक होलिका (जलाने की लकड़ी) जलती है और प्रेम तथा उल्लास का प्रतीक प्रह्लाद (आनंद) अक्षुण्ण रहता है।]
प्रह्लाद की कथा के अतिरिक्त यह पर्व राक्षसी ढुंढी, राधा कृष्ण के रास और कामदेव के पुनर्जन्म से भी जुड़ा हुआ है। कुछ लोगों का मानना है कि होली में रंग लगाकर, नाच-गाकर लोग शिव के गणों का वेश धारण करते हैं तथा शिव की बारात का दृश्य बनाते हैं। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन पूतना नामक राक्षसी का वध किया था। इसी खु़शी में गोपियों और ग्वालों ने रासलीला की और रंग खेला था।


संगीत में होली

भारतीय शास्त्रीय, उपशास्त्रीय, लोक तथा फ़िल्मी संगीत की परम्पराओं में होली का विशेष महत्व है। शास्त्रीय संगीत में धमार का होली से गहरा संबंध है, हाँलाँकि ध्रुपद, धमार, छोटेबड़े ख्याल और ठुमरी में भी होली के गीतों का सौंदर्य देखते ही बनता है। कथक नृत्य के साथ होली, धमार और ठुमरी पर प्रस्तुत की जाने वाली अनेक सुंदर बंदिशें जैसे चलो गुंइयां आज खेलें होरी कन्हैया घर आज भी अत्यंत लोकप्रिय हैं। ध्रुपद में गाये जाने वाली एक लोकप्रिय बंदिश है खेलत हरी संग सकल, रंग भरी होरी सखी। भारतीय शास्त्रीय संगीत में कुछ राग ऐसे हैं जिनमें होली के गीत विशेष रूप से गाए जाते हैं। बसंत, बहार, हिंडोल और काफ़ी ऐसे ही राग हैं। होली पर गाने बजाने का अपने आप वातावरण बन जाता है और जन जन पर इसका रंग छाने लगता है। उपशास्त्रीय संगीत में चैती, दादरा और ठुमरी में अनेक प्रसिद्ध होलियाँ हैं। होली के अवसर पर संगीत की लोकप्रियता का अंदाज़ इसी बात से लगाया जा सकता है कि संगीत की एक विशेष शैली का नाम ही होली हैं, जिसमें अलग अलग प्रांतों में होली के विभिन्न वर्णन सुनने को मिलते है जिसमें उस स्थान का इतिहास और धार्मिक महत्व छुपा होता है। जहां ब्रजधाम में राधा और कृष्ण के होली खेलने के वर्णन मिलते हैं वहीं अवध में राम और सीता के जैसे होली खेलें रघुवीरा अवध में। राजस्थान के अजमेर शहर में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर गाई जाने वाली होली का विशेष रंग है। उनकी एक प्रसिद्ध होली है आज रंग है री मन रंग है,अपने महबूब के घर रंग है री। इसी प्रकार शंकर जी से संबंधित एक होली में दिगंबर खेले मसाने में होली कह कर शिव द्वारा श्मशान में होली खेलने का वर्णन मिलता हैं। भारतीय फिल्मों में भी अलग अलग रागों पर आधारित होली के गीत प्रस्तुत किये गए हैं जो काफी लोकप्रिय हुए हैं। 'सिलसिला' के गीत रंग बरसे भीगे चुनर वाली, रंग बरसे और 'नवरंग' के आया होली का त्योहार, उड़े रंगों की बौछार, को आज भी लोग भूल नहीं पाए हैं।





05 मार्च, 2013

Numerology 4 Expression No.


Your expression number is 4

 

RAMESHWAR NATH TIWARI

Expression number 4You are the foundation of society, the base of any endeavor. You are a meticulous and logical individual, who has a large amount of managerial as well as organizational skills. You are a builder and a go-getter and you are capable of turning dreams into reality. You most likely have an extremely developed sense of organization. 

You enjoy manager roles and have the ability to complete your well mapped out plans; you are not the one to set out on an adventure without a map. You are a very dependable and responsible individual who takes family matters and obligations pretty seriously. You take pleasure in completing a project from start to finish; yet you have the tendency to become only just focused on the project. You put your nose to the grindstone and become addicted to your work. You are motivated by your dislike for anything that is unstable, apprehensive, and irregular. You doubt the unconventional and you prefer to stick to the proven way of doing things, which in turn can make your endeavors proceed slowly causing you much irritation; Mainly with the obvious limitations on resources. 

Yet at the same time concern for these limitations forces you to proceed with caution and carefulness. This secludes you from the possibility of creative solutions and shortcuts provided by those surrounding you. When it comes to love and relationships you have the tendency to be very serious, tremendously honest and genuine. Although you possess integrity and you’re a very dependable individual, you can also be very stubborn and unyielding. 

Due to the fact that you pay too much attention to the little details in life, you often become somber and just a bit boring. Most of the people born with the 4 Expression number needs to loosen up a bit, enjoy life. You are good with money in a very old-fashioned and cautious way. You have a great balance between income and expenditures. 

Money saving is important to you, so you are able to limit your expenditures. You have great endurance and can work carefully and with determination towards your goals, and you have a natural eye for detail. This attribute ultimately brings victory and good standing in your community. Your test in life is to learn to be more creative and to attract more artistic people in your life to direct and motivate you. Also try not to let your likes and dislikes take over your common sense and kindness, and be more understanding of other peoples feeling and shortcomings.
 
R.N.Tiwari
 Your birth number (lifepath) is: 2
Your name number (expression) is: 4 

Your birth-number (lifepath) and expression number (from Name) are compatible. This speaks well for luck because there are no conflicts or negative energies between the two numbers. 

You will be able to concentrate your energies without being drawn into other directions. This will help you unleash your full potential and achieve your station in life. Make sure you use the exact name you provided in the entry box in all your paperwork to maximize the positive numerological vibrations.

यादें .....

अपनी यादें अपनी बातें लेकर जाना भूल गए  जाने वाले जल्दी में मिलकर जाना भूल गए  मुड़ मुड़ कर पीछे देखा था जाते ...