पिता जी की डायरी से....
रिटायर्मेंट के दिन....
एक जीवन के अंतिम क्षण का, दृश्य देखने आया.
जो पाया था आज गंवाया,खोया, खोया पाया.
आने का मतलब है जाना, जाने का है आना,
विरह मिलन का इस, दुनिया में सुनता तराना.
व्यथा ह्रदय की गीत बनी है,हमने उसे सुनाया,
एक जीवन के अंतिम क्षण का दृश्य देखने आया.
टूट गया एक पद का नाता ,टूट गयी ये डाली.
वही नगर है ,वही डगर है, बनी विषैली व्याली.
समय चक्र ही चिढा रहा है, जिसने कभी हंशाया.
एक जीवन के अंतिम क्षण का दृश्य देखने आया.
बदल गया इस भवन से नाता , बदल गए हर प्राणी.
अब तो याद कभी आएगी,कहेगी एक कहानी.
जग की सारी झूठी दुनियां ,झूठी है ये काया.
एक जीवन के अंतिम क्षण का दृश्य देखने आया.
आदि अंत जब कुछ भी नहीं है, झूठ है मरना जीना,
झूठ है आना ,झूठ है जाना ,झूठ है गुदरी सीना .
बंधन मय एक खेल खेलकर ,हमने मुक्ति पाया.
एक जीवन के अंतिम क्षण का दृश्य देखने आया.
--अवधेश कुमार तिवारी