15 जुलाई, 2025

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✍️ पोस्ट का शीर्षक (Title):

मेरी ब्लॉग यात्रा – क्यों लिख रहा हूँ मैं?


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📝 पोस्ट सामग्री (Content):

**"कभी लगता है, शब्दों में ही तो साँसें हैं मेरी..."**

बहुत दिनों से भीतर कुछ उमड़ता रहा। कुछ अनुभव, कुछ स्मृतियाँ, कुछ सवाल... जो केवल सोचकर रह जाना नहीं चाहते थे। वे शब्द बनना चाहते थे। शायद इसलिए अब यह ब्लॉग — जहाँ मैं अपने जीवन के अनुभवों, विचारों और भावनाओं को सहेजना चाहता हूँ।

मैं कोई बड़ा लेखक नहीं हूँ। न ही साहित्य के भारी शब्दों का प्रयोग करना चाहता हूँ। मैं बस वह लिखना चाहता हूँ, जो मैंने जिया है, जो देखा है, जो महसूस किया है।  

**टैरिया (सोहनाग)** जैसे गाँव की मिट्टी से लेकर गोरखपुर की गलियों और बनारस की संस्कृति तक, जीवन की जो यात्रा रही — वह केवल बाहर की नहीं थी, भीतर की भी थी।  
एक शिक्षक के रूप में मैंने न जाने कितनी आँखों में भविष्य देखा।  
एक साधारण इंसान के रूप में जीवन के असाधारण रंगों को महसूस किया।  
एक पुत्र, पिता, मित्र और विचारक के रूप में अपने समय को जीया।

यह ब्लॉग उसी यात्रा का दस्तावेज़ है।  
यहाँ आप पाएँगे —
- आत्मकथात्मक संस्मरण
- श्रद्धांजलि और स्मृति लेख
- कविताएँ और गद्य
- समाज और जीवन पर मेरे विचार

**मैं क्यों लिख रहा हूँ?**  
क्योंकि मैं चाहता हूँ कि जब मेरे शब्द किसी तक पहुँचें — तो वह सिर्फ़ पढ़े नहीं, महसूस करे।  
शब्दों में जीवन बहे...  
जैसे कभी सूनी दोपहरी में हवा बहती है — हल्की, पर ठंडी।

आपका स्नेह और संवाद इस यात्रा को सार्थक बनाएगा।

**शुभकामनाओं सहित,**  
*रामेश्वर नाथ तिवारी*


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ओम या ॐ के 10 रहस्य और चमत्कार

ओम या ॐ के 10 रहस्य और चमत्कार


1. नाद : इस ध्वनि को कहते हैं। अनाहत अर्थात जो किसी आहत या टकराहट से पैदा नहीं होती बल्कि स्वयंभू है। इसे ही नाद कहा गया है। ओम की ध्वनि एक शाश्वत ध्वनि है जिससे ब्रह्मांड का जन्म हुआ है। एक ध्वनि है, जो किसी ने बनाई नहीं है। यह वह ध्वनि है जो पूरे कण-कण में, पूरे अंतरिक्ष में हो रही है और मनुष्य के भीतर भी यह ध्वनि जारी है। सहित ब्रह्मांड के प्रत्येक गृह से यह ध्वनि बाहर निकल रही है।

2. ब्रह्मांड का जन्मदाता : पुराण मानता है कि नाद और बिंदु के मिलन से ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई। नाद अर्थात ध्वनि और बिंदु अर्थात शुद्ध प्रकाश। यह ध्वनि आज भी सतत जारी है। ब्रह्म प्रकाश स्वयं प्रकाशित है। परमेश्वर का प्रकाश। इसे ही शुद्ध प्रकाश कहते हैं। संपूर्ण ब्रह्मांड और कुछ नहीं सिर्फ कंपन, ध्वनि और प्रकाश की उपस्थिति ही है। जहां जितनी ऊर्जा होगी वहां उतनी देर तक जीवन होगा। यह जो हमें सूर्य दिखाई दे रहा है एक दिन इसकी भी ऊर्जा खत्म हो जाने वाली है। धीरे-धीरे सबकुछ विलिन हो जाने वाला है। बस नाद और बिंदु ही बचेगा।

3. ओम शब्द का अर्थ : ॐ शब्द तीन ध्वनियों से बना हुआ है- अ, उ, म...। इन तीनों ध्वनियों का अर्थ उपनिषद में भी आता है। अ मतलब अकार, उ मतलब ऊंकार और म मतलब मकार। 'अ' ब्रह्मा का वाचक है जिसका उच्चारण द्वारा हृदय में उसका त्याग होता है। 'उ' विष्णु का वाचक हैं जिसाक त्याग कंठ में होता है तथा 'म' रुद्र का वाचक है और जिसका त्याग तालुमध्य में होता है।

4. ओम का आध्यात्मिक अर्थ : ओ, उ और म- उक्त तीन अक्षरों वाले शब्द की महिमा अपरम्पार है। यह नाभि, हृदय और आज्ञा चक्र को जगाता है। यह ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक भी है और यह भू: लोक, भूव: लोक और स्वर्ग लोग का प्रतीक है। ओंकार ध्वनि के 100 से भी अधिक अर्थ दिए गए हैं।
5. मोक्ष का साधन : ओम ही है एकमात्र ऐसा प्रणव मंत्र जो आपको अनहद या मोक्ष की ओर ले जा सकता है। धर्मशास्त्रों के अनुसार मूल मंत्र या जप तो मात्र ओम ही है। ओम के आगे या पीछे लिखे जाने वाले शब्द गोण होते हैं। प्रणव ही महामंत्र और जप योग्य है। इसे प्रणव साधना भी कहा जाता है। यह अनादि और अनंत तथा निर्वाण, कैवल्य ज्ञान या मोक्ष की अवस्था का प्रतीक है। जब व्यक्ति निर्विचार और शून्य में चला जाता है तब यह ध्वनि ही उसे निरंतर सुनाई देती रहती है।

6. प्रणव की महत्ता : शिव पुराण में प्रणव के अलग-अलग शाब्दिक अर्थ और भाव बताए गए हैं- 'प्र' यानी प्रपंच, 'ण' यानी नहीं और 'व:' यानी तुम लोगों के लिए। सार यही है कि प्रणव मंत्र सांसारिक जीवन में प्रपंच यानी कलह और दु:ख दूर कर जीवन के अहम लक्ष्य यानी मोक्ष तक पहुंचा देता है। यही कारण है ॐ को प्रणव नाम से जाना जाता है। दूसरे अर्थों में प्रणव को 'प्र' यानी यानी प्रकृति से बने संसार रूपी सागर को पार कराने वाली 'ण' यानी नाव बताया गया है। इसी तरह ऋषि-मुनियों की दृष्टि से 'प्र' अर्थात प्रकर्षेण, 'ण' अर्थात नयेत् और 'व:' अर्थात युष्मान् मोक्षम् इति वा प्रणव: बताया गया है। जिसका सरल शब्दों में मतलब है हर भक्त को शक्ति देकर जनम-मरण के बंधन से मुक्त करने वाला होने से यह प्रणव: है।

7. स्वत: ही उत्पन्न होता है जाप : ॐ के उच्चारण का अभ्यास करते-करते एक समय ऐसा आता है जबकि उच्चारण करने की आवश्यकता नहीं होती आप सिर्फ आंखों और कानों को बंद करके भीतर उसे सुनें और वह ध्वनि सुनाई देने लगेगी। भीतर प्रारंभ में वह बहुत ही सूक्ष्म सुनाई देगी फिर बढ़ती जाएगी। साधु-संत कहते हैं कि यह ध्वनि प्रारंभ में झींगुर की आवाज जैसी सुनाई देगी। फिर धीरे-धीरे जैसे बीन बज रही हो, फिर धीरे-धीरे ढोल जैसी थाप सुनाई देने लग जाएगी, फिर यह ध्वनि शंख जैसी हो जाएगी और अंत में यह शुद्ध ब्रह्मांडीय ध्वनि हो जाएगी।

8. शारीरिक रोग और मानसिक शांति हेतु : इस मंत्र के लगातार जप करने से शरीर और मन को एकाग्र करने में मदद मिलती है। दिल की धड़कन और रक्तसंचार व्यवस्थित होता है। इससे शारीरिक रोग के साथ ही मानसिक बीमारियां दूर होती हैं। काम करने की शक्ति बढ़ जाती है। इसका उच्चारण करने वाला और इसे सुनने वाला दोनों ही लाभांवित होते हैं।
9. सृष्टि विनाश की क्षमता : ओम की ध्वनि में यह शक्ति है कि यह इस ब्रहमांड के किसी भी गृह को फोड़ने या इस संपूर्ण ब्रह्मांड को नष्ट करने की क्षमता रखता है। यह ध्वनि सूक्ष्म से भी सूक्ष्म और विराट से भी विराट होने की क्षमता रखती है।

10. शिव के स्थानों पर होता रहता है ओम का उच्चारण : सभी ज्योतिर्लिंगों के पास स्वत: ही ओम का उच्चारण होता रहता है। यदि आप कैलाश पर्वत या मानसरोवर झील के क्षेत्र में जाएंगे, तो आपको निरंतर एक आवाज सुनाई देगी, जैसे कि कहीं आसपास में एरोप्लेन उड़ रहा हो। लेकिन ध्यान से सुनने पर यह आवाज 'डमरू' या 'ॐ' की ध्वनि जैसी होती है। वैज्ञानिक कहते हैं कि हो सकता है कि यह आवाज बर्फ के पिघलने की हो। यह भी हो सकता है कि प्रकाश और ध्वनि के बीच इस तरह का समागम होता है कि यहां से 'ॐ' की आवाजें सुनाई देती हैं।

मशहूर अभिनेता श्रीराम लागू का 92 साल की उम्र में निधन


1टिप्पणियां
मशहूर अभिनेता डॉ. श्रीराम लागू (Shriram Lagoo) का वृद्धावस्था से संबंधित बीमारियों के चलते मंगलवार शाम पुणे स्थित उनके आवास पर निधन हो गया. वह 92 वर्ष के थे. उनके परिवार के सूत्रों ने यह जानकारी दी. नाटककार सतीश अलेकर ने बताया, 'मैंने उनके दामाद से बात की. वृद्धावस्था संबंधित बीमारियों के कारण उनका निधन हुआ.'

प्रशिक्षित ईएनटी सर्जन लागू ने विजय तेंदुलकर, विजय मेहता और अरविंद देशपांडे के साथ आजादी के बाद वाले काल में महाराष्ट्र में रंगमंच को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई थी.

How to deal with Biased Boss!!!








How to deal with Biased Boss!!!

Step 1
Weigh the severity of your boss’s biases before acting. A boss may allow other employees as much time off as they request but routinely deny workers with small children the same privilege. Or the boss might unintentionally insult an employee by implying that people of her faith are less intelligent, in general. These actions might show poor judgment, but they’re not illegal. However, a boss who knowingly discriminates against workers because of race, gender, ethnicity, religion or a disability is breaking the law under Title VII of the 1964 Civil Rights Act.
Step 2
Document your boss’s behavior. Discrimination can be hard to identify and even more difficult to prove. If you decide to file a claim, documentation is critical in showing a pattern of biased behavior. Take notes after encounters in which the boss ties your “incompetence” to your race or unfairly blames your disability for tardiness. Be discreet with your note-taking to avoid the impression of conspiring against your boss.
Step 3
Attempt to speak with your boss. Although it may be hard to maintain a positive relationship with a boss you feel discriminates against you, try initiating a no accusatory dialogue on intolerance. The Southern Poverty Law Center, under its “Teaching Tolerance” project, recommends tying the discussion to the company’s “bottom line.” Mention to your boss how employees who feel respected and valued help the company meet its financial goals.
Step 4
Talk with human resources if a dialogue with the boss fails. Describe your situation and present any documentation you’ve gathered. Ask about the company’s antidiscrimination and anti -harassment policies and whether they apply in your case. HR may investigate your complaint.
Step 5
File a complaint with the U.S. Equal Employment Opportunity Commission. If you find your boss’s behavior particularly hateful, you may choose to file a suit. The EEOC enforces laws that protect workers and job applicants from being discriminated against because of race, gender (including pregnancy), color, national origin, age (over 40), religion and genetic information. Laws apply to employers with at least 15 employees, or 20 workers for age bias. The agency assesses your claim, conducts an investigation and rules on the case.
Step 6
Request a transfer. An unpleasant work situation isn’t worth tolerating. You may even need to leave the company. A biased boss has no incentive to change behavior if the company tolerates discrimination.

12 जुलाई, 2025

रामेश्वर नाथ तिवारी: एक परिचय

हमेशा याद रखना अच्छे दिनों के लिए हमेशा बुरे दिनों से लड़ना पड़ता है

हमेशा याद रखना अच्छे दिनों के लिए हमेशा बुरे दिनों से लड़ना पड़ता है

Mr.Manoj Joshi.(मनोज जोशी














Discussing Chankya Play ........

Memorable moments with Mr.Manoj Joshi.
Manoj Joshi (मनोज जोशी) is an Indian film and television actor. He began his career in Marathi theatre, also putting up performances in Gujarati and Hindi theatre. He has also acted in over 60 films since 1998, many of his roles being comedy.
Manoj Joshi hails from Adapodara village near Himatnagar in north Gujarat.
 



Manoj Joshi is an Indian film and television actor. He began his career in Marathi theatre, also putting up performances in Gujaratiand Hindi theatre. He has also acted in over 60 films since 1998, many of his roles being comedy.
He acted in TV series including ChanakyaEk Mahal Ho Sapno KaRau (Marathi), SangdilKabhi Souten Kabhi SaheliKhichdi,Mura Raska Mai La (Marathi). He debuted in Sarfarosh (SI Bajju) alongside his brother who played Bala Thakur in the film. His other works include the film Hungama followed by HulchulDhoomBhagam BhagPhir Hera PheriChup Chup KeBhool Bhulaiyaa,[and Billo Barber.
He also portrayed Chanakya in Chakravartin Ashoka Samrat.






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