31 अगस्त, 2025

नीर क्षीर विवेक

नीर क्षीर विवेके हंस आलस्यम् त्वम् एव तनुषे चेत् ।
विश्वस्मिन् अधुना अन्य: कुलव्रतं पालयिष्यति क: ॥
अरे हंस यदि तुम ही पानी तथा दूध भिन्न करना छोड दोगे तो दूसरा कौन तुम्हारा यह कुलव्रत का पालन कर सकता है ? यदि बुद्धि वान् तथा कुशल मनुष्य ही अपना कर्तव्य करना छोड दे तो दूसरा कौन वह काम कर सकता है 

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हमेशा याद रखना अच्छे दिनों के लिए हमेशा बुरे दिनों से लड़ना पड़ता है

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