10 मई, 2013

Shani Shingnapur







Shani Shingnapur or Shani Shinganapur or Shingnapur or Sonai is a village in the Indian state of Maharashtra. Situated in Nevasa taluka in Ahmednagar district, the village is known for its popular temple of Shani, the Hindu god of the planet (graha) Saturn. Shingnapur is 35 km from Ahmednagar city.
Shingnapur is also famous for the fact that no house in the village has doors, only door frames. Despite this, no theft is reported in the village. Villagers never keep their valuables under lock and key. Villagers believe that the temple is a "jagrut devasthan" (lit. "alive temple"), meaning that the god here is very powerful. They believe that god Shani punishes anyone attempting theft.
The village has a post office and a high school known as Shri Shanishwar Vidya Mandir besides the primary schools run by the Zilla Parishad. The chief source of water supply in the villages is wells.





Unique Features of Shinganapur:


1. No shelter over Shani Maharaj - As per the instructions received from Shani Maharaj himself, there is no roof or temple built over his idol.
2. No doors or locks in houses - The most unique feature in Shingnapur that differentiated this village from any other place in the world is that there are no doors or locks to houses. The villagers firmly believe that Shani Maharaj protects them from thieves and wrong doers and they only have door frames and curtains in the place of doors and locks. There are several stories narrated by local villagers about how nobody in the village would dare to make an attempt to steal other's property and also about how when some outsiders have made an attempt to steal they have been punished by Shani Maharaj.
3. No branches grow over the Moolasthan - There was a neem tree that grew near the Moolasthan but everytime a branch grew near Shani Maharaj it would automatically break and fall down. Few years ago, this tree




शनि मंदिर, शिंग्लापुर
शनि तीर्थ क्षेत्र महाराष्ट्र में ही शनिदेव के अनेक स्थान हैं, पर शनि शिंगणापुर का एक अलग ही महत्व है। यहाँ शनि देव हैं, लेकिन मंदिर नहीं है। घर है परंतु दरवाजा नहीं। वृक्ष है लेकिन छाया नहीं।
मूर्ति
शनि भगवान की स्वयंभू मूर्ति काले रंग की है। 5 फुट 9 इंच ऊँची व 1 फुट 6 इंच चौड़ी यह मूर्ति संगमरमर के एक चबूतरे पर धूप में ही विराजमान है। यहाँ शनिदेव अष्ट प्रहर धूप हो, आँधी हो, तूफान हो या जाड़ा हो, सभी ऋतुओं में बिना छत्र धारण किए खड़े हैं। राजनेता व प्रभावशाली वर्गों के लोग यहाँ नियमित रूप से एवं साधारण भक्त हजारों की संख्या में देव दर्शनार्थ प्रतिदिन आते हैं।
 शिंगणापुर गाँव
लगभग तीन हजार जनसंख्या के शनि शिंगणापुर गाँव में किसी भी घर में दरवाजा नहीं है। कहीं भी कुंडी तथा कड़ी लगाकर ताला नहीं लगाया जाता। इतना ही नहीं, घर में लोग आलीमारी, सूटकेस आदि नहीं रखते। ऐसा शनि भगवान की आज्ञा से किया जाता है।
लोग घर की मूल्यवान वस्तुएँ, गहने, कपड़े, रुपए-पैसे आदि रखने के लिए थैली तथा डिब्बे या ताक का प्रयोग करते हैं। केवल पशुओं से रक्षा हो, इसलिए बाँस का ढँकना दरवाजे पर लगाया जाता है।
गाँव छोटा है, पर लोग समृद्ध हैं। इसलिए अनेक लोगों के घर आधुनिक तकनीक से ईंट-पत्थर तथा सीमेंट का इस्तेमाल करके बनाए गए हैं। फिर भी दरवाजों में किवाड़ नहीं हैं। यहाँ दुमंजिला मकान भी नहीं है। यहाँ पर कभी चोरी नहीं हुई। यहाँ आने वाले भक्त अपने वाहनों में कभी ताला नहीं लगाते। कितना भी बड़ा मेला क्यों न हो, कभी किसी वाहन की चोरी नहीं हुई।
शनिवार
शनिवार के दिन आने वाली अमावस को तथा प्रत्येक शनिवार को महाराष्ट्र के कोने-कोने से दर्शनाभिलाषी यहाँ आते हैं तथा शनि भगवान की पूजा, अभिषेक आदि करते हैं। प्रतिदिनप्रातः 4 बजे एवं सायंकाल 5 बजे यहाँ आरती होती है। शनि जयंती पर जगह-जगह से प्रसिद्ध ब्राह्मणों को बुलाकर 'लघुरुद्राभिषेक' कराया जाता है। यह कार्यक्रम प्रातः 7 से सायं 6 बजे तक चलता है।


शनि शिनगानापुर मंदिर, भगवान शनि को समर्पित है। यह शिर्डी से 65 किमी. दूर है। यह मंदिर जिस गांव में है वहां  के घरों में दरवाजे नहीं है। कहा जाता है कि गांव वालों को अपने देवता शनिश्‍वेर पर भरोसा है कि वह सदैव डकैती और चोरी होने से उनके घर की रक्षा करेगें। यह कहा जाता है कि यदि कोई व्‍यक्ति यहाँ चोरी कर ले तो उसी दिन वह अंधा हो जाता है। भगवान शनि की मूर्ति, बड़े और काले पत्‍थर की बनी हुई है। मंदिर में केवल पुरूष भक्‍तों को पूजा कीअनुमति है।



भक्‍तों को पहले सार्वजनिक बाथरूम में नहाना पड़ता है उसके बाद बिना किसी ऊपरी परिधान के गीली धोती के साथ प्रार्थना करना पड़ता है। शिर्डी में दर्शन करने के बाद यहाँ पर पूजा करना आवश्‍यक होता है। मंदिर, पूजा के लिए सुबह 5 से रात 10 तक खुला रहता है।

Shani Shingnapur







Shani Shingnapur or Shani Shinganapur or Shingnapur or Sonai is a village in the Indian state of Maharashtra. Situated in Nevasa taluka in Ahmednagar district, the village is known for its popular temple of Shani, the Hindu god of the planet (graha) Saturn. Shingnapur is 35 km from Ahmednagar city.
Shingnapur is also famous for the fact that no house in the village has doors, only door frames. Despite this, no theft is reported in the village. Villagers never keep their valuables under lock and key. Villagers believe that the temple is a "jagrut devasthan" (lit. "alive temple"), meaning that the god here is very powerful. They believe that god Shani punishes anyone attempting theft.
The village has a post office and a high school known as Shri Shanishwar Vidya Mandir besides the primary schools run by the Zilla Parishad. The chief source of water supply in the villages is wells.





Unique Features of Shinganapur:


1. No shelter over Shani Maharaj - As per the instructions received from Shani Maharaj himself, there is no roof or temple built over his idol.
2. No doors or locks in houses - The most unique feature in Shingnapur that differentiated this village from any other place in the world is that there are no doors or locks to houses. The villagers firmly believe that Shani Maharaj protects them from thieves and wrong doers and they only have door frames and curtains in the place of doors and locks. There are several stories narrated by local villagers about how nobody in the village would dare to make an attempt to steal other's property and also about how when some outsiders have made an attempt to steal they have been punished by Shani Maharaj.
3. No branches grow over the Moolasthan - There was a neem tree that grew near the Moolasthan but everytime a branch grew near Shani Maharaj it would automatically break and fall down. Few years ago, this tree




शनि मंदिर, शिंग्लापुर
शनि तीर्थ क्षेत्र महाराष्ट्र में ही शनिदेव के अनेक स्थान हैं, पर शनि शिंगणापुर का एक अलग ही महत्व है। यहाँ शनि देव हैं, लेकिन मंदिर नहीं है। घर है परंतु दरवाजा नहीं। वृक्ष है लेकिन छाया नहीं।
मूर्ति
शनि भगवान की स्वयंभू मूर्ति काले रंग की है। 5 फुट 9 इंच ऊँची व 1 फुट 6 इंच चौड़ी यह मूर्ति संगमरमर के एक चबूतरे पर धूप में ही विराजमान है। यहाँ शनिदेव अष्ट प्रहर धूप हो, आँधी हो, तूफान हो या जाड़ा हो, सभी ऋतुओं में बिना छत्र धारण किए खड़े हैं। राजनेता व प्रभावशाली वर्गों के लोग यहाँ नियमित रूप से एवं साधारण भक्त हजारों की संख्या में देव दर्शनार्थ प्रतिदिन आते हैं।
 शिंगणापुर गाँव
लगभग तीन हजार जनसंख्या के शनि शिंगणापुर गाँव में किसी भी घर में दरवाजा नहीं है। कहीं भी कुंडी तथा कड़ी लगाकर ताला नहीं लगाया जाता। इतना ही नहीं, घर में लोग आलीमारी, सूटकेस आदि नहीं रखते। ऐसा शनि भगवान की आज्ञा से किया जाता है।
लोग घर की मूल्यवान वस्तुएँ, गहने, कपड़े, रुपए-पैसे आदि रखने के लिए थैली तथा डिब्बे या ताक का प्रयोग करते हैं। केवल पशुओं से रक्षा हो, इसलिए बाँस का ढँकना दरवाजे पर लगाया जाता है।
गाँव छोटा है, पर लोग समृद्ध हैं। इसलिए अनेक लोगों के घर आधुनिक तकनीक से ईंट-पत्थर तथा सीमेंट का इस्तेमाल करके बनाए गए हैं। फिर भी दरवाजों में किवाड़ नहीं हैं। यहाँ दुमंजिला मकान भी नहीं है। यहाँ पर कभी चोरी नहीं हुई। यहाँ आने वाले भक्त अपने वाहनों में कभी ताला नहीं लगाते। कितना भी बड़ा मेला क्यों न हो, कभी किसी वाहन की चोरी नहीं हुई।
शनिवार
शनिवार के दिन आने वाली अमावस को तथा प्रत्येक शनिवार को महाराष्ट्र के कोने-कोने से दर्शनाभिलाषी यहाँ आते हैं तथा शनि भगवान की पूजा, अभिषेक आदि करते हैं। प्रतिदिनप्रातः 4 बजे एवं सायंकाल 5 बजे यहाँ आरती होती है। शनि जयंती पर जगह-जगह से प्रसिद्ध ब्राह्मणों को बुलाकर 'लघुरुद्राभिषेक' कराया जाता है। यह कार्यक्रम प्रातः 7 से सायं 6 बजे तक चलता है।


शनि शिनगानापुर मंदिर, भगवान शनि को समर्पित है। यह शिर्डी से 65 किमी. दूर है। यह मंदिर जिस गांव में है वहां  के घरों में दरवाजे नहीं है। कहा जाता है कि गांव वालों को अपने देवता शनिश्‍वेर पर भरोसा है कि वह सदैव डकैती और चोरी होने से उनके घर की रक्षा करेगें। यह कहा जाता है कि यदि कोई व्‍यक्ति यहाँ चोरी कर ले तो उसी दिन वह अंधा हो जाता है। भगवान शनि की मूर्ति, बड़े और काले पत्‍थर की बनी हुई है। मंदिर में केवल पुरूष भक्‍तों को पूजा कीअनुमति है।



भक्‍तों को पहले सार्वजनिक बाथरूम में नहाना पड़ता है उसके बाद बिना किसी ऊपरी परिधान के गीली धोती के साथ प्रार्थना करना पड़ता है। शिर्डी में दर्शन करने के बाद यहाँ पर पूजा करना आवश्‍यक होता है। मंदिर, पूजा के लिए सुबह 5 से रात 10 तक खुला रहता है।

07 मई, 2013

सैकड़ों साल पुरानी किताब में लिखे भविष्य जानने के इशारे ...

भविष्य जानने की एक प्रचीन विद्या शकुन-अपशकुन भी है। इसके अनुसार आप पहले ही जान सकते हैं कि भविष्य में आपके साथ क्या होने वाला है। ज्योतिष शास्त्र में वाराह संहिता में शकुन और अपशकुनों के बारे में बताया गया है। वराह संहिता सैकड़ों साल पहले आचार्य वराह मिहिर ने लिखी है। इस किताब में शकुन और अपशकुनों से भविष्य देखा जाता है। आपके रोजमर्रा के जीवन में कई ऐसी छोटी-छोटी प्राकृतिक घटनाएं होती है जो अजीब होती है, उनको आप अनदेखा न करें। इन छोटी-छोटी घटनाओं को ही शकुन और अपशकुन कहा जाता है। ये एक तरह का योग- संयोग होती है।

क्या होते हैं शकुन अपशकुन-
शकुन-अपशकुन प्रकृति से मिलने वाले वो संकेत होते हैं जो हमें भविष्य में होने वाली घटनाओं से सावधान करवाती है। ये वो छोटी-छोटी बातें होती है, जिन पर अक्सर हमारा ध्यान नहीं जाता है। प्रकृति हमारे भविष्य में होने वाली घटनाओं का संकेत देती हैं। भारतीय ज्योतिष में वाराह संहिता नाम के ग्रन्थ में शकुन-अपशकुन के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया है। शकुन-अपशकुन प्राचीन काल से ही लोकवार्ता या रिती-रिवाजों से पीढ़ी दर पीढ़ी पहुंचते रहे हैं। कुछ लोग इसको अंधविश्वास मानते हैं। फिर भी ज्यादातर लोग इन संकेतों को अनदेखा नहीं करते। हर इंसान कभी-कभी किसी ना किसी रूप में इन संकेतो को मानता है। शकुनों के परिणाम उतने ही प्राचीन हैं जितनी मनुष्य जाति। इन संकेतो को केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में माना जाता है।
शकुन का उल्लेख हमारे वेदों, पुराणों व धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है। महाभारत और रामायण जैसे ग्रन्थों में भी कई जगह शकुनों की बात कही गई है। ज्योतिष में भी शकुनों पर विशेष विचार किया जाता है। प्रश्न कुंडली के विचार में शकुनों का खास महत्व है। शुभ शकुनों में पूछे गये प्रश्न सफल व अपशकुनों में पूछे गये प्रश्न असफल होते देखे गये हैं।

Lake District,England






Photos taken by Mrs.Archana Mishra ,Ipswich , London during visit to Lake District on week ends.....

06 मई, 2013

Kashi Vishwanath Temple



Kashi Vishwanath Temple (Hindi: काशी विश्‍वनाथ मंदिर) is one of the most famous Hindu temples dedicated to Lord Shiva and is located in Varanasi, the Holiest existing Place of Hindus, where at least once in life a Hindu is expected to do pilgrimage, and if possible, also pour the remains (ashes) of cremated ancestors here on the River Ganges. It is in the state of Uttar Pradesh, India. The temple stands on the western bank of the holy river Ganges, and is one of the twelve Jyotirlingas, the holiest of Shiva temples. The main deity is known by the name Vishwanatha or Vishweshwara meaning the Ruler of the universe. The temple town that claims to be the oldest living city in the world, with 3500 years of documented history[1] is also called Kashi and hence the temple is popularly called as Kashi Vishwanath Temple. Due to this 15.5m high golden spire(golden cover built by Maharaja Ranjit Singh-ruler of Lahore), the temple is sometimes called as the Golden Temple,.[2]
The temple has been referred in Hindu theology since a very long time and as a central part of worship in the Shaiva philosophy. The temple has been destroyed and rebuilt a number of times. The Gyanvapi Mosque, which is adjacent to the temple, is the original site of the temple.[3] The current structure was built by the Maratha monarch, Ahilya Bai Holkar of Indore in 1780.[4] Since 1983, the temple is being managed by Govt. of Uttar Pradesh. During the religious occasion of Shivratri, Kashi Naresh (King of Kashi) is the chief officiating priest and no other person or priest is allowed to enter the sanctum sanctorum. It is only after he performs his religious functions that others are allowed to enter.

The Kashi Vishwanath temple is located in the heart of the cultural capital of India, Varanasi. It stands on the western bank of India's holiest river Ganges. The Kashi Vishwanath temple is the center of faith for millions of Hindus. This temple is dedicated to Lord Shiva. It is popularly known as the 'Golden Temple' due the gold plating done on its 15.5 meter high spire. The Kashi Vishwanath Temple enshrines the Jyotirlinga of Shiva, Vishweshwara or Vishwanatha.

A simple glimpse of the Jyotirlinga is a soul-cleansing experience that transforms life and puts it on the path of knowledge and bhakti. The Kashi Vishwanath Temple attracts visitors not only from India but abroad as well and thereby symbolises man's desire to live in peace snd harmony with one another.

दोस्ती तो सिर्फ एक इत्तफाक हैं !

दोस्ती तो सिर्फ एक इत्तफाक हैं !  यह तो दिलो की मुलाक़ात हैं !!
दोस्ती नहीं देखती यह दिन हैं की रात हैं ! इसमें तो सिर्फ वफादारी और जज्बात हैं !!


तुम्हे हमारी याद कभी तो आती होगी ! दिल की धड़कन भी सायद बढ़ जाती होगी !!
कितना चाहा था हमने की साथ - साथ रहे ! यह सोच कर तुम्हारी भी आँख भर आती होगी !!


प्यार करने वालो की किस्मत ख़राब होती हैं !
हर वक़्त इन्तहा की घड़ी साथ होती हैं !!वक़्त मिले तो रिश्तो की किताब खोल के देखना !
दोस्ती हर रिश्तो से लाजवाब होती हैं !!


आँखों में आंसुओ को उभरने ना दिया ! मिट्टी के मोतियों को बिखरने ना दिया !!
जिस राह पे पड़े थे तेरे कदमो के निशान ! उस राह से किसी को गुजरने ना दिया !!
 
 
मोहब्बत के बिना ज़िन्दगी फिजूल हैं ! पर मोहब्बत के भी अपने उसूल हैं !!
कहते हैं मिलती हैं मोहब्बत में बहुत उल्फ़ते ! पर आप हो महबूब तो सब कबूल हैं !!

यादें .....

अपनी यादें अपनी बातें लेकर जाना भूल गए  जाने वाले जल्दी में मिलकर जाना भूल गए  मुड़ मुड़ कर पीछे देखा था जाते ...