जीवन के महान रहस्य-सम्पूर्ण ज्ञान
‘भाग्य नहीं अपना नज़रिया बदलें, लोग नहीं अपनी सोच
बदलें औरों को नहीं पहले स्वयं को पहचानें।’ क्या आप इस पंक्ति से
सहमत हैं ? यदि हाँ तो आईये इस पंक्ति को अपने जीवन में उतारें। यदि आप
उपरोक्त पंक्ति से सहमत नहीं हैं तो पहले इस पंक्ति की गहराई समझें:
‘जो भाग्य से मुक्त वह भाग्यशाली, जो जीवन से भागा वह अभागा, जो
जीवन में जागा और जिसने जाना संपूर्ण जीवन रहस्य वह महाभाग्यशाली’
इस नये नज़रिये से ऊपर दी गयी सच्चाई समझें। लोग रिश्ते बदलते हैं लेकिन
अपनी सोच नहीं बदलते। लोग राशियों और ज्योतिषियों के यहाँ चक्कर लगाते
रहते हैं ताकि भाग्य बदले लेकिन अपना नज़रिया नहीं बदलते। लोग बड़े लोगों
से पहचान बनाने के चक्कर में, धन समय और बल खर्च करते हैं लेकिन स्वयं को
पहचानने के लिये एक पुस्तक नहीं खरीदते, वे सत्य सुनने का समय नहीं निकाल
सकते, मौन (ध्यान) में बैठ नहीं सकते।
इंसान आने वाले कल का रहस्य आज जानता है। वह उम्मीद के सहारे जीवन काटता
है। भविष्य का रहस्य जानकर वह वर्तमान में खुश होना चाहता है। अगर भविष्य
में सारी परेशानियाँ मिट जाने वाली हैं तो वह वर्तमान में धीरज के साथ जी
सकता है, ऐसी उसकी मान्यता है इसलिये वह भविष्य जानने के लिये अगल-अलग
लोगों के पास भटकता है क्या भविष्य की जानकारी जानकर परेशानियों से मुक्ति
पायी जा सकती ? परेशानियों से मुक्त होना है तो वर्तमान का रहस्य जानना
चाहिये। वर्तमान का रहस्य जानकर हर इंसान प्रसन्न हो सकता है। वर्तमान का
रहस्य हर एक के लिये एक जैसा है। वर्तमान का रहस्य काल्पनिक नहीं सच्चा
होता है। भविष्य का रहस्य कुछ काल्पनिक और कुछ अधूरा है इसीलिये भविष्य के
रहस्य में न उलझकर जीवन के पाँच महान रहस्य जानें जो हमारा वर्तमान
सँवारते हैं।
वर्तमान का रहस्य अभी और यहीं है। वर्तमान का क्षण सत्य है। हम सबको
वर्तमान में रहना सीख लेना चाहिये। वर्तमान में ही सही कर्म किया जा सकता
है। वर्तमान से ही भविष्य बदला जा सकता है। वर्तमान ही अकल का ताला खोलता
है। अकल यानी जहाँ कल नहीं है (अ-कल)। बीता हुआ कल और आने वाला कल अकल के
साथ नहीं है। हमें भी अकल का ताला खोलकर यानी जीवन के पाँच महान रहस्य,
महाजीवन के नियम जानकर आनंदित जीवन जीना चाहिये।
हर इंसान आनंद पाना चाहता है लेकिन आनंद की राह में आने वाली रुकावटों से
रुक जाता है। जीवन में होने वाली घटनाओं से परेशान होकर वह मन को बहाना दे
देता है। बहाना पाकर मन लक्ष्य की ओर यात्रा बन्द कर देता है लेकिन इंसान
को अपना लक्ष्य नहीं भूलना चाहिए। कभी भी मन के बहानों में न बहें, बहानों
में तैरना सीखें। जो लोग बहानों में बह गये उन्होंने कभी भी अपना लक्ष्य
नहीं पाया। वे लोग जीवन के अनमोल रहस्य जाने बिना इस संसार से चले गये। वे
लोग जीवनभर दुःख असंतुष्टि और पश्चाताप में जीते रहे। हमें बहानों में
तैरकर अपने असली लक्ष्य तक पहुँचना है। हमें जीवन के पाँच महान रहस्य
आत्मसात करने हैं, जो इस पुस्तक का लक्ष्य है। जीवन के पाँच महान रहस्य
आत्मसात करने हैं, जो इस पुस्तक का लक्ष्य है। जीवन के पाँच महान रहस्य
जानकर सदा विश्वास और आनंद से दूसरों को आनंदित करते हुए जीवन जीयें। जीवन
के वे पाचों महान रहस्य आपको जीवन का संपूर्ण ज्ञान देंगे।
जीवन में आने वाली परेशानी को परेशानी न समझकर उसे सीढ़ी निमित्त सीख
चुनौती बनाने की कला सीखें। इस रहस्य को याद रखने के लिये आपकी पाँच
अंगुलियों पर बिठाया गया है। आप इसे चलते-फिरते, काम करते, अंगुलियों के
सहारे याद रखकर इस्तेमाल कर सकते हैं। हर परेशानी आपको महान रहस्यों की
याद दिलायेगी। हर काल्पनिक चित्र दिया गया है। इस चित्र में जीवन के
पाँचों महान रहस्य प्रतीक के रूप में दिखाये गये हैं। इस चित्र के सहारे
आप पाँचों महान रहस्य सदा याद रख पायेंगे और उनका उपयोग अपने जीवन में कर
पायेंगे।
इस पुस्तक को शुरूआत से अंत तक पूरा पढ़ें और इसमें दिये गये संपूर्ण
ज्ञान का पूर्ण उपयोग करें ताकि जीवन का कोई भी पहलू आपसे अपरिचित न रहे।
इस पुस्तक द्वारा आप संपूर्ण जीवन का ज्ञान प्राप्त करके अपना जीवन सफल
करें।
यह पुस्तक पढ़कर आप अपने तथा औरों के जीवन को बेहतर बनाने जा रहे हैं। इस
कार्य के लिये आपको शुभ इच्छा, हॅपी थॉट्स।
सरश्री....
पहला खण्ड
पहला महान रहस्य
महाजीवन दर्शन
एक हाथ की ताली
अध्याय 1
सत्य के रहस्य को, जीवन के महान रहस्य को
समझने आये हुए
खोजियों (सत्य प्रेमियों) का स्वागत है। आप सबको शुभेच्छा। शुभ इच्छा वह
है जो हमें मान्यताओं से मुक्ति दिलाये। शुभ इच्छा वह है जो तेजज्ञान
(महान रहस्य) समझाये, शुभ इच्छा वह है जो सभी इच्छाओं से मुक्त करके खुद
मिट जाय। शुभ इच्छा वह है जो महाजीवन का दर्शन कराये।
क्या जीवन एक सफर है जिसे हर एक को भुगतना (suffer करना) पड़ता है ? क्या
जीवन एक रास्ता है जहाँ हर एक को धक्के खाकर यात्रा करनी पड़ती है ? क्या
जीवन का अर्थ कोई समझा नहीं, कोई जाना नहीं ? क्या जीवन चलने का नाम है
जहाँ सुबह और शाम चलते रहना पड़ता है ? क्या जीवन एक संघर्ष है जहाँ हार
और जीत का युद्ध चल रहा है ? क्या जीवन एक पहेली है जो कभी हँसाती है तो
कभी रुलाती है ? क्या जीवन एक आइस्क्रीम की तरह है जिसे समय रहते खा लेना
चाहिये ? क्या जीवन एक चिड़िया है जो मौत के पिंजरे में कैद है ? क्या
जीवन का दर्शन गरीबों की बस्ती में देखने को मिलता है ? क्या जीवन महाजीवन
बन सकता है जो मृत्यु से मुक्त है ?
हर इंसान में जीवन है। जीवन ही चैतन्य है। जीवन जिंदादिली का नाम है। जीवन
वह जादू है जिसकी उपस्थिति में कोयल गीत गाती है, बुलबुल मीठे बोल सुनाती
है, तितली शहद का स्वाद लेती है, फूल खुशबू लुटाते हैं, बादल जल बरसाते
हैं, कवि कविता लिखते हैं, भक्त भजन करते हैं। जीवन वह ताली है जो एक हाथ
से बजती है क्योंकि जीवन के अलावा विश्व में कुछ भी नहीं है। जीवन जब जीवन
का अनुभव इंसान के शरीर द्वारा करता है तब एक हाथ की ताली जिसे अनहद
(अनाहत) नाद कहा गया है, बजती है। जीवन वह चैतन्य है जो दुनिया का, साक्षी
बनने से लेकर स्वसाक्षी बनना चाहता है।
जीवन को जीवन की अभिव्यक्ति करने के लिये, अपने रंग, अपने रूप, अपने गुण
प्रकट करने के लिये किस चीज की आवश्यकता है ? जीवन को अपनी पूर्ण
अभिव्यक्ति करने के लिये एक ऐसे इंसानी शरीर की आवश्यकता है जो मान्यता से
मुक्त है, जो गलत संस्कारों, आदतों, वृत्तियों (पैटर्नस्) से मुक्त है, जो
तमोगुण से आज़ाद है। जीवन को अपने संपूर्ण आयाम से खुलने के लिये ऐसे
इंसानी शरीर की आवश्यकता है जो भक्ति युक्त, प्रेम से भरा हुआ, नफरत,
ईर्ष्या, द्वेष व अहंकार से मुक्त है। ऐसा शरीर पाने के लिये जीवन को
साधना बनाना चाहिये। अपने अथवा दूसरों के शरीर को सताने की बजाय उसे ध्यान
में बैठने का प्रशिक्षण देना चाहिये। इसे एक उदाहरण से समझें।
एक धोबी था। वह धोबी अपने गधे को लेकर कपड़े धोने घाट पर जाता था। उसके घर
में उसके पास एक बकरी और बंदर भी थे। वह रोज बकरी और बंदर भी थे। वह रोज
बकरी और बंदर को बाँधकर जाता था। रोज ऐसा होता था कि धोबी के जाने के बाद
बंदर अपनी रस्सी खोल लेता था और उछल कूद करता था, घूमता-फिरता था और धोबी
के आने से पहले रस्सी बाँधकर बैठ जाता था।
एक दिन ऐसा हुआ कि धोबी ने थैला भरकर मूँगफली लायी और घर पर रख दी। फिर वह
काम से निकल गया। बंदर ने रोज की तरह अपनी रस्सी खोल दी, सारी मूँगफली खा
ली और अपने आपको फिर से बाँधकर बैठ गया मगर अपने आपको बाँधने से पहले उसने
बकरी की रस्सी खोल दी। अब आप जानते हैं कि क्या होगा। अब धोबी घर आता है,
मूँगफली न देखकर और बकरी की रस्सी खुली देखकर उस बकरी की पिटाई करता है।
बंदर मन ही मन खुश होता है। आप जानते हैं कि बकरी का दोष न होते हुए भी
बकरी की पिटाई हुई।
इस कहानी में बकरी कौन है ? बंदर कौन है ? मूँगफली क्या है ? धोबी कौन था
? जो बकरी है वह हमारा शरीर है जिसकी पिटाई हुई और बंदर है तोलू मन, उछल
कूद करने वाला मन। घटना होने पर हमारा मन यह बड़बड़ करता है कि
‘यह
अच्छा हुआ, यह बुरा हुआ, ऐसा क्यों हुआ, ऐसा नहीं होना चाहिये, वैसा होता
था तो अच्छा होता था, ऐसा नहीं होता था तो ज्यादा सही था।’ मन
की
कितनी उछल कूद होती है ? इसलिये कहते हैं, ‘मन अंदर मंदर, मन
बाहर
बंदर’ मन अंदर है तो मंदिर है। असली मंदिर बनाये गये ताकि मंदिर
को
देखकर आपको याद आये कि क्या आपका मन अंदर भी जाता है या सदा बाहर ही बाहर
माया के आकर्षण में रहता है ?
अब इस कहानी से समझें कि दोष किसका होता है और पिटाई किसकी होती है। इंसान
महाजीनव की यात्रा शुरू करता है तो वह सोचना है कि अभी मुझे उपवास रखने
चाहिये, ये-ये उपवास रखूँगा तो मन शांत हो जायेगा, सत्य मालूम पड़ेगा। यह
सोचकर कोई उपवास रख रहा है, शरीर को तपा रहा है, तप कर रहा है, कोई चार
बजे उठकर गंगा नहाता है। यह सोचकर कि इस दिन को यह नहीं खाना चाहिये, इस
दिन वहाँ नहीं जाना चाहिये, ऐसा अनिष्ट हो जायेगा, वैसा अपशगुन हो जायेगा,
बहुत सारे डर पाल लेता है। कितने सारे कर्मकाण्ड शरीर से जुड़े हुए हैं।
आपने ये कर्मकाण्ड पढ़े होंगे, सुने होंगे, कर रहे होंगे मगर महाजीवन पाना
है तो समझना है कि जो शरीर की पिटाई है वह गलत है। समझ और प्रशिक्षण मन को
मिलना चाहिये। हमें अलग-अलग तरह के मार्ग बताये गये हैं, जैसे कि जप, तप,
तंत्र, सेवा, धर्म, कर्म और ध्यान इन सभी मार्गों के ऊपर जो समझ तैयार
होनी चाहिये वह अगर नहीं होती है तो शरीर की पिटाई होती रहती है। हमें
असली रहस्य समझना चाहिये। जीवन के महान रहस्य समझकर जीवन की अभिव्यक्ति
करनी चाहिये। ऐसा करके हमारा जीवन महाजीवन बनेगा।
सच्चाई, असलियत, हकीकत, सत्य क्या है ? हमें क्या समझना है ? जीवन का
रहस्य क्या है ? हम इस शरीर के द्वारा, मन के द्वारा, अपनी बुद्धि के
द्वारा जीवन की अभिव्यक्ति कर रहे हैं। हमारे पास बकरी और बंदर भी है तो
किसके पास बकरी है ? किसके पास बंदर है ? जीवन का यह रहस्य समझ में आयेगा
तो जो बोझ लेकर हम जी रहे हैं वह खतम होगा। जीवन में लोग दो तरह के बोझ
लेकर जीते हैं, आने वाले भविष्य का बोझ या जो हो चुका है उस अतीत का बोझ।
हमसे जो कुछ गलतियाँ हो चुकी हैं उनका अपराध बोध (गिल्ट) हमारे मन पर होता
है ‘मैंने ऐसा क्यों किया, मेरे हाथ से ऐसा क्यों हो
गया’, यह
सोचकर इंसान अनावश्यक बोझ लेकर जीता है। जब हमें जीवन रहस्य समझ में आता
है तो हमें पता चलता है कि ये बोझ लेकर जीने की जरूरत नहीं है।
अगर हमने इस वक्त मिठाई खायी है और मिठाई खाकर यदि हम चाय पीयें तो क्या
होगा ? आपको चाय फीकी लगती है क्योंकि पहले से ही जो मिठाई खायी हुई है
उसकी मिठास चाय का स्वाद लेने में बाधा बनती है। उसी तरह आपने यदि जीवन के
बारे में कुछ सोच (मान) रखा है तो उसे कुछ समय के लिये थोड़ा बाजू में
रखकर पढ़ेंगे तो आप इन रहस्यों और जीवन के नियमों को समझ पायेंगे।
किसी इंसान ने एक लेक्चर लिया। वह इंसान लेक्चर इस बात पर ले रहा था कि
शराब पीने से क्या नुकसान होते हैं, लोग शराब पीना क्यों छोड़ दें। उसने
पानी से भरे दो गिलास लाये थे। एक गिलास में पानी रखा है और एक में शराब
रखी और वह कुछ जिंदा कीड़े लेकर आया था। वे कीड़े उसने पानी में और शराब
में डाले। फिर लोगों ने देखा कि देखते ही देखते जो कीड़े शराब के अंदर गये
थे वे मर गये। उस इंसान ने लोगों से पूछा कि इस प्रयोग से आपने क्या समझा
? एक इंसान ने उठकर कहा, ‘अगर हम शराब पीयेंगे तो ऐसे कीड़े
हमारे
पेट में नहीं रहने वाले।’ बताया जा रहा था। कि शराब पीना कितना
हानिकारक है मगर वह बात नहीं समझी गयी, कुछ अलग ही समझ लिया गया। इसलिये
आप जीवन की कोई भी धारणा मन में न रखते हुए जीवन के महान रहस्य पढ़ें और
उनका पूरा व सही फायदा लें।
जीवन रहस्य का पता चलने से ही आपको आनंद की कमी नहीं होगी। ज्ञान न होने
की वजह से हम गलत चीजों में आनंद लेना चाहते हैं। कोई शराब पीयेगी, जुआ
खेलेगा, रेस कोर्स में जायेगा, कोई कहेगा मैं यह चीज पा लूँ, वह चीज पा
लूँ, मेरा प्रमोशन हो जाय, यह हो जाय, वह हो जाय ताकि मुझे आनंद मिले। उसे
पता नहीं है कि असली आनंद हमारे अंदर है, उसे कैसे पाया जाय यह जानना
आवश्यक है।
जीवन रहस्य पता चल जाय तो फिर कभी आपको आनंद की कमी नहीं होगी या जो चीज
आप जीवन में चाहते हैं, उसकी कमी नहीं होगी। हमें दूसरों पर निर्भर नहीं
रहना पड़ेगा। आज हम दूसरों पर निर्भर होते हैं, ‘कोई मेरी तारीफ
करे, मेरा काम करे, मेरे बर्थ डे पर तोहफा लाकर दे तो मैं खुश हो जाऊँ।
कोई और मेरे लिये कुछ करने वाला है तो मैं आनंद पाऊँगा।’ मगर
क्या
ऐसा हो सकता है कि मेरा आनंद मेरे अंदर ही हो, मैं जितना चाहूँ, जब चाहूँ
आनंद ले सकूँ ? क्या ऐसा कोई इंसान आपको मिलता है जो आपको कहे कि मैं खुश
हूँ, कारण ‘मैं हूँ’ मेरे लिये इतना ही काफी है। मेरा
होना ही
आनंद का कारण है।
आनंदित इंसान ही अपने जीवन को जीवन से बदलकर महाजीवन बना सकता है। आनंदित
इंसान ही सच्चे जीवन का दर्शन कर सकता है, जो आँखों से नहीं हृदय से महसूस
किया जाता है।
महान का मकान
आप पृथ्वी पर मेहमान हैं
अध्याय 2
हर इंसान इस पृथ्वी पर मेहमान है। अगर हर
इंसान पृथ्वी पर मेहमान है तो यह
सवाल उठता है कि ‘हम किसके मेहमान है ?’
हम सब महान के मेहमान हैं। ईश्वर महान है। अगर आपको उस महान का मकान
दिखायी दे तो आपका रहना, चलना, उठना, बैठना सब बदल जायेगा। जब आप किसी के
घर मेहमान बनकर जाते हैं तो वहाँ कैसे रहते हैं ? क्या वहाँ आप यह सोचते
हैं कि यह आपका कमरा है, इसमें कोई न आये ? ऐसी जिद आप मेहमान बनकर दूसरे
के घर पर नहीं करते क्योंकि आपको सतत् यह बात याद रहती है कि आप वहाँ
मेहमान हैं। अगर आप महान के मेहमान हैं और यह बात आपने समझ के साथ पूरी
तरह से जान ली है तो आपका व्यवहार अलग होगा।
किसी इंसान के घर में एक उपयोगी वस्तु है मगर उसे पता नहीं कि वह वस्तु
उसके घर में है तो उस वस्तु के होने का लाभ वह नहीं ले पायेगा। जैसे किसी
के घर में एक छाता है और उसे पता नहीं है कि उसके घर में छाता है तो वह
इंसान ‘अतेज धूप’ में जलता रहेगा और ‘अतेज
बारिश’
में भीगता रहेगा। फिर कोई उसे बतायेगा, ‘आपके पास एक छाता है और
वह
छाता आपके घर में ही है।’ उसके पास छाता है यह जानकर वह सिर्फ
खुश
होता रहा तो भी उसका काम पूरा नहीं होगा। जब तब कोई उसे छाता खोलना नहीं
सिखाता तब तक उस इंसान की पूरी संभावना नहीं खुलेगी।
एक गाँव के दस लोग कहीं जा रहे थे। यह जानते हुए कि उनकी बुद्धि थोड़ी मंद
है, लोगों ने उन्हें समझाया कि दस लोग जा रहे हैं तो दस लोग ही वापस आयें।
जाते-जाते रास्ते में उन्हें एक नदी पार करनी पड़ी। वह नदी उन्होंने तैरकर
पार की। दूसरे किनारे पर पहुँचने के बाद उन्होंने तय किया कि सबसे पहले
कितने लोग नदी पार करके आये हैं यह गिनते हैं। उनमें से एक ने गिनती करना
शुरू किया और उसने नौ लोगों को ही गिना। सिर्फ नौ लोग ही नदी पार करके आये
हैं यह देखकर वह इंसान रोने लगा। उसे लगा कि दस में से एक इंसान डूब गया
मगर आप समझ गये होंगे कि वह इंसान खुद को छोड़कर बाकी सबकी गिनती कर रहा
था।
इंसान भी अपने जीवन में यही कर रहा है, खुद को छोड़कर सबकी गिनती कर रहा
है। अगर आपने किसी से पूछा, ‘‘क्या आप खुद को जानते
हैं
?’ तो उसका सिर शर्म से झुक जायेगा क्योंकि इंसान सब कुछ जानने
में
समय बिताता है मगर उसे खुद के बारे में बहुत कम जानकारी होती है। उसे
विश्व के सारे सवालों के जवाब मालूम होते हैं, वह प्रतियोगिता (कॉन्टेस्ट)
में गया तो करोड़पति बन जाता है मगर उससे पूछा कि आप कौन हैं तो उसका जवाब
उसके पास नहीं है।
जीवन के पाँच महान रहस्यों के साथ भी ऐसा ही है। ये रहस्य लोग पहले से ही
जानते हैं। आप जो जानते हैं, वही आपको बताया जा रहा है। जो आपके पास है,
उसके बारे में ही बातचीत की जाती है। ये पाँच रहस्य ऐसे हैं जो सभी को पता
हैं। फिर भी आपको इसलिये बताया जा रहा है क्योंकि आप वे रहस्य शब्दों में
नहीं जानते और साथ ही उनका इस्तेमाल करना भी नहीं जानते नीचे दी गयी सूची
से आपको जीवन के पाँच महान रहस्यों की जानकारी मिलेगी।